Jhansi News : ट्रांसफर के बाद भी चार्ज न छोड़ने वाले AE की दबंगई सुर्खियों में, 11 महीनों में 11 चिट्ठियां

फ़ाइल फोटो | ट्रांसफर के बाद भी चार्ज न छोड़ने वाले AE की दबंगई सुर्खियों में

Jan 17, 2025 16:51

झांसी में सिंचाई विभाग के एक असिस्टेंट इंजीनियर (AE) योगेंद्र बाबू का ट्रांसफर 12 जनवरी 2024 को लखनऊ के अनुसंधान एवं नियोजन बाढ़ मंडल में किया गया था। लेकिन, उन्होंने अब तक अपना चार्ज नहीं छोड़ा।

Jhansi News : झांसी में सिंचाई विभाग के एक असिस्टेंट इंजीनियर (AE) की दबंगई चर्चा का विषय बन गई है। उनका लखनऊ ट्रांसफर हुए एक साल हो चुका है, लेकिन वे अपने पद से हटने को तैयार नहीं हैं। बीते 11 महीनों में विभाग के तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने 11 चिट्ठियां लिखीं, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा। अब यह मामला शासन के दरवाजे तक पहुंच चुका है, जिससे यह प्रकरण फिर सुर्खियों में आ गया है।   12 जनवरी 2024 को हुआ था ट्रांसफर सिंचाई निर्माण खंड पंचम में तैनात एई योगेंद्र बाबू का ट्रांसफर 12 जनवरी 2024 को अनुसंधान एवं नियोजन बाढ़ मंडल लखनऊ कर दिया गया था। हालांकि, इसके बावजूद उन्हें रिलीव नहीं किया गया। 19 फरवरी 2024 को मुख्य अभियंता परियोजना बेतवा ने सहायक अभियंता रामकिशुन को अतिरिक्त चार्ज लेने के निर्देश दिए, लेकिन योगेंद्र बाबू ने इन आदेशों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया।   11 महीनों में 11 चिट्ठियां
  • मुख्य अभियंता ने 4 चिट्ठियां लिखीं।
  • अधीक्षण अभियंता ने 2 चिट्ठियां भेजीं।
  • अधिशासी अभियंता ने 5 बार पत्राचार किया।
  इसके बावजूद योगेंद्र बाबू ने किसी भी आदेश का पालन नहीं किया। मामला अब शासन तक पहुंच चुका है, जिससे अधिकारियों की कार्यशैली और सीनियर अधिकारियों की निष्क्रियता पर सवाल उठने लगे हैं।   उच्चाधिकारियों को दी गई जानकारी सिंचाई निर्माण खंड पंचम के अधिशासी अभियंता नितिन कुमार ने बताया, "योगेंद्र बाबू का ट्रांसफर 12 जनवरी 2024 को हो गया था। उनके स्थान पर नए अधिकारी को चार्ज लेने के निर्देश दिए गए, लेकिन उन्होंने अभी तक पद नहीं छोड़ा। इस बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है।"   विभागीय लापरवाही पर सवाल योगेंद्र बाबू की इस दबंगई ने सिंचाई विभाग में अनुशासनहीनता के मामले को उजागर कर दिया है। एक साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद न तो ट्रांसफर आदेश का पालन किया गया और न ही अधिकारियों ने कोई ठोस कार्रवाई की। अब इस मामले के शासन तक पहुंचने के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोई सख्त कदम उठाया जाता है या यह मामला फाइलों तक ही सिमटकर रह जाता है।

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