कठौता झील में जल संकट : बालू दिखने लगी, शारदा नहर से सप्लाई नहीं होने पर पांच लाख की आबादी होगी प्रभावित

UPT | Kathauta Lake

Nov 11, 2024 15:27

जलकल के अधिकारियों के मुताबिक, शारदा नहर से पानी यदि एक दो दिन में पानी नहीं छोड़ा गया, तो कठौता झील में जलस्तर इतना कम हो जाएगा कि इंदिरानगर और गोमतीनगर की जनता को पानी की कमी झेलनी पड़ेगी।

Lucknow News : शहर में कठौता झील में जल संकट गहराता जा रहा है। जलस्तर घटने से झील में अब बालू दिखने लगी है। यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि इंदिरानगर और गोमतीनगर की लगभग पांच लाख की आबादी इस झील से जलापूर्ति पर निर्भर है। अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो जल्द ही यहां पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ सकता है। 

शारदा नहर से पानी की आपूर्ति बंद
लखीमपुर खीरी की शारदा सहायक नहर साल में दो बार सफाई और मरम्मत के उद्देश्य से बंद की जाती है। 12 अक्तूबर को शारदा नहर को मरम्मत के लिए 28 दिनों के लिए बंद किया गया था। तय समय के अनुसार, 10 नवंबर को नहर से पानी छोड़ना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसका परिणाम यह हुआ कि अब कठौता झील तक पानी पहुंचने की संभावना 15 नवंबर से पहले नहीं है। जलकल के महाप्रबंधक कुलदीप सिंह के अनुसार, कठौता झील में अब मात्र छह दिन का पानी शेष है। यह स्थिति जल संकट की ओर इशारा कर रही है। फिलहाल भरवारा झील से भी जलापूर्ति की जा रही है, लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं है।



इंदिरानगर और गोमतीनगर की आबादी होगी प्रभावित
जलकल के अधिकारियों के मुताबिक, शारदा नहर से पानी यदि एक दो दिन में पानी नहीं छोड़ा गया, तो कठौता झील में जलस्तर इतना कम हो जाएगा कि इंदिरानगर और गोमतीनगर की जनता को पानी की कमी झेलनी पड़ेगी। लखीमपुर से पानी आने में तीन से चार दिन का समय लगता है और झील का जलस्तर बढ़ने में एक और दिन लग जाता है। इस प्रक्रिया में देरी से पानी की कमी और गंभीर हो जाएगी।

समय पर पानी नहीं छोड़ा गया तो बढ़ेगी समस्या
जलकल के अफसरों के मुताबिक सिंचाई विभाग से बातचीत जारी है और उनके अनुसार, जल्द पानी छोड़ दिया जाएगा। लेकिन, एक दो दिन से अधिक इसमें और देरी होती है, तो जल संकट और विकराल रूप ले सकता है। यह स्थिति जलकल विभाग और सिंचाई विभाग के बीच तालमेल की कमी की ओर भी इशारा कर रही है। 

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