UP News : जल जीवन मिशन में सोलर पावर मॉडल को अपनाएंगे अन्य राज्य, इनोवेशन स्टेट के रूप में चुना गया प्रदेश

UPT | जल जीवन मिशन में सोलर पावर मॉडल को अपनाएंगे अन्य राज्य

Nov 20, 2024 21:34

यूपी में जल जीवन मिशन की सोलर पावर आधारित परियोजनाओं की सफलता अब पूरे देश के सामने आएगी। केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित रीजनल कॉन्फ्रेंस ऑन गुड गवर्नेंस में उत्तर प्रदेश के जल जीवन मिशन की सोलर पावर तकनीक का डंका बजेगा।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन की सोलर पावर आधारित परियोजनाओं की सफलता अब पूरे देश के सामने आएगी। केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित रीजनल कॉन्फ्रेंस ऑन गुड गवर्नेंस में उत्तर प्रदेश के जल जीवन मिशन की सोलर पावर तकनीक का डंका बजेगा। इस सम्मेलन में देशभर से आए आईएएस अफसर यह जानेंगे कि किस प्रकार उत्तर प्रदेश जल जीवन मिशन की परियोजनाओं में सोलर पावर का उपयोग करके परियोजना की लागत को कम कर रहा है, साथ ही पर्यावरण को सुरक्षित करने में भी अहम भूमिका निभा रहा है।

जल जीवन मिशन में सोलर पावर की भूमिका पर चर्चा   
21 नवंबर से शुरू होने वाली इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस के पहले सत्र में नमामि गंगे विभाग के अपर मुख्य सचिव जल जीवन मिशन में सोलर पावर के उपयोग पर जानकारी देंगे। इस सत्र के दौरान दूसरे राज्यों के अफसरों को यह बताया जाएगा कि कैसे उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में जल जीवन मिशन को सफलता से लागू किया गया और इन परियोजनाओं को लंबे समय तक सोलर पावर के जरिए चलाने का मॉडल अपनाया गया।



सोलर पावर आधारित जल जीवन मिशन परियोजनाएं
उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत 80 प्रतिशत से अधिक परियोजनाएं सोलर पावर पर आधारित हैं, जो इसे देश का पहला राज्य बनाता है, जहां इतने बड़े पैमाने पर सोलर पावर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस सम्मेलन का उद्देश्य अन्य राज्यों को उत्तर प्रदेश के इस मॉडल को अपनाने के लिए प्रेरित करना है, ताकि बिजली की बचत हो सके और परियोजनाएं लंबी अवधि तक चल सकें। यूपी में जल जीवन मिशन के तहत कुल 41 हजार 539 परियोजनाएं हैं, जिनमें से 33 हजार 157 परियोजनाओं में सोलर एनर्जी का उपयोग हो रहा है, जिससे रोजाना 900 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है।

सोलर तकनीक से जलापूर्ति की लागत में कमी
सोलर पावर का उपयोग करने से गांवों में जलापूर्ति की लागत में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है और अब पानी की आपूर्ति के लिए बिजली पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। इसके अलावा, इन सौर ऊर्जा संयंत्रों की आयु 30 साल होती है, और इनकी मदद से 30 सालों में करीब 1 लाख करोड़ रुपये की बचत की जा सकेगी। इन परियोजनाओं से सालाना लगभग 13 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन भी कम होगा।

12.50 लाख ग्रामीणों को मिला प्रशिक्षण
जल जीवन मिशन के तहत सोलर पंपों के संचालन के लिए 12.50 लाख ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया गया है। इन ग्रामीणों को प्रशिक्षित करने का उद्देश्य है कि वे इन सोलर परियोजनाओं का संचालन और रखरखाव स्वयं कर सकें।उत्तर प्रदेश की यह सफलता अब अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल बनकर सामने आ रही है और इसे व्यापक रूप से अपनाए जाने की उम्मीद है।

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