यूपी में 122 सीएचसी के कायाकल्प की तैयारी : एक हफ्ते में होगा एक्सटर्नल एसेसमेंट, एनक्वास प्रमाणपत्र के लिए बड़ा कदम

UPT | सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र

Dec 23, 2024 17:08

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवेल ने सभी अपर निदेशकों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र जारी कर यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि 24 से 29 दिसंबर के बीच इन स्वास्थ्य इकाइयों का एक्सटर्नल एसेसमेंट पूरा हो जाए।

Lucknow News : प्रदेश सरकार स्वास्थ्य इकाइयों में बेहतर चिकित्सा सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। जिला अस्पतालों से लेकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर तक, सभी को नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (NQAS) प्रमाणपत्र दिलाने की दिशा में काम हो रहा है। इसी कड़ी में 122 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) को कायाकल्प और लक्ष्य मानकों पर खरा उतारने की तैयारी शुरू हो चुकी है।

मिशन निदेशक ने जारी किए  निर्देश
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवेल ने सभी अपर निदेशकों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र जारी कर यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि 24 से 29 दिसंबर के बीच इन स्वास्थ्य इकाइयों का एक्सटर्नल एसेसमेंट (बाहरी मूल्यांकन) पूरा हो जाए। प्रत्येक सीएचसी के लिए तीन-तीन एसेसर नियुक्त किए गए हैं। एसेसमेंट की तिथियां और टीम पहले से तय की गई हैं।



जिलावार मूल्यांकन की योजना
पत्र के अनुसार, एक्सटर्नल एसेसमेंट के लिए सभी जिलों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को चिह्नित किया गया है।
कानपुर और जौनपुर : 7-7 सीएचसी
बरेली और सिद्धार्थनगर : 6-6 सीएचसी
कानपुर देहात और शाहजहांपुर : 5-5 सीएचसी
लखनऊ, वाराणसी, बस्ती, आगरा : 4-4 सीएचसी
अमेठी, औरेया, हाथरस : 2-2 सीएचसी
प्रयागराज, कासगंज, लखीमपुर खीरी : 1-1 सीएचसी

कायाकल्प का महत्व : क्यों है यह जरूरी?
कायाकल्प प्रमाणपत्र प्राप्त करना किसी स्वास्थ्य इकाई के लिए मान्यता है कि वहां उच्च गुणवत्ता वाली सुविधाएं उपलब्ध हैं।
बेहतर चिकित्सा सेवाएं : मरीजों को उन्नत और सुरक्षित इलाज सुनिश्चित होता है।
स्वच्छता और संक्रमण नियंत्रण: स्वास्थ्य केंद्रों में सफाई और संक्रमण को रोकने की बेहतर व्यवस्थाएं होती हैं।
अपशिष्ट प्रबंधन: अस्पताल के कचरे और अपशिष्ट को सुरक्षित तरीके से प्रबंधित किया जाता है।

लक्ष्य और कायाकल्प से लाभ
इन मानकों का पालन करने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को न केवल प्रमाणपत्र प्राप्त होगा, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार का एक नया मील का पत्थर होगा।
मरीजों का भरोसा बढ़ेगा।
स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों की संख्या में इजाफा होगा।
संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य खतरों में कमी आएगी।

प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा सुधार
यह कदम उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानकों पर खरा उतरने में मदद करेगा। स्वास्थ्य इकाइयों के कायाकल्प से न केवल ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं सुधरेंगी, बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी मरीजों को उच्च गुणवत्ता की सेवाएं मिलेंगी।

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