National Legal Services Authority : न्यायमूर्ति बी.आर. गवई बने नालसा के नए कार्यकारी अध्यक्ष

UPT | न्यायमूर्ति बी.आर. गवई

Nov 14, 2024 18:33

प्रचलित परंपरा के अनुसार, नालसा का कार्यकारी अध्यक्ष सर्वाेच्च न्यायालय के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं। न्यायमूर्ति गवई, जो पहले सर्वाेच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति (सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी) के अध्यक्ष थे, अब इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को संभालेंगे।

Lucknow News : राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई को कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर नामित किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 3(2) के खंड (बी) के तहत किए गए अधिकारों के तहत उन्हें नामित किया है।इसे 11 नवंबर 2024 से प्रभावी माना जाएगा। 

सर्वाेच्च न्यायालय के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष
विधि एवं न्याय मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना 8 नवंबर को प्रकाशित की थी। पूर्व में यह पद मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के पास था। प्रचलित परंपरा के अनुसार, नालसा का कार्यकारी अध्यक्ष सर्वाेच्च न्यायालय के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं। न्यायमूर्ति गवई पहले सर्वाेच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति (सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी) के अध्यक्ष थे। अब वह इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को संभालेंगे। 



नालसा के मिशन को किया जाएगा मजबूत 
कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति गवई का उद्देश्य नालसा के मिशन को और मजबूत करना है, जो विशेष रूप से समाज के हाशिए पर रहने वाले और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को नि:शुल्क एवं सुलभ विधिक सहायता प्रदान करने के लिए कार्यरत है। उनके नेतृत्व में नालसा संविधान के अनुच्छेद 39-क के तहत सभी नागरिकों को न्याय सुलभ कराने की दिशा में और मजबूती से कदम बढ़ाएगा।

आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को नि:शुल्क एवं सुलभ विधिक सहायता मुहैया कराना है मकसद
नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति गवई का उद्देश्य सभी नागरिकों को विशेष रूप से वंचित और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को पूरे भारत में सुलभ और नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करना है। उनके नेतृत्व में नालसा संविधान के अनुच्छेद 39-क के तहत सभी नागरिकों को न्याय सुलभ कराने की दिशा में और मजबूती से कदम बढ़ाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी नागरिक को आर्थिक या सामाजिक बाधाओं के कारण न्याय से वंचित न रहना पड़े।

Also Read