Kannauj News : छात्र राजनीति से सियासत तक, जानिए कैसे बना नवाब सिंह यादव का सियासी रुतबा

UPT | नवाब सिंह यादव 

Aug 15, 2024 00:55

सपा मुखिया अखिलेश यादव के करीबी कहे जाने वाले नवाब सिंह यादव कन्नौज के छोटे से गांव के रहने वाला है और पहले पहलवानी करता था। इसके बाद वह...

Kannauj News : सपा मुखिया अखिलेश यादव के करीबी कहे जाने वाले नवाब सिंह यादव कन्नौज के छोटे से गांव के रहने वाला है और पहले पहलवानी करता था। इसके बाद वह धीरे-धीरे छात्र राजनीति का एक चर्चित चेहरा बन गया और काफी जनाधार बनाया। इसके बाद नवाब सिंह यादव ने सियासत के सफर पर कदम बढ़ाया। वह धीरे-धीरे सपा मुखिया अखिलेश यादव के करीब पहुंच गया। यहीं नही वह अपने जनाधार की बदौलत सपा पार्टी का एक खास चेहरा भी बन गया। मगर अब किशोरी के साथ हुई दरिंदगी की शिकायत ने उसकी पूरी तरह से प्रतिष्ठ को खत्म कर दिया। वहीं सपा पार्टी ने भी नवाब सिंह यादव से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया है।

1996 में  छात्र राजनीति से की सियासत की सफर की शुरुआत
नवाब सिंह यादव ने वर्ष 1996 में शहर के पीएसएम पीजी कॉलेज से छात्र संघ का अध्यक्ष बनने के बाद सियासत की राहों पर चलना शुरू कि। इसके बाद 1999 में पहली बार मुलायम सिंह यादव लोकसभा का चुनाव लड़े तो वह युवा कार्यकर्ता की तरह चुनाव लड़वाने में साथ रहा। वह मुलायम सिंह यादव के लिए साइकिल पर सवार होकर समर्थन जुटाता रहा। जिसके बाद वह सपा के वरिष्ठ नेताओं के करीब आता गया और साल 2007 में कन्नौज सदर ब्लॉक का प्रमुख बना। वर्ष 2012 में अखिलेश यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उसका सियासी रुतबा और भी बढ़ता चला गया। जिसके बाद यहां हुए उपचुनाव में डिंपल यादव निर्विरोध सांसद चुनी गईं थी। डिंपल के चुनाव जीतने के बाद वह लगातार सपा पार्टी में काफी पहचान रखने लगा। 

सपा से ऐसे बनी थी दूरी, पार्टी ने सदस्य भी मानने से इंकार किया
सपा पार्टी से उसकी दूरी की शुरुआत वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान। कहा जाता है कि तब नवाब सिंह यादव ने तिर्वा विधानसभा सीट से सपा पार्टी से टिकट की मांग की थी, मगर उसे टिकट नहीं मिला था। माना जाता है कि तभो से खेमेबंदी शुरू हो गई। जिसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव यहां से चुनाव हारीं तो नवाब सिंह यादव पर आरोप लगा था। इसके बाद सपा पार्टी ने पूरी तरह से उससे दूरी बना ली थी। बताया जाता है कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने जब यहां से दावेदारी की तो नवाब सिंह यादव ने उनके लिए प्रचार किया था। वहीं पिछले महीने नवाब सिंह की मां का निधन हो गया तो अखिलेश यादव ने उस पर दुख जताया था। जिसके बाद यह माना जा रहा था कि पार्टी और उसके बीच दूरी कम हो रही है। मगर अब एक किशोरी के साथ हुई दरिंदगी की शिकायत के बाद पार्टी ने पूरी तरह से पल्ला झाड़ते हुए पार्टी का सदस्य मानने से भी इंकार कर दिया है।

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