कैंसर के साथ सिजोफ्रेनिया का खतरा बढ़ा रहा तंबाकू : केजीएमयू के अध्ययन में मानसिक समस्याएं गंभीर होने का खुलासा

UPT | केजीएमयू में सिजोफ्रेनिया पर अध्ययन

Nov 04, 2024 15:44

सिजोफ्रेनिया के लक्षण कई प्रकार के होते हैं और व्यक्ति के अनुसार बदल सकते हैं। इसके सामान्य लक्षणों में भ्रम (डेल्यूजन), मतिभ्रम (हैलुसिनेशन), अव्यवस्थित सोच और असामान्य व्यवहार शामिल हैं। भ्रम की स्थिति में व्यक्ति को ऐसी चीजों पर विश्वास हो जाता है जो वास्तविक नहीं होती।

Lucknow News : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के मानसिक रोग विभाग ने हाल ही में किए गए एक अध्ययन के माध्यम से पाया कि तंबाकू की लत न केवल कैंसर बल्कि सिजोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारी की गंभीरता को भी बढ़ा देती है। यह शोध ओडिशा जर्नल ऑफ साइकियाट्री में प्रकाशित किया गया है, जिसमें सिजोफ्रेनिया रोगियों में तंबाकू की लत के प्रभावों का अध्ययन किया गया।

अध्ययन में शामिल रोगियों के आंकड़े
इस अध्ययन को श्रीकृष्ण यादव, प्रोनोव कुमार दलाल, मंजिष्ठा दत्ता, संजू पंत और सुजीत कुमार ने मिलकर किया। इसमें 93 सिजोफ्रेनिया रोगियों को शामिल किया गया, जिनमें से 61.54 प्रतिशत रोगियों में तंबाकू की लत पाई गई। इसके अतिरिक्त 65.6 प्रतिशत रोगी चबाने वाली तंबाकू का उपयोग कर रहे थे और अधिकांश रोगियों ने तंबाकू का सेवन 20 साल की उम्र से शुरू कर दिया था। तंबाकू पर निर्भरता का स्तर जितना अधिक था, रोगियों की मानसिक समस्याएं भी उतनी ही गंभीर थीं।



दैनिक जीवन होता है प्रभावित
सिजोफ्रेनिया रोगियों में दिमागी भ्रम और अवसाद जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं, जिससे मरीज भूत-प्रेत जैसे भ्रम में पड़ सकते हैं। यह विकार अक्सर वास्तविकता से दूर कर देता है और व्यक्ति के दैनिक जीवन में बाधाएं उत्पन्न करता है। इसका इलाज संभव है, लेकिन इसके लक्षणों का पूर्ण नियंत्रण पाने के लिए नियमित देखभाल और उपचार की आवश्यकता होती है।

सिजोफ्रेनिया के लक्षण
सिजोफ्रेनिया के लक्षण कई प्रकार के होते हैं और व्यक्ति के अनुसार बदल सकते हैं। इसके सामान्य लक्षणों में भ्रम (डेल्यूजन), मतिभ्रम (हैलुसिनेशन), अव्यवस्थित सोच और असामान्य व्यवहार शामिल हैं। भ्रम की स्थिति में व्यक्ति को ऐसी चीजों पर विश्वास हो जाता है जो वास्तविक नहीं होती, जैसे कि उसे लगता है कि कोई उसका पीछा कर रहा है। वहीं, मतिभ्रम में व्यक्ति को आवाजें सुनाई दे सकती हैं या कुछ ऐसी चीजें दिखाई दे सकती हैं जो वास्तव में नहीं होती।

सिजोफ्रेनिया के प्रकार
सिजोफ्रेनिया कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से प्रमुख प्रकार हैं परानॉइड सिजोफ्रेनिया, कैटाटोनिक सिजोफ्रेनिया और हिब्रफ्रेनिक सिजोफ्रेनिया। परानॉइड सिजोफ्रेनिया में व्यक्ति को भ्रम होता है कि लोग उसके खिलाफ हैं या उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। कैटाटोनिक सिजोफ्रेनिया में व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक आंदोलन कम हो जाता है, और वह स्थिरता या निष्क्रियता में रह सकता है। हिब्रफ्रेनिक सिजोफ्रेनिया में व्यक्ति का व्यवहार अत्यधिक अव्यवस्थित होता है।

सिजोफ्रेनिया के कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि इसके कारणों में आनुवांशिक, जैविक और पर्यावरणीय कारक शामिल हो सकते हैं। जिन व्यक्तियों के परिवार में सिजोफ्रेनिया का इतिहास होता है, उनमें इसके होने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा, मस्तिष्क में रसायनों के असंतुलन और तनावपूर्ण जीवन घटनाओं का भी इस विकार से संबंध हो सकता है।

सिजोफ्रेनिया का उपचार
सिजोफ्रेनिया का उपचार मुख्य रूप से दवाओं, साइकोथेरपी और सामाजिक सहायता के माध्यम से किया जाता है। दवाओं का उपयोग लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है, जबकि साइकोथेरपी व्यक्ति को विकार के साथ जीने के कौशल सिखाती है। सामाजिक सहायता और पुनर्वास कार्यक्रम सिजोफ्रेनिया से ग्रसित व्यक्ति को समाज में पुनः स्थापित होने में मदद करते हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनने में सहायता प्रदान करते हैं।

सिजोफ्रेनिया के साथ जीवन
सिजोफ्रेनिया के साथ जीवन जीना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि सही उपचार और परिवार व मित्रों का सहयोग इस विकार से पीड़ित व्यक्ति की स्थिति में काफी सुधार ला सकता है। नियमित उपचार, संतुलित जीवनशैली और तनाव प्रबंधन तकनीकों से सिजोफ्रेनिया के लक्षणों को नियंत्रित करना संभव है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह एक दीर्घकालिक विकार है, और समय-समय पर चिकित्सीय निगरानी की आवश्यकता होती है।

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