वन विभाग को छका रहा बाघ : फिर नहीं लगी मूवमेंट की भनक, हथिनियों के खर्च को मांगे 22 लाख, अब इस प्लान पर फोकस

UPT | वन विभाग की पकड़ में नहीं आ रहा बाघ

Jan 10, 2025 11:02

बाघ की गतिविधियां जोन एक के ट्रैप कैमरे में कैद हुई हैं। इसके अलावा, जोन तीन के जंगल, रेलवे लाइन के पार उलरापुर और बेहता नाला किनारे बाघ के पगचिह्न पाए गए।

Lucknow News : एक महीने से ज्यादा वक्त गुजरने के बाद भी रहमान खेड़ा क्षेत्र में इधर उधर घूम रहा बाघ वन विभाग की टीम को छका रहा है। हर रोज बाघ को पकड़ने के लिए नई-नई तरकीबें बनाई जा रही हैं, आलाधिकारी मौके पर आकर मुआयना कर रहे हैं। लेकिन, बाघ के आगे सब फेल साबित हो रहा है। बाघ को पकड़ने के लिए ऑपरेशन टाइगर के तहत वन विभाग ने डायना और सुलोचना नामक दो हथिनियों की मदद ली है। हालांकि, दुधवा से बुलाई गईं इन हथिनियों के रखरखाव पर हो रहे भारी खर्च ने विभाग की परेशानियां बढ़ा दी हैं। इस बीच बाघ के नए पगचिह्न जोन एक में स्थित आम के बाग में मिले है। 

शासन से मांगे गए 22 लाख रुपये
जानकारी के अनुसार, वन विभाग ने शासन को पत्र लिखकर दोनों हथिनियों के रखरखाव के लिए लगभग 22 लाख रुपये की मांग की है। यह रकम हथिनियों की देखभाल, भोजन और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मांगी गई है। विभाग बाघ को पकड़ने के लिए लखीमपुर खीरी से खास डबल चैंबर वाला पिंजरा मंगाकर भी लगा चुका है। इस पिंजरे में दो अलग-अलग चैंबर हैं। पहले चैंबर में भैंस का पड़वा बांधा गया है, जबकि दूसरे चैंबर में बाघ के प्रवेश के लिए व्यवस्था की गई है। बाघ के अंदर पैर रखते ही पिंजरे का दरवाजा अपने आप बंद हो जाएगा।



बाघ की गतिविधियों पर नजर, नहीं मिली सफलता
रहमान खेड़ा के जोन एक और जोन तीन में बाघ के नए पगचिह्न मिले हैं। वन विभाग ने मचान के पास मृत भैंस के पड़वा को बाघ को लुभाने के लिए रखा था। लेकिन, बाघ इसे खाने नहीं आया। मचान पर निगरानी टीम को बाघ का कोई मूवमेंट नजर नहीं आया। हालांकि, जोन एक के आम के बागों में बाघ की चहलकदमी के निशान मिले हैं। वन विभाग की कोशिश है कि बाघ केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान को अपना आवास मान ले, ताकि उसे ट्रैंकुलाइज कर सुरक्षित पकड़ा जा सके।

हथिनियों से नहीं की गई संस्थान के अंदर कांबिंग
इस बीच हथिनियों डायना और सुलोचना का उपयोग संस्थान के अंदर कांबिंग के लिए नहीं किया जा रहा है। प्रभागीय निदेशक सितांशु पांडेय ने बताया कि बाघ की गतिविधियां जोन एक के ट्रैप कैमरे में कैद हुई हैं। इसके अलावा, जोन तीन के जंगल, रेलवे लाइन के पार उलरापुर और बेहता नाला किनारे बाघ के पगचिह्न पाए गए।

गांव-गांव की जा रही पेट्रोलिंग
वन विभाग ने हथिनियों की मदद से आसपास के गांवों में जरूर पेट्रोलिंग शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि पेट्रोलिंग का उद्देश्य बाघ को संस्थान के आसपास के इलाके तक सीमित रखना है, ताकि उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। विभाग अब इस रणनीति पर सबसे ज्यादा फोकस कर रहा है, जिससे बाघ को केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के परिसर तक सीमित किया जा सके और फिर इस इलाके की घेराबंदी कर उसे पकड़ने में मदद मिल सके। 

बाघ की चहलकदमी पर वन विभाग की नजर
  • जोन तीन के रेलवे लाइन के पार और बेहता नाला के पास बाघ की मौजूदगी के संकेत मिले।
  • ट्रैप कैमरों में बाघ की तस्वीरें कैद, लेकिन मचान के पास पड़वा खाने नहीं आया।
  • संस्थान के जंगलों में बाघ की उपस्थिति को ट्रैक कर वन विभाग रणनीति बना रहा है।
  • विभाग को उम्मीद है कि शासन से मांगी गई राशि जल्द मंजूर हो जाएगी। इससे हथिनियों के रखरखाव में मदद मिलेगी। वहीं ऑपरेशन टाइगर को और मजबूती मिलेगी।

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