KGMU : हादसे में गुर्दे की चोट को नजरअंदाज करने पर ब्लड प्रेशर का खतरा, समय पर इलाज जरूरी

UPT | KGMU

Nov 09, 2024 20:19

केजीएमयू ट्रॉमा सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि सड़क हादसों की प्रमुख वजहों में मोबाइल पर बात करना शामिल है। ट्रॉमा सेंटर में मरीजों और उनके तीमारदारों से मिली जानकारी से पता चलता है कि कई दुर्घटनाएं ड्राइवर द्वारा मोबाइल पर बात करने के कारण होती हैं। वाहन चलाते समय ध्यान भंग होने से गाड़ी गलत दिशा में मोड़ी जा सकती है, जिससे हादसा होता है।

Lucknow News : सड़क दुर्घटनाओं में पेट में लगने वाली चोटों से कई बार गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के जनरल सर्जरी विभाग के डॉ. एचएस पहवा ने बताया कि ऐसी चोटों की वजह से पेशाब में खून आ सकता है और गुर्दे पर चोट लगने की स्थिति में ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शुरुआती इलाज के बाद भी लंबी अवधि तक निगरानी आवश्यक होती है ताकि ब्लड प्रेशर के असामान्य स्तर की पहचान हो सके।

गुर्दे की चोट और इलाज की चुनौतियां
डॉ. पहवा ने कहा कि अतीत में सड़क हादसों में गुर्दे की चोटों का इलाज कठिन था और कई मामलों में बड़े चीरे की आवश्यकता होती थी। रक्तस्राव को रोकने के लिए कभी-कभी गुर्दा निकालना पड़ता था। लेकिन, आधुनिक तकनीकों, जैसे अल्ट्रासाउंड और सिटी गाइडेड इम्बुलाइजेशन, से अब बिना बड़े ऑपरेशन के ही रक्तस्राव रोका जा सकता है। महीन तार डालकर इलाज करने से मरीज को कम समय अस्पताल में रहना पड़ता है और ऑपरेशन के दर्द से भी मुक्ति मिलती है।



मोबाइल पर बात करना सड़क हादसों की प्रमुख वजह 
केजीएमयू ट्रॉमा सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि सड़क हादसों की प्रमुख वजहों में मोबाइल पर बात करना शामिल है। ट्रॉमा सेंटर में मरीजों और उनके तीमारदारों से मिली जानकारी से पता चलता है कि कई दुर्घटनाएं ड्राइवर द्वारा मोबाइल पर बात करने के कारण होती हैं। वाहन चलाते समय ध्यान भंग होने से गाड़ी गलत दिशा में मोड़ी जा सकती है, जिससे हादसा होता है।

जिलास्तर पर ट्रॉमा केयर की आवश्यकता
डॉ. समीर मिश्र ने कहा कि समय पर इलाज से गंभीर ट्रॉमा मरीजों की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जिलास्तर पर मेडिकल कॉलेज और ट्रॉमा सेंटरों की सुविधाओं में सुधार करना आवश्यक है ताकि दुर्घटना के तुरंत बाद मरीजों को प्राथमिक चिकित्सा और जांचें मिल सकें। इसके अलावा, डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को नियमित रूप से ट्रॉमा मैनेजमेंट का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे किसी भी आपात स्थिति से प्रभावी रूप से निपट सकें।

Also Read