नई एमआरआई से ब्रेन ट्यूमर की सटीक पहचान करना संभव होगा। इससे ऑपरेशन की सफलता की दर में भी इजाफा होगा।
Lucknow News : केजीएमयू में एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) को लेकर मरीजों को अब पहले से बेहतर सुविधा मिलेगी। साथ ही प्रतीक्ष सूची भी कम होगी। रेडियोडयग्नोसिस विभाग में गुरुवार को आधुनिक 3-टेस्ला एमआरआई और 160-स्लाइस सीटी स्कैनर की नई मशीन लगाई गई। इसका काफी समय से इंतजार किया जा रहा था। केजीएमयू की कुलपति सोनिया नित्यानंद और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के ग्लोबल डेवलपमेंट डिवीजन अध्यक्ष डॉ. क्रिस एलियास ने इसका उद्घाटन किया।
अभी तक 1:5 टेस्ला से होती है मरीजों की एमआरआई जांच
केजीएमयू के चिकित्सकों के मुताबिक अभी तक 1:5 टेस्ला से मरीजों की एमआरआई जांच की जाती रही है। इसका संचालन पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत किया जाता है। वहीं मौजूदा मशीन काफी एडवांस है। पुरानी मशीन के मुकाबले 3-टेस्ला एमआरआई में दोगुनी चुम्बकीय क्षमता है। इसके जरिए शोध में भी मदद मिलेगी। चिकित्सकों के मुताबिक 3-टेस्ला से शुरुआती दौर में बीमारी का पता लगाना संभव होगा। इस तरह ये मरीज के इलाज में काफी मददगार होगी। वक्त रहते बीमारी का पला लगने पर मरीज का सटीक इलाज किया जा सकेगा।
ब्रेन ट्यूमर की सटीक पहचान में मिलेगी मदद
रेडियोडायग्नोसिस विभाग के प्रमुख डॉ. अनित परिहार ने बताया कि नई एमआरआई से ब्रेन ट्यूमर की सटीक पहचान करना संभव होगा। इससे ऑपरेशन की सफलता की दर में भी इजाफा होगा। साथ ही 3 टेस्ला मशीन इस लिहाज से भी मददगार होगी कि मरीज पर दवा का कितना असर हो रहा है। उन्होंने बताया कि गर्भाशय ग्रीवा, स्तन, सिर और गर्दन के कैंसर सहित अन्य कैंसर का पता लगाने और स्टेजिंग में ये मशीन काफी बेहतर रिजल्ट देनी वाली साबित होगी। इसके जरिए पूरे शरीर में गांठ, ट्यूमर और कैंसर की पहचान करने में मदद मिलेगी। साथ ही क्रोनिक किडनी डिजीज रोगियों सहित मधुमेह, उच्च रक्तचाप को लेकर भी यह मददगार साबित होगी। इसके साथ ही 160-स्लाइस सीटी स्कैनर की नई मशीन शताब्दी फेज एक में लगायी गई है। इसके जरिए इमेजिंग और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी में काफी मदद मिलेगी। साथ ही सीटी-गाइडेड बायोप्सी और प्रत्यारोपण रोगियों को पहले से बेहतर सुविधा मिल सकेगी।
एमआरआई और सीटी स्कैन में इस तरह काम करती है मशीन
एमआरआई एक मेडिकल इमेजिंग टेक्निक है, जिसकी मदद से हमारे शरीर के अंदर की तस्वीरें ली जाती हैं। फिर उन छवियों से शरीर में पनपी बीमारी का पता लगाया जाता है। इसका इस्तेमाल दिमाग से जुड़ी बीमारियों का पता लगाने के लिए अहम है। एमआरआई में शरीर के अंदर की तस्वीरें लेने के लिए मैग्नेटिक और रेडियो तरंगों का उपयोग होता है। यह टेस्ट नरम ऊतक इमेजिंग के लिए बेहतर होता है। आमतौर पर मस्तिष्क, रीढ़ और अंगों की विस्तृत जांच के लिए उपयोग किया जाता है। साथ ही यह जोड़ों, दिमाग, कलाई, टखने, छाती, हृदय, रक्त वाहिकाओं की जांच के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है। वहीं सीटी स्कैन में शरीर के अंदर के अंगों की क्रॉस सेक्शनल इमेज बनाने के लिए एक्स-रे का उपयोग करती है।