SGPGI : मृतजन्म को लेकर अगले गर्भधारण में पांच गुना अधिक संभावना, 71 प्रतिशत मामलों में इलाज संभव

UPT | प्रतीकात्मक तस्वीर

Jan 13, 2025 10:39

विश्व में मृतजन्म और शिशु मृत्युदर के मामलों में भारत का योगदान चिंताजनक है। वैश्विक मृतजन्म के 23 प्रतिशत और शिशु मृत्युदर के 25 प्रतिशत मामले भारत में होते हैं।

Lucknow News : संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के मैटरनल एंड प्रोडक्टिव हेल्थ विभाग के अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि 71 प्रतिशत मृतजन्म यानी मृत बच्चे को जन्म देने के मामलों में सही समय पर इलाज और परामर्श से इसे रोका जा सकता है। मृत बच्चे के जन्म को महज एक इत्तेफाक मानना गलत है। मेडिकल सांइस के अनुसार, अगर एक बार महिला मृत बच्चे को जन्म देती है, तो उसके अगले गर्भधारण में भी ऐसा होने की संभावना पांच गुना बढ़ जाती है। इसलिए इसे लेकर लापरवाही करने के बजाय विशेषज्ञ की सलाह लेना बेहद जरूरी है।

एक साल का अध्ययन : 94.2 प्रतिशत मामलों में मृतजन्म की ठोस वजहें मिलीं
एसपीजीआई के मैटरनल एंड प्रोडक्टिव हेल्थ विभाग ने जनवरी से दिसंबर 2023 के बीच मृतजन्म के कारणों पर शोध किया। इस दौरान विभाग की एंटीनेटल यूनिट में 2,740 महिलाएं आईं, जिनमें से 153 महिलाएं मृत बच्चे को जन्म दे चुकी थीं। शोध में 94.2 प्रतिशत मामलों में मृतजन्म की ठोस वजहें पाई गईं। केवल 5.8 प्रतिशत मामलों में कारण अज्ञात रहे। अध्ययन को विभाग की प्रमुख डॉक्टर मंदाकिनी प्रधान और उनकी सहयोगी डॉक्टर वारिषा रहमान ने अंजाम दिया।



भारत में शिशु मृत्युदर: वैश्विक आंकड़ों में उच्च योगदान
विश्व में मृतजन्म और शिशु मृत्युदर के मामलों में भारत का योगदान चिंताजनक है। वैश्विक मृतजन्म के 23 प्रतिशत और शिशु मृत्युदर के 25 प्रतिशत मामले भारत में होते हैं। यह आंकड़ा बताता है कि महिलाओं और शिशुओं के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की कितनी जरूरत है।

भ्रूण विकास में बाधा : मृतजन्म का सबसे बड़ा कारण
अध्ययन के आंकड़ों से यह पता चला कि मृतजन्म के सबसे बड़े कारणों में भ्रूण विकास में बाधा (18.9 प्रतिशत) प्रमुख है। इसके अलावा अन्य कारणों में शामिल हैं-
  • महिला और भ्रूण के रक्त प्रोटीन का अलग होना (16.3 प्रतिशत)
  • भ्रूण में जन्मजात विसंगति (15 प्रतिशत)
  • संक्रमण (1.9 प्रतिशत)
  • भ्रूण में पानी भरना (4.6 प्रतिशत)
  • गर्भनाल का गर्भाशय से अलग हो जाना (4.6 प्रतिशत)
इन कारणों को समय रहते पहचाना और उनका इलाज किया जाए, तो मृतजन्म को टाला जा सकता है।

महिला की स्वास्थ्य समस्याएं भी जिम्मेदार
गर्भधारण से पहले महिला की स्वास्थ्य स्थितियां भी मृतजन्म का कारण बन सकती हैं। अध्ययन के मुताबिक-
  • 5.2 प्रतिशत मामलों में डायबिटीज
  • 1.3 प्रतिशत मामलों में लूपस सिंड्रोम
  • 6.5 प्रतिशत मामलों में पित्ताशय की सूजन
  • 4.6 प्रतिशत मामलों में भ्रूण को ऑक्सीजन की कमी
इन बीमारियों का सही समय पर निदान और उपचार महिलाओं को स्वस्थ गर्भधारण में मदद कर सकता है।

विशेषज्ञ की सलाह से टाला जा सकता है मृतजन्म
विशेषज्ञों के अनुसार, जिन महिलाओं ने पहले मृत बच्चे को जन्म दिया है, उन्हें गंभीरता से यह समस्या लेनी चाहिए और विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए। सही इलाज और देखभाल से वे अगली बार स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती हैं।
 

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