Kanpur News : कनपुरिया हास्य कवि ने संत प्रेमानंद से की मुलाकात, कविताओं से उनको खूब हंसाया

UPT | कविताओं से संत प्रेमानंद को खूब हंसाया।

Oct 06, 2024 00:29

कानपुर सहित पूरे प्रदेश में ख्याति उपलब्ध कर चुके कानपुर के हास्य कवि का एक वीडियो सोसल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।जो लोगो को काफी पसंद आ रहा है।यह वीडियो बीते कुछ दिनों पहले का बताया जा रहा है जब हास्य कवि ने वृदावन पहुचकर वृंदावन के संत प्रेमानंद को अपनी कविता के माध्यम से खूब हसाया था।

Kanpur News : कानपुर सहित पूरे प्रदेश में ख्याति उपलब्ध कर चुके कानपुर के हास्य कवि का एक वीडियो सोसल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।जो लोगो को काफी पसंद आ रहा है।यह वीडियो बीते कुछ दिनों पहले का बताया जा रहा है जब हास्य कवि ने वृदावन पहुचकर वृंदावन के संत प्रेमानंद को अपनी कविता के माध्यम से खूब हसाया था।बीते दिनों हास्य कवि हेमंत पांडे व उनके दोस्त गौरव वृंदावन गए थे और संत प्रेमानंद से मिलकर उन्होंने इस दौरान आशीर्वाद भी लिया था।

संत प्रेमानंद से की मुलाकात
बता दे की कानपुर के हास्य कलाकार जिन्होंने पूरे देश व प्रदेश मे अपनी कविताओं के माध्यम से ख्याति उपलब्ध की हैमवह बीते दिनों अपने दोस्त व कवि गौरव के साथ वृंदावन गए थे। वृंदावन पहुंचकर उन्होंने वृंदावन के संत प्रेमानंद से मुलाकात की और उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से संत प्रेमानंद को खूब हंसाया। हेमंत ने कविताओं में कानपुर का जिक्र किया तो प्रेमानंद जी खिल खिलाकर हंस पड़े।प्रेमानंद जी कानपुर के सरसौल के रहने वाले हैं।हेमंत ने पत्नी पर एक कविता पढ़ते हुए कहा हमने पत्नी को फोन लगाया... उसे समझाया,भाग्यवान तुम मेरी देवी हो,पूजा हो अर्चना हो,आराधना हो मेरी साधना हो, तुम्हारे अंदर हमारी जान दिखती है,तू हमें देवी भगवान दिखती है, हमने यह तन मन सब हारा है,मेरा जो है सब तुम्हारा है, इस पर वह बोली-आज सूरज पश्चिम से.. इतने में मित्र गौरव कहते हैं भाभी गौर से देखो यह आज कितने खिल के आए हैं ,दुनिया की सारी लड़कियां इन्हें देवी दिखती है,क्योंकि यह प्रेमानंद जी से मिलकर आए हैं।इस कविता पर संत प्रेमानंद खूब हंसे।

गौरव चौहान ने भी सुनाई कविता
वही उनके साथ मौजूद गौरव चौहान ने भी अपनी कविता सुनाई और कहा भुलाकर व्याधि तन की स्वयम आनंद हो जाना,श्री राधे से कर अनुबंध फिर स्वच्छंद हो जाना,कठिन तप साधना संयम समर्पण त्याग लगता है... नहीं होता है दुनिया में प्रेमानंद हो जाना।

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