प्रॉपर्टी खरीदने पर लोकतंत्र सेनानी से ठगी : इंडियन बैंक के अफसरों पर लिखाया मुकदमा, जानें क्या है मामला

फ़ाइल फोटो | इंडियन बैंक

Oct 01, 2024 18:32

यूपी के बरेली में आपातकाल के दौरान संघर्ष करने वालों को भी बैंक अधिकारियों ने नहीं बख्शा। शहर के प्रेमनगर थाना क्षेत्र के निवासी लोकतंत्र सेनानी हरिकिशन राठौर ने सौ फुटा रोड पर व्यवसाय किया...

Bareilly News : यूपी के बरेली में आपातकाल के दौरान संघर्ष करने वालों को भी बैंक अधिकारियों ने नहीं बख्शा। शहर के प्रेमनगर थाना क्षेत्र के निवासी लोकतंत्र सेनानी हरिकिशन राठौर ने सौ फुटा रोड पर व्यवसाय किया है। उनके बेटे आनंद राठौर ने इंडियन बैंक की नीलामी से अपने पड़ोस का एक प्लॉट खरीदा था और भुगतान के बाद रजिस्ट्री भी कराई। लेकिन बाद में पता चला कि बैंक ने रजिस्ट्री में गलती कर दी, जिससे मामला रद्द हो गया। इस झमेले में राठौर परिवार की बड़ी राशि फंस गई है। वे चाहते हैं कि बैंक उन्हें अपनी राशि ब्याज के साथ लौटाए, लेकिन बैंक अधिकारी टालमटोल कर रहे हैं। इस मामले में आईपीसी की धारा 420 और 406 के तहत थाना इज्जतनगर में शिकायत दर्ज कराई गई है।

इंडियन बैंक के इन मैनेजर पर एफआईआर
इस मामले में पीड़ित की ओर से इंडियन बैंक के ब्रांच मैनेजर, चीफ मैनेजर, जोनल मैनेजर, और डिप्टी जोनल मैनेजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें सीनियर रिकवरी मैनेजर, असिस्टेंट रिकवरी मैनेजर, सीनियर मैनेजर (लीगल), और बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर को भी आरोपी बनाया गया है। एफआईआर के अनुसार, बैंक ने सौ फुटा रोड पर एक बिल्डिंग का नीलामी किया, जिसे राठौर परिवार ने खरीदा। उन्हें ई-मेल के माध्यम से सेल कन्फर्मेशन का पत्र भी मिला। परिवार ने बैंक में कुल नौ लाख 91 हजार रुपये जमा किए, इसके बाद 14 लाख 87 हजार 500 रुपये और फिर 74 लाख 96 हजार 500 रुपये जमा कराए। बैंक के चीफ मैनेजर ने 8 सितंबर 2021 को सेल प्रमाण पत्र जारी किया और इस पर स्टाम्प और रजिस्ट्री में भी काफी खर्च किया गया।



लखनऊ डीआरटी ने बैनामे और कब्जे पर लगाई रोक
आनंद राठौर के अनुसार, उन्होंने कई बार बैंक के अधिकारियों से कब्जा दिलाने की मांग की, लेकिन हर बार उन्हें कोई न कोई बहाना सुनने को मिला। इस दौरान लखनऊ के डीआरटी ने बैनामे और कब्जे पर रोक लगा दी। 31 जनवरी 2023 को ट्रिब्यूनल ने बैंक की गलतियों और धोखाधड़ी के बारे में अपने आदेश में विस्तार से लिखा। राठौर परिवार को इस खरीददारी की किसी भी जानकारी नहीं थी। परिवार ने कई बार अपनी रकम की वापसी की मांग की है, लेकिन न तो उन्हें कब्जा मिला है और न ही पैसे। हरिकिशन राठौर का कहना है कि उनके रुपये पर 18 प्रतिशत ब्याज के साथ एक करोड़ 37 लाख रुपये का लिखित समझौता हुआ था, लेकिन वह भी पूरा नहीं हो रहा। राठौर ने सवाल उठाया कि आखिरकार उन्हें बैंक अधिकारियों की गलतियों का नुकसान क्यों उठाना पड़े। अब तक, ब्याज सहित यह रकम लगभग एक करोड़ 96 लाख रुपये हो चुकी है। उन्होंने अपनी रकम की वापसी की मांग की और बेईमानी करने वाले अधिकारियों की गिरफ्तारी की भी मांग की है।

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