प्राकृतिक खेती के विकास की बुनियाद बनेंगे गोवंश : सुधरेगी जन, जल और जमीन की सेहत, आत्मनिर्भर बनेंगे यूपी के किसान

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Dec 19, 2024 17:06

सरकार की मंशा है कि उत्तर प्रदेश को देश में प्राकृतिक खेती का प्रमुख केंद्र बनाया जाए। इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। वहीं किसानों को भारतीय कृषि की इस परंपरागत पद्धति को तकनीकी दृष्टिकोण से जोड़ने पर भी जोर दिया जा रहा है।

Short Highlights
  • गंगा के तटवर्ती गांवों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर जोर
  • प्राकृतिक खेती में निराश्रित गोवंशों की भूमिका महत्वपूर्ण
  • प्रति पशु भरण पोषण के लिए आर्थिक सहायता
Lucknow News : सरकार की मंशा है कि उत्तर प्रदेश को देश में प्राकृतिक खेती का प्रमुख केंद्र बनाया जाए। इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। वहीं किसानों को भारतीय कृषि की इस परंपरागत पद्धति को तकनीकी दृष्टिकोण से जोड़ने पर भी जोर दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार किसानों को विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान कर रही है, जिससे वे प्राकृतिक खेती को अपनाकर अपनी आय को बढ़ा सकें। विशेष रूप से गंगा के तटवर्ती गांवों और बुंदेलखंड क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर सरकार का खास जोर है।

निराश्रित गोवंशों की भूमिका
सरकार के अनुसार, प्राकृतिक खेती में निराश्रित गोवंशों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। गोवंशों का उपयोग खेती में बायोमास के रूप में किया जाएगा, जिससे भूमि की उर्वरता बढ़ेगी। इसके साथ ही, रासायनिक खादों और कीटनाशकों का इस्तेमाल न करने से भूमि, जल और जन स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इन तरीकों से किसानों की खेती की लागत भी घटेगी और उत्पाद प्राकृतिक होने से किसानों को अच्छे दाम मिलने की संभावना बढ़ेगी। कोरोना महामारी के बाद से स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है, जिससे प्राकृतिक उत्पादों की मांग में वृद्धि हुई है, इसके साथ ही उनके दाम भी बेहतर होंगे।


निर्यात बढ़ाने में भी मददगार
उत्तर प्रदेश का निर्यात लगातार बढ़ रहा है और पिछले सात वर्षों में यह दोगुना हो गया है। 2017-2018 में प्रदेश का निर्यात 88 हजार करोड़ रुपये था, जो 2023-2024 में बढ़कर 170 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। कृषि उत्पादों के निर्यात में वृद्धि से अन्नदाता किसान खुशहाल होंगे। खास बात यह है कि प्राकृतिक खेती से होने वाले सुधार टिकाऊ, ठोस और स्थायी होंगे, जिससे किसानों को लंबे समय तक लाभ मिलेगा और उनकी आय में भी सुधार होगा।

गोवंश संरक्षण को लेकर कदम
सरकार का गोवंश के प्रति प्रेम जगजाहिर है। इसके तहत निराश्रित गोवंश के लिए गोआश्रय खोले गए हैं, जहां प्रति पशु भरण पोषण के लिए आर्थिक सहायता भी दी जाती है। हाल ही में पेश किए गए अनुपूरक बजट में इस पर 1001 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री की मंशा इन गोआश्रयों को आत्मनिर्भर बनाने की है और इसके लिए गोबर और मूत्र को आर्थिक रूप से उपयोगी बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत समय-समय पर स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम चलाए जाते हैं, साथ ही मनरेगा के तहत पशुपालकों को सस्ते में कैटल शेड, पशु बाड़ा और गोबर गैस लगाने की सुविधा भी दी जा रही है। इसके अलावा, मिनी नंदिनी योजना भी गोवंश के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से बनाई गई है, जिसमें योगी सरकार कई तरह के अनुदान प्रदान कर रही है।

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