69000 शिक्षक भर्ती : SC में सुनवाई से पहले अखिलेश यादव का बड़ा हमला, बोले- सीएम के इशारे पर नहीं दिया जा रहा PDA अभ्यर्थियों को हक

UPT | यूपी 69000 शिक्षक भर्ती

Sep 08, 2024 20:22

आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना है कि वह शुरुआत से इस भर्ती में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगा रहे थे। इसके लिए मंत्रियों से लेकर नेताओं के चक्कर काटे। अधिकारियों से शिकायत की। लेकिन, सभी ने टालमटोल का रवैया अपनाया। इस बीच में 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट 69000 शिक्षक भर्ती मामले से जुड़ी पहली याचिका पर सुनवाई करने वाला है।

Lucknow News : प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती में नई सूची जारी करने को लेकर प्रदर्शनकारी आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अभी तक मुलाकात नहीं हो पाई है। प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सुप्रीम कोर्ट नहीं जाने की बात कही है। सरकार के मंत्री भी लगातार प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों को इस बात का आश्वासन दे रहे हैं। लेकिन, इस बार अभ्यर्थी बिना सूची जारी हुए पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। रविवार को उनकी मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हो सकी। वहीं सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है, जिस पर आरक्षित और अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों व चयनितों की निगाहें टिकी हैं। इससे पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार को पीडीए विरोधी करार दिया।

पीडीए से नफरत करते हैं भाजपा के लोग
अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा कि भाजपा घोर पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक विरोधी है। हर स्तर पर भेदभाव करती है। मुख्यमंत्री और भाजपाई पीडीए से नफरत करते हैं। भाजपा सरकार पीडीए विरोधी फैसले ले रही है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी 69 हजार शिक्षक भर्ती में पिछड़े और दलित वर्ग के अभ्यर्थियों को उनका हक नहीं दिया जा रहा है।

सीएम के इशारे पर हो रहा अन्याय और भेदभाव
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के इशारे पर शासन सत्ता में ऊपर से लेकर नीचे तक पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय और भेदभाव हो रहा है। भाजपा की सात साल की सरकार में नौकरियों में पीडीए का आरक्षण हक छीना है। सरकार बनाने के बाद बीजेपी ने पीडीए के साथ अन्याय, अत्याचार, भेदभाव किया। निर्दोषों पर मुकदमें लगवाएं, फर्जी एनकाउण्टर कराए, जेलों में डाल कर प्रताड़ित किया। सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार सत्ता और शासन, प्रशासन का दुरुपयोग कर रही है। लोकसभा चुनाव में पीडीए की एकजुटता से समाजवादी पार्टी ताकत मिली। भाजपा को पराजय मिली। इससे भाजपाई और बौखला गये है। सत्ता का नंगानांच शुरू कर दिया हैं गरीबों पर कहर ढा रहे हैं। भाजपा सरकार असली अपराधियों को संरक्षण दे रही है। निर्दोषों को फंसा रही है।

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ करेगी सुनवाई
इस बीच में 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट 69000 शिक्षक भर्ती मामले से जुड़ी पहली याचिका पर सुनवाई करने वाला है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की तीन-न्यायाधीशों की पीठ करेगी। सामान्य वर्ग से चयनित अभ्यर्थियों ने ये याचिका दायर की गई है, जिसमें भर्ती प्रक्रिया से जुड़ी शिकायतों के समाधान के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई है। वहीं अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने अपनी सेवा सुरक्षा लेकर रिट दायर की है। आरक्षित अभ्यर्थी हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नियुक्ति नहीं देने से नाराज हैं। वह हाईकोर्ट के आदेश के बाद से लखनऊ में मंत्रियों के सरकारी आवास का घेराव करने में जुटे हैं। ये अभ्यर्थी उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार संदीप सिंह, प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद, ओम प्रकाश राजभर आदि के आवास के बाहर प्रदर्शन कर चुके हैं।

आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने लगाए आरोप
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना है कि वह शुरुआत से इस भर्ती में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगा रहे थे। इसके लिए मंत्रियों से लेकर नेताओं के चक्कर काटे। अधिकारियों से शिकायत की। लेकिन, सभी ने टालमटोल का रवैया अपनाया। कहा गया कि मामला कोर्ट में है, अब हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद भी अभी तक सूची जारी नहीं की जा रही है। जिन अफसरों ने पहले सूची जारी करते समय गड़बड़ी की, उन पर अभी तक कार्रवाई भी नहीं की गई। अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार चाहती है कि ये मामला सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की वजह से लटक जाए, जिससे उसे नई सूची जारी नहीं करनी पड़े। इससे वह आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को नए सिरे से नौकरी देने से बच जाएगी। अब सुप्रीम कोर्ट सोमवार को इस मामले में क्या रुख अपनता है, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

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