व्यापारी की गिरफ़्तारी का मामला : प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव ने पुलिस की कार्यशैली पर जताई नाराजगी

UPT | गदागंज लूट मामले का पीड़ित रवि चौरसिया।

Sep 10, 2024 23:47

रायबरेली पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं, खासकर तब जब पीड़ित रवि चौरसिया ने अपनी आपबीती बताई।

Rae Bareilly News : रायबरेली पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं, खासकर तब जब पीड़ित रवि चौरसिया ने अपनी आपबीती बताई। इस मामले को लेकर पहले ही कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जताई है।

दीपू गुप्ता को बनाया लुटेरा
पीड़ित रवि चौरसिया के अनुसार, पुलिस ने लूट के मामले में गिरफ्तार किए गए दीपू गुप्ता को उनके सामने पेश किया था। रवि ने साफ तौर पर कहा कि दीपू लूट में शामिल नहीं था। इसके बावजूद पुलिस ने शिनाख्त के बाद भी निर्दोष दीपू गुप्ता को जेल भेज दिया। यह घटना गदागंज थाना क्षेत्र की है, जहां 20 अगस्त को रवि चौरसिया, जो जन सुविधा केंद्र संचालक हैं, अपनी दुकान बंद कर घर लौट रहे थे। तभी बाइक सवार बदमाशों ने उनके हाथ से बैग छीन लिया, जिसमें 8 लाख रुपये थे। बदमाश जल्दबाजी में बैग को सड़क किनारे ही छोड़कर फरार हो गए थे क्योंकि अचानक सामने से एक वाहन आ गया था।

दीपू गुप्ता का नेक काम बना सजा
दीपू गुप्ता, जो एक व्यापारी हैं, ने बाद में यह बैग सड़क किनारे पाया और इसे इलाके के प्रतिष्ठित लोगों के साथ मिलकर थाने में जमा करा दिया। लेकिन गदागंज के एसओ राकेश चंद्र आनंद ने इसे लूट की बरामदगी दिखाकर दीपू को ही इस मामले में आरोपी बना दिया। यहां तक कि तैनात सीओ अरुण नौवहार ने भी बिना कोई जांच किए एसओ की कहानी पर विश्वास कर लिया और दीपू को 26 अगस्त को जेल भेज दिया गया।

विवेचना के बाद दीपू की रिहाई
दीपू गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद व्यापारियों में आक्रोश फैल गया और कई दिनों तक धरना प्रदर्शन हुआ। इस प्रदर्शन के बाद पुलिस कप्तान ने मामले की विवेचना डलमऊ एसओ पवन सोनकर को सौंपी। विवेचना के बाद पवन सोनकर ने कोर्ट में दी गई रिपोर्ट में बताया कि दीपू गुप्ता ने नेक नियति से बैग को थाने में जमा कराया था। इसके बाद दीपू को फर्जी आरोपों में जेल भेजने की बात सामने आई। 12 दिनों बाद, शनिवार को कोर्ट ने दीपू को रिहा कर दिया।

पुलिस पर उठे सवाल, असली लुटेरे अब भी फरार
दीपू और उसके परिवार ने इन 12 दिनों में जिस मानसिक पीड़ा का सामना किया, उसकी भरपाई कैसे होगी, यह सवाल अब भी बना हुआ है। पुलिस के किसी भी अधिकारी ने इस बारे में जवाब नहीं दिया है। उधर, पीड़ित रवि चौरसिया का कहना है कि पुलिस अब तक असली लुटेरों तक नहीं पहुंच पाई है। इस पूरे मामले में किसी भी उच्चाधिकारी ने पुलिस का पक्ष सामने नहीं रखा है, जिससे सवाल और भी गहरे हो गए हैं। 

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