सीएमओ हत्याकांड : शूटर आनंद प्रकाश को आजीवन कारावास, सीबीआई की विशेष अदालत ने सुनाया फैसला

UPT | कोर्ट।

Jul 04, 2024 00:03

लखनऊ के विकासनगर सेक्टर-14 में मोटरसाइकिल सवार बदमाशों ने 27 अक्टूबर 2010 को परिवार कल्याण विभाग के तत्कालीन मुख्य चिकित्साधिकारी विनोद आर्या की सनसनीखेज तरीेके से गोलियां बरसा कर हत्या कर दी थी।

Lucknow News : लखनऊ के बहुचर्चित मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. विनोद आर्या और डॉ. ब्रह्म प्रसाद सिंह हत्याकांड में अभियुक्त और शूटर आनंद प्रकाश तिवारी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही 50 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया है। वहीं दो ​अभियुक्तों को साक्ष्य नहीं मिलने का लाभ मिला है। इनमें विनोद शर्मा और राम कृष्ण वर्मा शामिल हैं। सीबीआई अदालत केे विशेष न्यायाधीश अनुरोध मिश्रा की अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया।

दो सीएमओ की दिनहाड़े हुई थी हत्या
लखनऊ के विकासनगर सेक्टर-14 में मोटरसाइकिल सवार बदमाशों ने 27 अक्टूबर 2010 को परिवार कल्याण विभाग के तत्कालीन मुख्य चिकित्साधिकारी विनोद आर्या की सनसनीखेज तरीेके से गोलियां बरसा कर हत्या कर दी थी। इस घटना को उस समय अंजाम दिया गया जब डॉ. विनोद आर्या घर से टहलने के लिए निकले थे। इसके बाद उनकी जगह पर नियुक्त किए गए मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. ब्रह्म प्रसाद सिंह को भी 2 अप्रैल 2011 को मौत की नींद सुला दिया गया। हत्या कर दी गई थी। 

मायावती सरकार ने सीबीआई को सौंपा केस
लखनऊ में दो मुख्य चिकित्साधिकारियों की सनसनीखेज तरीके से हत्या का मामला काफी सुर्खियों में रहा। इसे लेकर तत्कालीन मायावती सरकार जहां सवालों के घेरे में आ गई और विपक्ष ने कानून व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए। वहीं भ्रष्टचार को लेकर भी कई आरोप उठे। मामले में कदम उठाते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने दोनों केस की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की। कोर्ट में इस हत्याकांड के पीछे एनआरएचएम घोटाले को वजह बताई गई। इसके बाद एनआरएचएम घोटाला काफी सुर्खियों में रहा।

डिप्टी सीएमओ की मौत पर उठे सवाल
राजधानी में दो मुख्य चिकित्साधिकारियों की हत्याकांड की जांच अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची थी कि कुछ ही समय में तत्कालीन उपमुख्य चिकित्साधिकारी योगेंद्र सिंह सचान की जेल के अंदर ही संदिग्ध हालात में मौत हो गई। इसके बाद सूबे की राजनीति में भूचाल का गया। एनआरएचएम घोटाले की जांच में कई सफेदपोशों और अफसरों के आने की आशंका में डॉ. योगेंद्र सचान की हत्या के आरोप लगे। इस प्रकरण की न्यायिक जांच के बाद कहा गया कि इसे हत्या मानने से इनकार नहीं किया जा सकता। योगेंद्र सचान की पत्नी डॉ. मालती और परिजन पहले दिन से उनकी हत्या का आरोप लगाते रहे। वह आज भी अपनी बात पर कायम हैं।

एक शूटर मुठभेड़ में ढेर
जांच पड़ताल केे दौरान हत्याकांड से जुड़ा एक शूटर मुठभेड़ में मारा गया। वहीं अंशू दीक्षित पेशी के दौरान फरार हो गया। शूटर आनंद प्रकाश और रामकृष्ण वर्मा के खिलाफ सीबीआई की जांच चलती रही, जिसके बाद आनंद प्रकाश तिवारी को दोषी करार दिया गया। वहीं राम कृष्ण वर्मा और विनोद शर्मा दोष मुक्त कर दिए गए। 

2022 में सीबीआई ने चार्जशीट की दाखिल
इस सनसनीखेज केस साल 2022 में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी। चार्जशीट में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. विनोद आर्या और डॉ. ब्रह्म प्रसाद सिंह की हत्या की साजिश में डिप्टी सीएमओ डॉ. योगेंद्र सचान को शामिल बताया गया। हालांकि इस पर कई सवाल उठे। वहीं शूटर आनंद प्रकाश तिवारी के पास से हत्या में प्रयुक्त पिस्टल और कारतूस के खोखों को फॉरेंसिक साइंस लैब में बैलिस्टिक जांच के लिए भेजा गया, जिसमें उस पर लगे आरोप सही पाए गए। इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर आनंद प्रकाश तिवारी को दोषी करार देते हुए बुधवार को सजा का ऐलान किया गया।

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