AMU के अल्पसंख्यक दर्जे की बहाली पर AIPMM ने दी बधाई : फरंगी महली बोले- तीन जजों की बेंच के सामने पेश करेंगे ऐतिहासिक तथ्य

UPT | Aligarh Muslim University

Nov 08, 2024 18:36

ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज हनीफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल एएमयू समुदाय बल्कि संपूर्ण मुस्लिम समाज के लिए गर्व का विषय है, क्योंकि एएमयू भारतीय मुस्लिम समाज के ऐतिहासिक और शैक्षणिक केंद्रों में से एक है।

Lucknow News : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मुस्लिम धर्म गुरुओं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित विभिन्न संगठनों ने स्वागत किया है। ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज (AIPMM) ने इसे फैसले को लेकर बधाई दी है। संगठन ने साथ ही अब एएमयू में पसमांदा विद्यार्थियों के लिए आरक्षण की उम्मीद जताई है।

खालिद रशीद फरंगी महली बोले- तीन जजों की बेंच के सामने पेश करेंगे ऐतिहासिक तथ्य
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि ये निर्णय स्वागतयोग्य है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 1967 के अपने फैसले को खारिज कर दिया है। तब फैसले में कहा गया था कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। फरंगी महली ने कहा कि मुझे लगता है कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को तय करने में सुप्रीम कोर्ट का फैसला काफी मददगार साबित होगा। सभी ऐतिहासिक तथ्य हमारे सामने हैं और हम उन्हें तीन जजों की बेंच के सामने पेश करेंगे। 



फैसला पूरे मुस्लिम समाज के लिए गर्व का विषय
ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष परवेज हनीफ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल एएमयू समुदाय बल्कि संपूर्ण मुस्लिम समाज के लिए गर्व का विषय है, क्योंकि एएमयू भारतीय मुस्लिम समाज के ऐतिहासिक और शैक्षणिक केंद्रों में से एक है। संगठन विशेष रूप से वर्तमान कुलपति नईमा खातून और पूर्व एक्टिंग कुलपति प्रोफेसर गुलरेज का आभार व्यक्त करता है, जिनके नेतृत्व और प्रयासों से यह महत्वपूर्ण उपलब्धि संभव हो सकी है।

पसमांदा छात्रों को आबादी के अनुपात में आरक्षण की उम्मीद
संगठन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद यूनुस ने यह उम्मीद जताई है कि इस बहाली के साथ ही एएमयू में पसमांदा मुस्लिम समाज के विद्यार्थियों को उनकी आबादी के अनुपात में प्रवेश और रोजगार में उचित आरक्षण प्राप्त हो सकेगा। एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा न केवल छात्रों के लिए अवसरों को बढ़ाता है बल्कि यह विश्वविद्यालय की स्वतंत्रता और उसकी विशेष पहचान को भी सुदृढ़ करता है।

आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा हुआ है पसमांदा समाज 
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज का मानना है कि पसमांदा मुस्लिम समाज की एक बड़ी आबादी आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ी हुई है। ऐसे में एएमयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में आरक्षण का प्रावधान पसमांदा समाज के विद्यार्थियों की शिक्षा और रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी करेगा। पसमांदा विद्यार्थियों की अधिक भागीदारी न केवल एएमयू की विविधता को समृद्ध करेगी बल्कि उन्हें समाज में बराबरी के अवसर भी प्रदान करेगी।

एमएयू प्रशासन से अपील
संगठन ने कहा एएमयू प्रशासन से आग्रह किया है कि वह पसमांदा मुस्लिम समाज की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति में सुधार के लिए विशेष योजनाएं प्रारंभ करें। महाज ने एएमयू के सभी पदाधिकारियों और संकाय सदस्यों से निवेदन किया है कि वे इस दिशा में आवश्यक कदम उठाएं, ताकि पसमांदा समाज के विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय में समान अवसर सुनिश्चित किए जा सकें।

यासर शाह बोले- हर मजहब को मानने वाले पढ़ते हैं एएमयू में
समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री यासर शाह ने कहा कि दुनिया भर में एएमयू के बच्चों ने देश का नाम रौशन किया है और आगे भी करते रहेंगे, मुसलमान ही नहीं हर मजहब को मानने वाले एएमयू में पढ़ते हैं और देश के विकास में अपनी भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय का धन्यवाद, जिसने एएमयू का माइनॉरिटी दर्जा बरकरार रखा और दुनिया कोने संदेश दिया के भारत में मुसलमान इदारे और मुसलमान आज भी इज्जत से जी रहा है और भारत मुसलमानों के लिए आज भी धरती पर स्वर्ग है। सपा नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार से गुजारिश है कि एएमयू को और आगे बढ़ाने और बेहतर बनाने के लिए हर संभव सहायता करें ताकि आने वाला भविष्य और भी सुंदर और सजीव हो इस देश के लिए। 

तीन जजों की संविधान पीठ करेगी अंतिम फैसला 
सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय में 1967 के अपने उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसे केंद्रीय कानून के तहत बनाया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान का हकदार है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कोई भी धार्मिक समुदाय संस्थान की स्थापना कर सकता है। लेकिन, धार्मिक समुदाय संस्था का प्रशासन नहीं देख सकता है। संस्थान की स्थापना सरकारी नियमों के मुताबिक की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे का हकदार है। वहीं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं, अब इसका फैसला तीन जजों की संविधान पीठ करेगी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े मामले को नई पीठ के पास भेज दिया।  

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