चित्रकूट में बोले मोहन भागवत : संतों की रक्षा के लिए शस्त्रों की जरूरत, कुछ ताकतें भारत को दबाने के प्रयास में...

UPT | मोहन भागवत

Nov 06, 2024 18:07

भागवत रामकिंकर शताब्दी समारोह के लिए दो दिवसीय दौरे पर चित्रकूट में हैं। कार्यक्रम के दूसरे दिन राम मनोहर लोहिया सभागार में भागवत ने सनातन धर्म की...

Chitrakoot News : भागवत रामकिंकर शताब्दी समारोह के लिए दो दिवसीय दौरे पर चित्रकूट में हैं। कार्यक्रम के दूसरे दिन राम मनोहर लोहिया सभागार में भागवत ने सनातन धर्म की रक्षा के प्रति समर्पण पर जोर दिया। मोहन भागवत ने कहा कि देश में कुछ ऐसी ताकतें हैं जो भारत को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन सत्य कभी पराजित नहीं होता। इस दौरान उन्होंने संतों की सुरक्षा के लिए शस्त्रों की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि संत समाज के कल्याण में लगे रहते हैं और संघ के कार्यकर्ता उनकी रक्षा के लिए डंडा लेकर तत्पर रहते हैं।

संघ संतों की सुरक्षा का उठाता है दायित्व
भागवत ने कहा कि संत अपने मंदिरों में पूजा करते हैं और समाज को दिशा देते हैं, जबकि संघ के कार्यकर्ता उनकी सुरक्षा का दायित्व निभाते हैं। हमारे पास शस्त्र होने चाहिए, लेकिन उनका धारण करने वालों के विचार राम जैसे होने चाहिए। उन्होंने कहा कि संतों के दिव्य विचार सुनने में भले ही कड़वे लगें, लेकिन यही विचार समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं।

संस्कृति और परंपराओं को रखे सुरक्षित
भागवत ने बताया कि भारत में ही नहीं विदेशों में भी सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं को सुरक्षित रखना चाहिए। अयोध्या का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अयोध्या केवल एक स्थान नहीं, बल्कि समस्त सनातनी समाज का गौरव है। यह मंदिर सनातन धर्म का प्रतीक है और सभी सनातनियों को अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। भागवत ने रामकिंकर के जीवन का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन राम और सनातन के प्रति समर्पित कर दिया।



राष्ट्रवाद से भारत बनेगा शक्तिशाली
कार्यक्रम के पहले दिन मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रवाद और एकता की भावना को हर परिवार में जागृत करना आज की आवश्यकता है। परिवार किसी व्यक्ति का पहला संस्कार स्थल होता है और परिवार से ही राष्ट्र की भावनाएं पनपती हैं। उन्होंने संघ के कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे राष्ट्रहित में संस्कारों को समाज में प्रसारित करें। संघ की योजना 2025 तक हर गांव तक अपने कार्य को पहुंचाने की है।

संत और संघ का गहरा संबंध
भागवत ने कहा कि संत और संघ में अधिक अंतर नहीं है। संत जहां समाज को आध्यात्मिक दिशा देने का कार्य करते हैं। वहीं संघ समाज में अनुशासन, सेवा और रक्षा के कार्यों में संलग्न रहता है। संघ के कार्यकर्ता मंदिरों के बाहर संतों की सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। इस अवसर भागवत के साथ मंच पर संत उत्तम स्वामी महाराज, मुरारी बापू, मैथिलीशरण महाराज और चिदानंद महाराज भी मौजूद रहे। मुरारी बापू ने कहा कि यह चित्रकूट सभी कूटों में महान है।

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