मानवाधिकार आयोग ने बरेली पुलिस को भेजा नोटिस : कथित हाफ एनकाउंटर पर मांगी रिपोर्ट

UPT | एसएसपी को भेजा नोटिस

Sep 05, 2024 00:33

बरेली में हाल ही में हुए एक विवादित पुलिस एनकाउंटर मामले ने नया मोड़ ले लिया है। मानवाधिकार आयोग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए बरेली पुलिस को नोटिस भेजा है और उनसे 16 अक्टूबर 2024 तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

Bareilly News : उत्तर प्रदेश के बरेली में पुलिस के तथाकथित हाफ एनकाउंटर मामले में मानवाधिकार आयोग ने पुलिस को नोटिस भेजा है। इस मामले में आयोग ने पुलिस से 16 अक्टूबर तक रिपोर्ट मांगी है। नोटिस में आयोग ने कहा है कि शिकायतकर्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता डॉ. गजेंद्र सिंह यादव ने शिकायत में कई आरोप लगाए हैं। इसके बाद आरोपों की समीक्षा की गई। इसके बाद आरोपों की प्रकृति को देखते हुए पुलिस से जांच रिपोर्ट मांगी गई है।

30 जुलाई को हुआ था एनकाउंटर
इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता गजेंद्र सिंह यादव का कहना है कि 30 जुलाई, 2024 को राम नामक युवक के टांग में पुलिस ने कथित फर्जी मुठभेड़ दिखाकर गोली मार दी थी। इस मामले में मानवाधिकार आयोग ने एसएसपी बरेली को नोटिस जारी किया है। नोटिस में आयोग ने कहा है कि शिकायतकर्ता अधिवक्ता की शिकायत का अवलोकन किया गया है। शिकायत में लगाए गए आरोप गंभीर हैं। इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) से जांच रिपोर्ट मांगी जाती है। वह मामले की जांच कर शिकायतकर्ता की शिकायत पर आवश्यक जांच के बाद 16 अक्टूबर 2024 तक या उससे पहले आयोग को अपनी रिपोर्ट आयोग को भेज दें।

20 से अधिक हाफ एनकाउंटर 
अधिवक्ता का कहना है कि यूपी के बरेली में आईपीएस अनुराग आर्य के जिम्मेदारी संभालने के बाद से पुलिस मुठभेड़ की संख्या में भारी बढ़त हुई है। पुलिस अब तक 20 से अधिक लोगों का हाफ एनकाउंटर कर चुकी है। हालांकि, अब इन एनकाउंटरों पर सवाल उठने लगे हैं। 30 जुलाई को एनकाउंटर पर साधुओं ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने एसएसपी से मुलाकात कर बाबा बृहस्पति गिरी के बेटे को मुठभेड़ में गोली मारने पर जांच की मांग की। उन्होंने दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई को कहा था।

यह लगाए थे आरोप
शहर के सीबीगंज थाना क्षेत्र के नदौसी गांव निवासी बाबा बृहस्पति गिरी ने पुलिस कर्मियों पर आरोप लगाते हुए मीडिया को बताया था कि उनका बेटा राम गांव में किराए के मकान में रहकर मजदूरी करता है। 29 जुलाई 2024 को सुबह के 10  बजे पांच से छह पुलिसकर्मी सादा वर्दी में आए थे। उन्होंने खुद को थाना कैट और सीबीगंज का बताया। वह राम को जबरन उठा कर ले गए। राम की पत्नी ने विरोध किया, तो उसे थप्पड़ मार कर अपने साथ ले गए थे। इसके बाद उसे थाना सीबीगंज में बिठाकर राम को अपने साथ ले गए। 30 जुलाई 2024 को रात्रि तीन बजे थाना कैंट पुलिस हवालात से निकाल कर उसे गाड़ी में बिठाकर जंगल में ले गई। पुलिस पर आरोप है कि अपने पास से तमंचा निकाल कर घास में फेंक दिया। इसके बाद फर्जी वीडियो बनाकर मुठभेड़ दर्शा दी। पुलिस कर्मियों के गोली मारने से राम की हालत गंभीर है। इस तरह की घटनाएं बरेली जिले में आम बात हो गई हैं । 

एसएसपी की जांच रिपोर्ट का इंतजार
इस बीच, शिकायतकर्ता वकील डॉ. गजेंद्र सिंह यादव ने कहा है कि वे इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर एसएसपी की जांच रिपोर्ट आने के बाद भी पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं होता, तो वे इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर करेंगे। इस याचिका के माध्यम से वे एक उच्च स्तरीय जांच की मांग करेंगे, ताकि पीड़ित को न्याय मिल सके।

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