रायबरेली में फर्जी जन्मप्रमाण पत्र घोटाला : एक दिन में बना दिए हजार से ज्यादा सर्टिफिकेट, गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट मांगी

UPT | रायबरेली में फर्जी जन्मप्रमाण पत्र घोटाला

Aug 18, 2024 12:23

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के फर्जी जन्मप्रमाण पत्र मामले को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है। गृह मंत्रालय के महारजिस्ट्रार कार्यालय ने इस संबंध में रिपोर्ट तलब की है...

New Delhi / Raibareli : उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के फर्जी जन्मप्रमाण पत्र मामले को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है। गृह मंत्रालय के महारजिस्ट्रार कार्यालय ने इस संबंध में रिपोर्ट तलब की है। उत्तर प्रदेश एटीएस की एक टीम पहले ही इस मामले की जांच कर रही है। मुख्य आरोपी मोहम्मद जीशान समेत 17 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार करके जेल भेजा जा चुका है। जांच में पता चला है कि एक ही दिन में लगभग एक हजार फर्जी प्रमाणपत्र बनाए गए थे।

नूरुद्दीनपुर गांव गड़बड़ी का केन्द्र बना
इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने जांच बैठा दी थी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने पहले ही स्वास्थ्य महानिदेशक को इस मामले की सूचना दे दी थी। जांच में यह भी पता चला है कि नूरुद्दीनपुर गांव में वास्तविक आबादी से अधिक जन्मप्रमाण पत्र बनाए गए हैं। यह फर्जीवाड़ा मुख्य रूप से सलोन तहसील क्षेत्र में किया गया था। इस मामले ने स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है।

बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के मददगार कौन
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि यह फर्जीवाड़ा बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता दिलाने का एक बड़ा षड्यंत्र था। आरोपी जन सेवा केंद्र (सीएससी) संचालक जीशान खान, सुहेल और रियाज इस काम से मोटी कमाई कर रहे थे। पुलिस के अनुसार, जीशान ने इस अवैध धंधे से रायबरेली और लखनऊ में काफी संपत्ति अर्जित कर ली है। यह मामला केवल उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके तार कर्नाटक, केरल और मुंबई तक फैले हुए हैं।

फर्जी प्रमाण पत्रों में अल्पसंख्यकों के नाम ज्यादा
जांच में यह भी पता चला है कि सलोन से सबसे अधिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के फर्जी प्रमाणपत्र बनाए गए हैं। इनमें 2023 में मुंबई में पकड़े गए चार बांग्लादेशी नागरिकों के नाम भी शामिल हैं। इससे पहले जम्मू में पकड़े गए कुछ रोहिंग्या लोगों के पास भी यहां से बने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मिले थे। इस मामले में अब तक ग्राम विकास अधिकारी (वीडीओ) विजय सिंह यादव समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

बाराबंकी में भी जांच की तैयारी
इस घोटाले का दायरा अब बाराबंकी जिले तक भी फैल सकता है, जहां पीएफआई जैसे संगठन सक्रिय रहे हैं। 2022 में यहां से पीएफआई के कोषाध्यक्ष और एक सदस्य को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले का जाल नेपाल के सीमावर्ती जिलों तक फैला हुआ बताया जा रहा है। ऐसे में जांच का दायरा अवध के गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती और बहराइच जिलों तक भी बढ़ सकता है।

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