नजूल संपत्ति विधेयक : प्रवर समिति दो महीने में सौंपेगी अपनी रिपोर्ट, शीतकालीन सत्र में फिर होगा पेश! भूपेंद्र चौधरी ने किया दावा

UPT | Nazul Property Bill

Aug 02, 2024 20:32

भूपेंद्र चौधरी ने बिल को लेकर भाजपा और सहयोगी दलों के भी विरोध को लेकर कहा कि सभी सदस्यों को यह अधिकार है कि बिल को लेकर वह अपना पक्ष सदन में रखें और अपने सुझाव दें। यह कोई राजनीतिक विषय नहीं है, यह जनहित से विषय जुड़ा हुआ है।

Short Highlights
  • भूपेंद्र चौधरी बोले- असहज स्थिति से बचने के लिए किया फैसला
  • यह कोई राजनीतिक विषय नहीं जनहित से जुड़ा मामला
Lucknow News : उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक-2024 को लेकर योगी सरकार के बैकफुट में आने को लेकर चर्चा तेज हो गई है। ये सवाल उठ रहा है​ कि आखिर इस विधेयक को इतनी जल्दबाजी में लाने की  क्या जरूरत थी? जब विधान परिषद में इसे प्रवर समिति के हवाले किया गया तो उससे पहले इस पर गहराई से मंथन क्यों नहीं​ किया गया। जिस तरह से भाजपा के ही विधायकों ने इसका विरोध किया, उससे सदन में सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। अगर विधायकों की राय पहले ही ले ली गई होती तो इस तरह के हालात नहीं बनते। सहयोगी दलों की नाराजगी का भी मुद्दा नहीं बनता। 

प्रवर समिति के नाम जल्द किए जाएंगे तय
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक के साथ प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी में जिस तरह से विधान परिषद में इसे प्रवर समिति में भेजने का निर्णय किया गया। अगर सरकार पहले से इस पर सजग होती तो ये कदम नहीं उठाना पड़ता। वहीं अब इस मामले में सरकार के पास फिलहाल दो महीने का वक्त है। विधान परिषद सभापति मानवेंद्र सिंह ने इसके लिए दो महीने का वक्त दिया है। अब प्रवर समिति के सदस्यों के नाम जल्द तय होने के बाद वह इस पर मंथन कर अपने सुझाव व रिपोर्ट सौंपेंगे। ऐसे में शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को संशोधन के साथ फिर से पेश करने की चर्चा शुरू हो गई है। 

सुझाव के बाद उच्च सदन में किया जाएगा पारित
इस बीच भूपेंद्र चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि मानसून सत्र की निश्चित समय सीमा होने के कारण इसे प्रवर समिति को सौंपा गया है। अब इसमें व्यापक रूप से विचार विमर्श किया जाएगा। सदस्यों से सुझाव लेकर सदन में सभापति के सम्मुख विधेयक को प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे उसे आगे पारित किया जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी बिल को लेकर जो प्रक्रिया होती है, उसी के तहत ये निर्णय किया गया है। 

हर सदस्य को अपनी बात कहने का अधिकार
भूपेंद्र चौधरी ने बिल को लेकर भाजपा और सहयोगी दलों के भी विरोध को लेकर कहा कि सभी सदस्यों को यह अधिकार है कि बिल को लेकर वह अपना पक्ष सदन में रखें और अपने सुझाव दें। यह कोई राजनीतिक विषय नहीं है, यह जनहित से विषय जुड़ा हुआ है। हमारी पार्टी और हमारी सरकार जनता के हित के लिए संकल्पित है। उन्होंने कहा कि यह तय हुआ कि बातचीत के जरिए, आपस में सारे पहलुओं पर एक बार फिर विचार किया जाए। ऐसा कोई निर्णय नहीं हो, ​जिससे जनता को नुकसान और असहज स्थिति का सामना करना पड़े। 

एनडीए के सभी सदस्यों के एक राय होने का दावा
भूपेंद्र चौधरी ने कहा​ कि इससे पहले भी कई बिल प्रवर समिति को भेजे जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा और विधान परिषद दो सदन व्यवस्था है। ऐसे में प्रवर समिति को बिल भेजना एक प्रक्रिया है। यह स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अब इस पर विस्तार से चर्चा होगी, राय ली जाएगी। सभापति मानवेंद्र सिंह ने प्रवर समिति के लिए दो महीने का समय तय किया है। समिति के सदस्यों के नाम सभापति तय करेंगे और वह सभी मिलकर बातचीत करके, उन सारे पहलुओं का आकलन करेंगे, जो जनता और प्रदेश के हित में हो। इसके बाद प्रवर समिति अपने सुझाव सभापति के सम्मुख रखेगी। उन्होंने कहा कि एनडीए के सहयोगी दल भी विधान परिषद में इस दौरान मौजूद रहे। सभी ने ध्वनि मत से इसे प्रवर समिति को सौंपने पर अपनी सहमति दी है। इसलिए सभी की राय एक है। 

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