केजीएमयू के शोध में बड़ी उपलब्धि : बायोप्सी के बिना माइक्रो आरएनए से प्रोस्टेट कैंसर की पहचान में मिली कामयाबी

UPT | Prostate Cancer

Nov 04, 2024 09:24

अध्ययन में बताया गया कि भारत समेत एशिया के अन्य देशों में समय के साथ प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बढ़ती जागरूकता और प्रभावी निदान के बावजूद, प्रोस्टेट कैंसर से मृत्यु दर 13.9 प्रतिशत तक बढ़ गई है। यह दर्शाता है कि इस नई तकनीक से निदान में तेजी लाकर मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है।

Lucknow News : किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के चिकित्सकों ने प्रोस्टेट कैंसर की पहचान को ज्यादा सटीक और आसान बनाने के लिए नई तकनीक का सफल परीक्षण किया है। इस तकनीक के तहत, कैंसर के सटीक पहचान के लिए माइक्रो आरएनए की जांच की जाएगी, जिससे बायोप्सी की आवश्यकता नहीं होगी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के सहयोग से किए गए इस अध्ययन को इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित किया गया है, जो कैंसर निदान के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है।

अध्ययन में चार समूहों में विभाजित 188 लोगों का परीक्षण
अध्ययन के दौरान 188 लोगों को चार समूहों में बांटा गया। पहले समूह में 55 स्वस्थ व्यक्तियों को शामिल किया गया, जबकि दूसरे समूह में सौम्य प्रोस्टेट हाइपरप्लासिया के 60 मरीज थे। तीसरे समूह में प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित 48 लोग थे। चौथे समूह में हार्मोन-प्रतिरोधी प्रोस्टेट कैंसर के 25 मरीज शामिल थे। इन समूहों में माइक्रो आरएनए प्रोफाइलिंग का उपयोग करके मात्रात्मक पोलीमरेज चेन रिएक्शन (क्यूपीसीआर) की प्रक्रिया से उनका परीक्षण किया गया।



एमआईआर-363-3पी: प्रोस्टेट कैंसर का महत्वपूर्ण बायोमार्कर
अध्ययन में पाया गया कि प्रोस्टेट कैंसर और अन्य संबंधित समूहों में एमआईआर-363-3पी की अधिकता मिली, जो सामान्य व्यक्तियों के मुकाबले कहीं अधिक थी। इस प्रकार, एमआईआर-363-3पी को प्रोस्टेट कैंसर का महत्वपूर्ण बायोमार्कर माना जा सकता है। इस बायोमार्कर की पहचान से प्रोस्टेट कैंसर का जल्दी पता लगाया जा सकेगा, जिससे इलाज की प्रक्रिया भी अधिक प्रभावी हो सकेगी।

भारत में प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी का संकेत
अध्ययन में बताया गया कि भारत समेत एशिया के अन्य देशों में समय के साथ प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बढ़ती जागरूकता और प्रभावी निदान के बावजूद, प्रोस्टेट कैंसर से मृत्यु दर 13.9 प्रतिशत तक बढ़ गई है। यह दर्शाता है कि इस नई तकनीक से निदान में तेजी लाकर मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है।

प्रोस्टेट कैंसर के वैश्विक आंकड़े और स्थिति
कैंसर सांख्यिकी 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व स्तर पर पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर, फेफड़ों के कैंसर के बाद दूसरा सबसे आम कैंसर है। प्रोस्टेट कैंसर से होने वाली मौतों में इसका पांचवां स्थान है, जो समय पर निदान और उचित उपचार की महत्वपूर्ण आवश्यकता को दर्शाता है। ऐसे में केजीएमयू द्वारा अपनाई गई यह नई तकनीक एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दे रही है।

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