यूपी में कर्मकांड की डिग्री लेने में युवाओं की दिलचस्पी : अयोध्या, बनारस समेत इन जिलों में सबसे ज्यादा डिमांड, आखिर क्या है वजह

UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Jan 13, 2025 14:42

उत्तर प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों में एक नया अध्याय शुरू हुआ है, जहां शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से चार नए डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। इन पाठ्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य छात्रों को पारंपरिक ज्ञान के साथ-साथ रोजगार के अवसर प्रदान करना है...

Lucknow News : आज के दौर में लोग हिंदी और अंग्रेजी समेत दूसरी भाषाओं पर तो जोर देते हैं, लेकिन संस्कृत को लोग सिर्फ इसलिए पीछे छोड़ देते हैं क्योंकि इसमें उनका कोई भविष्य नहीं है या फिर वे लोग इसे चुनते हैं जो आर्थिक रूप से मजबूत नहीं हैं। लोगों के मन में यह भी है कि इसे पढ़ने के बाद नौकरी के अवसर कम होते हैं। लेकिन यह एक तरह का मिथक है और हकीकत इससे अलग है। संस्कृत पढ़ने वाले छात्र कॉलेजों से शास्त्री और आचार्य करते हैं और कर्मकांड में पारंगत हो जाते हैं। उनके लिए नौकरी पाना आसान हो जाता है।

उत्तर प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों में एक नया अध्याय
उत्तर प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों में एक नया अध्याय शुरू हुआ है, जहां शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से चार नए डिप्लोमा कोर्स की शुरुआत की गई है। इन कोर्स का मुख्य उद्देश्य छात्रों को पारंपरिक ज्ञान के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी प्रदान करना है। विशेष रूप से, कर्मकांड का कोर्स छात्रों में सबसे अधिक लोकप्रिय साबित हुआ है।

इतने छात्रों ने लिया दाखिला
ये पाठ्यक्रम पहले ही वर्ष में उल्लेखनीय रूप से सफल रहे, तथा 15 कॉलेज इनसे सम्बद्ध हो गए। पुरोहित पाठ्यक्रम में 271 छात्रों ने नामांकन कराया, जिनमें 268 लड़के और तीन लड़कियां शामिल थीं। योग विज्ञान दूसरा सबसे लोकप्रिय विकल्प था, जिसमें 38 लड़के और 27 लड़कियां नामांकित थीं।
 
इन्हें मिली मान्यता
इस सफलता से प्रेरित होकर, अगले शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए 13 और विद्यालयों ने इन कोर्स को शुरू करने की मान्यता प्राप्त की है। विशेष रूप से अयोध्या में चार और वाराणसी में तीन विद्यालयों को मान्यता दी गई है, जबकि प्रतापगढ़, चित्रकूट, महराजगंज, झांसी, अमेठी और सीतापुर में एक-एक विद्यालय को मान्यता मिली है।

इन कोर्स की विशेषता यह है कि इनमें सीटों की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है, जिससे अधिक से अधिक छात्र लाभान्वित हो सकते हैं। सभी विद्यालयों ने पुरोहित पाठ्यक्रम की मान्यता ली है, जबकि कुछ ने योग विज्ञान, व्यवहारिक वास्तुशास्त्र और व्यवहारिक ज्योतिष के कोर्स भी शुरू किए हैं।

अयोध्या और वाराणसी में सबसे ज्यादा डिमांड
विशेष रूप से अयोध्या और वाराणसी में पुरोहित पाठ्यक्रम की मांग सर्वाधिक है, क्योंकि इन शहरों में कर्मकांड से जुड़े प्रशिक्षित युवाओं की आवश्यकता अधिक है। इन कोर्स को पूरा करने के बाद छात्र न केवल स्वरोजगार कर सकते हैं, बल्कि विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक संस्थानों में भी रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।

नहीं है सीटो की सीमा 
संस्कृत शिक्षा परिषद के सचिव शिवलाल के अनुसार, इन डिप्लोमा कोर्स का मुख्य लक्ष्य संस्कृत के छात्रों को सीधे रोजगार से जोड़ना है। उन्होंने बताया कि अयोध्या, वाराणसी, सीतापुर और प्रयागराज जैसे जिलों में इस तरह के प्रशिक्षित युवाओं की भारी मांग है, जो इन कोर्स की सफलता और विस्तार का मुख्य कारण है।

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