अवध फिल्म फेस्टिवल : रोशनी-त्वमेव सर्वम, ए लवली रिज्यूमे को श्रेष्ठ फिल्म का अवार्ड, अभिनेता अनिल रस्तोगी बोले- फिल्म बनाने में उम्र मात्र एक नंबर

UPT | अवध फिल्म फेस्टिवल। 

Nov 17, 2024 21:24

बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित अवध फिल्म फेस्टिवल में रविवार को मास्टर क्लास में वरिष्ठ रंगकर्मी और अभिनेता डॉ. अनिल रस्तोगी ने कहा कि फिल्म बनाने और कला के क्षेत्र में उम्र मात्र एक नंबर है।

Lucknow News : बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में आयोजित अवध फिल्म फेस्टिवल में रविवार को मास्टर क्लास में वरिष्ठ रंगकर्मी और अभिनेता डॉ. अनिल रस्तोगी ने कहा कि फिल्म बनाने और कला के क्षेत्र में उम्र मात्र एक नंबर है। मैं 81 साल से अधिक उम्र में भी लगातार अपना अच्छा किरदार निभाने की कोशिश करता हूं। उन्होंने छात्रों को फिल्म बनाने के गुर भी बताए। फिल्म फेस्टिवल ने समाज को दिशा देने वाले विषयों पर आधारित फिल्मों के जरिए नई चेतना जगाने का प्रयास किया। 

भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में यूपी का अहम रोल
विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) पवन चौहान ने कहा भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में यूपी का अहम रोल है। चूंकि अधिकतर कहानियां यूपी या उत्तर भारत से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि शोले फिल्म की कहानी प्रदेश के सीतापुर जनपद से जुड़ी हुई है। लेखक निदेशक राष्ट्रधर्म प्रकाशन मनोजकांत ने फिल्म निर्माण में कहानियों के महत्व और कहानी चुनाव के बारे में अपनी बात रखी। दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल के समापन पर अवध चित्र साधना के अध्यक्ष प्रो. गोविन्द पांडेय ने एतिहासिक फिल्मों जैसे अछूत कन्या और दो बीघा जमीन के ज​रिए सिनेमा की सामाजिक जिम्मेदारी और फिल्मों से समाज में बनाई गई परिकल्पना के बारे में चर्चा की। 



100 में 54 फिल्मों का चयन
अवध फिल्म फेस्टिवल में देशभर से कुल सौ फिल्में आयी थीं। जिनमे कुल 54 फिल्में को प्रतियोगिता के लिए चुना गया। जिनकी स्क्रीनिंग आंबेडकर विश्वविद्यालय के अटल बिहारी बाजपेयी सभागार में की गई। इसमें कैंपस, प्रोफेशनल और जस्ट पास आउट श्रेणी में फिल्मों को अवार्ड मिला।

कैंपस श्रेणी में इन्हें मिला अवार्ड
फेस्टिवल की कैम्पस श्रेणी में श्रेष्ठ निर्देशन के लिए ‘द डिलेवरी निर्देशित अर्पित गुप्ता को, श्रेष्ठ छायांकन के लिए दाग निर्देशित पलक कुमारी को अवार्ड मिला। वहीं श्रेष्ठ फिल्म के लिए रोशनी निर्देशित अनिमेष नमन को और श्रेष्ठ डाक्यूमेंट्री के लिए संयुक्त फिल्म बिजली महादेव मंदिर निर्देशित धीरेंद्र सिंह और दिलकुशा निर्देशित प्रगति पांडे को तथा श्रेष्ठ समीक्षा के लिए संयुक्त फिल्म गोमती सवाल अस्तित्व का निर्देशित आशीर्वाद दीक्षित और जल्दी जाना है क्या के नीतीश कुमार फिल्म को मिला।

प्रोफेशनल-कैंपस श्रेणी में इन फिल्मों ने मारी बाजी
प्रोफेशनल श्रेणी में श्रेष्ठ निर्देशन के लिए मटर पनीर निर्देशित चंदन मल्लाह को , श्रेष्ठ छायांकन के लिए ट्रम्पेट निर्देशित आशीष भथरी को, श्रेष्ठ फिल्म के लिए त्वमेव सर्वम निर्देशित मनोज तिवारी को, श्रेष्ठ डॉक्यूमेंटरी के लिए गल देव : एक अनोखी मान्यता निर्देशित तनिष्क भूरिया और श्रेष्ठ समीक्षा के लिए संक्युक्त फ़िल्में अक्षरा निर्देशित शिवम भास्वर और फिल्म ज़ुबान निर्देशित प्रफुल्ल पांडेय को मिला। जबकि कैंपस जस्ट पास आउट श्रेणी में श्रेष्ठ फिल्म के लिए ए लवली रिज्यूमे निर्देशित पौरुषे को मिला।

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