जरूरी खबर! : 50 साल से अधिक उम्र के स्वास्थ्य विभाग के लापरवाह कर्मचारी होंगे जबरन रिटायर, स्क्रीनिंग प्रक्रिया शुरू

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Dec 25, 2024 13:41

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में 50 साल या उससे अधिक आयु के लिपिक और आशुलिपिक कैडर के कर्मचारियों के कार्य प्रदर्शन और आचरण की जांच के लिए स्क्रीनिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में 50 साल या उससे अधिक आयु के लिपिक और आशुलिपिक कैडर के कर्मचारियों के कार्य प्रदर्शन और आचरण की जांच के लिए स्क्रीनिंग प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम लापरवाह, दागी और दोषी कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के उद्देश्य से उठाया गया है। शासन ने इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।

स्क्रीनिंग प्रक्रिया का उद्देश्य और प्रावधान
स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रशासन शिव सहाय अवस्थी ने सभी विभागाध्यक्षों, अपर निदेशकों और महानिदेशक को पत्र लिखकर इस प्रक्रिया के आदेश जारी किए हैं। 1985 और 1989 में जारी शासनादेशों के तहत यह प्रावधान है कि 50 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मचारियों को तीन महीने का नोटिस या तीन महीने का वेतन देकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है। इस आदेश के अनुसार, 31 मार्च 2024 तक 50 वर्ष की आयु पूरी करने वाले कर्मचारियों का कार्यक्षमता और आचरण का मूल्यांकन किया जाएगा। अगर कोई कर्मचारी शासन द्वारा निर्धारित मानकों पर खरा नहीं उतरता, तो उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है।

रिपोर्ट के लिए 15 बिंदुओं पर जानकारी अनिवार्य
विभागाध्यक्षों से 15 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई है, जिसमें कर्मचारियों की तैनाती का वर्ष, सेवाकाल, उन पर लगे आरोप, शिकायतें, जांच रिपोर्ट और दी गई सजा की जानकारी शामिल है। इसके साथ ही उनके कार्य व्यवहार और दक्षता को लेकर फीडबैक भी मांगा गया है।



स्क्रीनिंग और निर्णय प्रक्रिया
मंडल स्तर पर तैयार की गई रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर संबंधित अपर निदेशक को भेजी जाएगी। इसके बाद 15 दिन के अंदर यह रिपोर्ट तीन सदस्यीय कमेटी को सौंपी जाएगी। यह कमेटी रिपोर्ट की समीक्षा कर अंतिम निर्णय लेगी कि किन कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जानी है।

सरकार का स्पष्ट संदेश
इस निर्णय से सरकार ने यह संदेश दिया है कि सरकारी तंत्र में लापरवाही और अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। स्क्रीनिंग प्रक्रिया के जरिए न केवल कर्मचारियों की कार्यक्षमता का आंकलन होगा, बल्कि सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और जिम्मेदारी भी सुनिश्चित की जाएगी।

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