Sawan 2024 : सावन के पहले सोमवार पर 151 लीटर दूध से होगा मनकामेश्वर महादेव का अभिषेक, जानें त्रेतायुग से जुड़ी मान्यता

UPT | Mankameshwar Mahadev lucknow

Jul 21, 2024 20:27

विशेष कार्याधिकारी ने बताया कि सावन के सोमवार की मध्य रात्रि के बाद प्रातः काल भगवान शिव का 151 लीटर दूध से अभिषेक किया जाएगा, इस दुग्धाभिषेक से फलाहारी खीर बनाई जाती है। यह खीर श्रद्धालुओं में वितरित की जाती है। सावन में आमतौर पर श्रद्धालुओं का उपवास होता है, ऐसे में फलहारी खीर और फल आदि का वितरिण कर उनकी सेवा की जाती है।

Short Highlights
  • मनकामेश्वर महादेव को अर्पित दूध से बनाई फलाहारी खीर का श्रद्धालुओं-गरीबों में होगा वितरण
  • मंदिर प्रबंधन का श्रद्धालुओं से पात्रों में दूध डालने का अनुरोध
Lucknow News : भगवान शिव को समर्पित सावन माह की 22 जुलाई से शुरुआत हो रही है। इस बार का सावन इसलिए भी 
विशेष है, क्योंकि इसका शुभारंभ और समापन भगवान भोलेशंकर के सबसे प्रिय दिन सोमवार से हो रहा है। राजधानी के सभी प्रमुख शिवालयों में रविवार देर रात से ही भक्तों की लंबी लंबी कतारें लगनी शुरू हो जाएंगी। हर कोई सावन के सोमवार पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करना चाहता है, इसलिए प्रमुख शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ को लेकर विशेष प्रबंध किए गए हैं।  

त्रेताकाल में लक्ष्मणजी ने की थी शिव आराधना
डालीगंज स्थित रामायण कालीन मनकामेश्वर मंदिर का श्रद्धालुओं में बेहद महत्व है। मन की कामना पूरी करने के कारण इसका नाम मनकामेश्वर मंदिर पड़ा। मनकामेश्वर मंदिर के विशेष कार्याधिकारी जगदीश गुप्ता ने बताया कि आदि गंगा मां गोमती नदी के तट पर विराजमान मनकामेश्वर महादेव बाबा त्रेताकालीन समय से जगमगा रहे हैं। इस मंदिर में भगवान शिव की विशाल शिवलिंग है। मान्यता के अनुसार यहां मनकामेश्वर बाबा रामायण काल के हैं। जब माता सीता को लक्ष्मणजी वनवास छोड़कर वापस अयोध्या जा रहे थे, तो उनका मन काफी व्यथित था। उन्होंने इसी स्थान पर रात्रि विश्राम कर भोर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। इसके बाद उनका मन शांत हुआ। यही वजह है कि आज भी मनकामेश्वर द्वार के प्रवेश के साथ ही स्वत: ही मन को शांति मिल जाती है। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु 40 दिन तक लगातार मनकामेश्वर महादेव का दर्शन-जलाभिषेक आदि करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।

मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की भीड़ को लेकर जिला प्रशासन का इंतजाम 
उन्होंने बताया कि सावन की शुरुआत से ही यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो जाता है। इसके लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। मंदिर के अंदर मूर्तियों की पेंटिंग, सजावट आदि का काम पूरा हो गया है। सावन के पहले सोमवार पर भारी भीड़ के मद्देनजर मंदिर प्रबंधन ने इंतजाम किए हैं। वहीं बाहर श्रद्धालुओं को कोई ​दिक्कत नहीं हो, इसके लिए जिला प्रशासन को पहले ही अवगत करा दिया गया है। पुलिस विभाग, चिकित्सा विभाग, यातायात विभाग, सिविल डिफेंस इन सभी को श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर आवश्यक सेवाओं का प्रबंध करने को कहा गया है, क्योंकि मंदिर के बाहर की व्यवस्था जिला प्रशासन के हवाले होती है।

भगवान भोलेनाथ को थोड़ा दूध चढ़ाने के साथ बाकी पात्रों में डालें
विशेष कार्याधिकारी ने बताया कि सावन के सोमवार की मध्य रात्रि के बाद प्रातः काल भगवान शिव का 151 लीटर दूध से अभिषेक किया जाएगा, इस दुग्धाभिषेक से फलाहारी खीर बनाई जाती है। यह खीर श्रद्धालुओं में वितरित की जाती है। सावन में आमतौर पर श्रद्धालुओं का उपवास होता है, ऐसे में फलहारी खीर और फल आदि का वितरिण कर उनकी सेवा की जाती है। ऐसे में जो श्रद्धालु मनकामेश्वर महादेव को दुग्धाभिषेक करेंगे, उनसे अपील है कि थोड़ी मात्रा में शिविलंग पर उसे अर्पित करें, बा​की का दूध वहां रखे पात्रों में डाल दें, जिससे उसकी खीर बनाकर भगवान को प्रसाद के रूप में अर्पित की जा सके और फिर उसका वितरण हो। उन्होंने कहा कि पात्रों के दूध के जरिए खीर भी भगवान शंकर को प्रसाद के रूप में चढ़ायी जाती है, इसलिए उसका भी उतना ही महत्व है। ये खीर श्रद्धालुओं और गरीबों को वितरित करने से दूध पात्र में डालने वाले को भी पुण्य मिलेगा।

यमन आक्रमणकारियों ने लूटे थे मंदिर की चोटी पर लगे 23 स्वर्ण कलश, नागा साधुओं ने हासिल किया कब्जा 
मनकामेश्वर मंदिर के ऐतिहासिक स्वरूप की बात करें तो इसका निर्माण राजा हर नव धनु ने अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करने के बाद करवाया था, जिसकी चोटी 23 स्वर्ण कलश से सुसज्जित थी। 12वीं शताब्दी के यमनी आक्रमणकारियों ने इस मंदिर का सारा स्वर्ण लूट कर इस मंदिर को नष्ट कर दिया था। इसके बाद जूना अखाड़ा के नागा साधुओं ने इसे हासिल किया और वैभव लौटाने का प्रयास किया। वर्तमान मंदिर का निर्माण कार्य सेठ पूरन चंद्र ने कराया। वर्ष 1933 के करीब इस मंदिर का नाम मनकामेश्वर मठ-मंदिर पड़ा। जूना अखाड़े के संचालन से ही यहां का विधान है कि सोमवार को महादेव की आरती मनकामेश्वर मंदिर का वर्तमान महंत करें। वर्तमान में महंत दिव्यागिरी मंदिर की महंत हैं, जो इस परंपरा को निभाती आ रही हैं। वह इस मंदिर की छठवीं महंत हैं। 

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