Genital Surgery : सर्जरी के बाद भी आसान नहीं जीवन, 20 प्रतिशत ने की आत्महत्या की कोशिश, SGPGI की स्टडी में खुलासा

UPT | SGPGI

Nov 25, 2024 12:20

अध्ययन में शामिल 31 व्यक्तियों में से 20 प्रतिशत ने आत्महत्या का प्रयास किया। इनमें से चार व्यक्तियों ने यौन शोषण की शिकायत की थी। इसके अलावा, 11 युवाओं ने यौन गतिविधियों के प्रति घृणा और भय की बात कही। यह पाया गया कि यौन शोषण का सामना करने वाले या आत्महत्या की कोशिश करने वाले व्यक्तियों का मानसिक स्तर सामान्य के मुकाबले कम था।

Lucknow News : संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में जननांग सर्जरी कराने वाले 31 युवाओं पर हुए एक विस्तृत अध्ययन ने गंभीर सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को उजागर किया है। इस अध्ययन को प्रतिष्ठित क्लीनिकल इंडोक्राइनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है। अध्ययन में पाया गया कि सर्जरी के बाद भी लैंगिक विकास में अंतर वाले व्यक्तियों को सामान्य जीवन जीने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

सर्जरी के बाद आत्महत्या का प्रयास
अध्ययन में शामिल 31 व्यक्तियों में से 20 प्रतिशत ने आत्महत्या का प्रयास किया। इनमें से चार व्यक्तियों ने यौन शोषण की शिकायत की थी। इसके अलावा, 11 युवाओं ने यौन गतिविधियों के प्रति घृणा और भय की बात कही। यह पाया गया कि यौन शोषण का सामना करने वाले या आत्महत्या की कोशिश करने वाले व्यक्तियों का मानसिक स्तर सामान्य के मुकाबले कम था।



कई युवाओं का जीवन फिर भी सामान्य
हालांकि, सभी के लिए स्थिति इतनी कठिन नहीं रही। अध्ययन में शामिल 31 में से 12 व्यक्तियों ने प्रेम संबंधों और 7 ने यौन संबंधों की बात की। वहीं, 25 व्यक्तियों ने विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण का अनुभव बताया। यह दर्शाता है कि सकारात्मक अनुभव भी संभव हैं, लेकिन यह संख्या सीमित है।

मानसिक स्वास्थ्य सहयोग की भारी कमी
अध्ययन में यह भी बताया गया कि सर्जरी के बाद मानसिक स्वास्थ्य सहयोग का अभाव समस्या को और बढ़ा देता है। सर्जरी के बाद व्यक्ति और उनका परिवार सामान्य जीवन की उम्मीद करता है। लेकिन, सामाजिक भेदभाव, तानों और मानसिक अवसाद के कारण स्थिति जटिल हो जाती है। रिपोर्ट में नीति-निर्माताओं से इस दिशा में सुधार लाने की सिफारिश की गई है।

समाज की उदासीनता सबसे बड़ी बाधा 
नेशनल नेटवर्क फॉर ट्रांसजेंडर पर्सन्स के सदस्य और खुद जननांग सर्जरी करा चुके आर्यन पाशा के मुताबिक ट्रांसजेंडर और लैंगिक विकास में अंतर वाले व्यक्तियों के लिए सामाजिक जीवन अभी भी चुनौतीपूर्ण है। समाज में जागरूकता की कमी और समान अवसरों के अभाव के कारण यह समुदाय अलगाव का शिकार हो रहा है। कई बार सर्जरी के विफल होने पर व्यक्ति अवसाद से घिर जाता है। कुछ मामलों में यह स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि आत्महत्या तक की नौबत आ जाती है। केरल और अन्य राज्यों में ऐसे कई उदाहरण देखे गए हैं।

सर्जरी से पहले और बाद में काउंसलिंग की जरूरत
आर्यन पाशा ने सुझाव दिया कि सर्जरी से पहले और बाद में पेशेवर काउंसलिंग आवश्यक है। इससे व्यक्तियों को सर्जरी के बाद के जीवन में आने वाले बदलावों को समझने और स्वीकार करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि सर्जरी के बाद सब कुछ सामान्य हो, यह जरूरी नहीं है। व्यक्तियों को इसके लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाना चाहिए।

समझ का अभाव, शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की कमी
आर्यन ने यह भी स्पष्ट किया कि 'लिंग' और 'सेक्स' अलग-अलग अवधारणाएं हैं। लिंग सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है, जबकि सेक्स जैविक विशेषताओं को। इस भ्रम को दूर करने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही अध्ययन और विशेषज्ञों की राय में, ट्रांसजेंडर और लैंगिक विकास में अंतर वाले व्यक्तियों को शिक्षा और रोजगार में समान अवसर नहीं मिल रहे हैं। प्राइवेट सेक्टर में इन्हें नौकरियों से वंचित किया जाता है, जिससे मुख्यधारा में शामिल होना इनके लिए मुश्किल हो जाता है।

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