बिजली कंपनियां आपत्तियों का जवाब देने में कर रहीं टालमटोल : नियामक आयोग से सख्त एक्शन-दरों में कमी घोषित करने की मांग

UPT | UP Electricity

Sep 17, 2024 20:08

उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग से कहा है कि जब बिजली कंपनियों के पास उपभोक्ता परिषद की आपत्तियों का सही जवाब नहीं है तो ऐसे में अब समय आ गया है कि बिजली दरों में कमी की घोषणा की जाए। साथ ही नियामक आयोग नई बिजली दर घोषित करे।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए बिजली दर निर्धारण करने को तेजी से अंतिम रूप देने में जुटा है। उत्तर प्रदेश विद्युत पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के अधिकारियों की कोशिश है कि किसी तरह से बिजली की दरें बढ़ जाए, जिससे वह अपनी वित्तीय ​हालत में सुधार कर सके। इसके लिए आयोग के सामने वह पहली अपनी दलीलें रखा चुका है। हालांकि उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उसकी दलीलों को खारिज करते हुए अपने तर्क दिए थे। संगठन ने आंकड़ों के जरिए अपनी बात रखी और नियामक आयोग से बिजली दरों में इजाफे के बजाय कमी की मांग पुरजोर तरीके से उठाई। अब आयोग को इस संबंध में जल्द अपना फैसला सुनाना है।

पावर कारपोरेशन के अधिकारियों के पास तार्किक जवाब नहीं
उपभोक्ता परिषद ने दावा किया है कि उसके उठाए सवालों का पावर कारपोरेशन के अधिकारियों के पास कोई तार्किक जवाब नहीं है। स्मार्ट मीटर से लेकर अन्य मुद्दों पर अब तक जो भी सवाल उठाए गए हैं, अधिकारी उस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए हैं। संगठन के अध्यक्ष और व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद की आपत्तियों का सही जवाब दाखिल करने में बिजली कंपनियों के पसीने छूट रहे हैं। उपभोक्ता परिषद ने पूरे तथ्यों के साथ आंकड़ों को रखा है। इसके आधार पर ही संगठन ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। बिजली कंपनियों के पास इसका जवाब नहीं है। अहम बात है कि आयोग ने इस महीने की शुरुआत में ही सभी बिजली कंपनियों व पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक को निर्देश जारी किया था कि तीन दिन के अंदर उपभोक्ताओं की उठाई गई सभी आपत्तियों का जवाब स्पष्ट रूप से जवाब दाखिल किया जाए। लेकिन करीब 15 दिन बीतने के बाद भी अधिकारी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।

बिजली दरों में कमी की तत्काल की जाए घोषणा
उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग से कहा है कि जब बिजली कंपनियों के पास उपभोक्ता परिषद की आपत्तियों का सही जवाब नहीं है तो ऐसे में अब समय आ गया है कि बिजली दरों में कमी की घोषणा की जाए। साथ ही नियामक आयोग नई बिजली दर को घोषित करे। संगठन का कहना है कि इससे पहले भी नियामक आयोग में उपभोक्ता परिषद की लगाई गई याचिकाओं के मामले में 90 फीसदी का जवाब बिजली कंपनियां गोलमोल देने में जुटी रहीं। इन मामलों में आयोग को सिर्फ यह लिखकर दिया गया कि संबंधित विंग से जवाब मंगाया जा रहा है। संगठ ने बिजली कंपनियों पर जवाब दाखिल करने में संवैधानिक व्यवस्था का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।

उपभोक्ताओं के 33122 करोड़ सरप्लस पर जवाब नहीं
उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि बिजली कंपनियों के पास उपभोक्ताओं के निकल रहे 33122 करोड़ पर कोई भी विधिक जवाब नहीं है। जब बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का इतना सरप्लस है तब फिर बिजली की दर घटनी ही चाहिए। संगठन इससे पहले भी उत्तर प्रदेश विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 का हवाला देते हुए बिजली की दरों में कमी की मांग कर चुका है। उसका कहना है कि सरप्लस धनराशि को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं है। संगठन ने आरोप लगाया कि इस मामले को केवल उलझाया जा रहा है। इसलिए विद्युत नियामक आयोग को अब स्वयं आगे आकर बिजली कंपनियों के खिलाफ जवाब नहीं दाखिल करने के लिए भी कठोर कदम उठाना चाहिए।

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