UP By Election 2024 : बसपा ने मिल्कीपुर विधानसभा सीट से रामगोपाल कोरी को बनाया उम्मीदवार, समझें सियासी समीकरण

UPT | BSP RamGopal Kori

Aug 18, 2024 15:33

बसपा ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए कोरी उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। आरक्षित सीट होने की वजह से मिल्कीपुर में सामान्य कटेगरी के नेता को टिकट नहीं दिया जा सकता है। रामगोपाल कोरी पहले भी मैदान में रह चुके हैं। उन्हें लेकर संगठन ने प्रचार भी किया था।

Lucknow News : विधानसभा की 10 रिक्त सीटों पर उपचुनाव को लेकर सियासी दल अपने अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गए हैं। निर्वाचन आयोग ने फिलहाल उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित नहीं किया है। लेकिन, इससे पहले ही सियासी दलों ने अपने नेताओं को जिम्मेदारी सौंप दी है। वहीं प्रत्याशियों की घोषणा के मामले में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) तेजी से फैसले कर रही है। पार्टी ने रविवार को अयोध्या जनपद की मिल्कीपुर विधानसभा सीट से रामगोपाल कोरी के नाम की घोषणा की। रामगोपाल कोरी वर्ष 2017 में भी बसपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे। वह तीसरे नंबर पर रहे थे। इस पर पार्टी ने एक बार फिर उन्हें मौका दिया है। बसपा सुप्रीमो मायावती इससे पहले दो अन्य उम्मीदवारों के नाम पर अपनी सहमति दे चुकी हैं।

रामगोपाल कोरी पर बसपा ने इस वजह से लगाया दांव
बसपा ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए कोरी उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। आरक्षित सीट होने की वजह से मिल्कीपुर में सामान्य कटेगरी के नेता को टिकट नहीं दिया जा सकता है। रामगोपाल कोरी पहले भी मैदान में रह चुके हैं। उन्हें लेकर संगठन ने प्रचार भी किया था। वर्ष 2017 में उन्हें 46,000 मत मिले थे। तब भाजपा के टिकट पर गोरखनाथ बाबा ने मिल्कीपुर से जीत दर्ज की थी। वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में गोरखनाथ को हराकर सपा उम्मीदवार अवधेश प्रसाद विजयी हुए थे।

सपा ये नाम चर्चा में, भाजपा ने अभी नहीं किया फैसला
बसपा नेताओं का मानना है कि मतदाताओं के बीच पहले से परिचित नेता को उतारने से पार्टी को लाभ मिलेगा। मिल्कीपुर सीट पर सपा का कब्जा रहा है। अवधेश प्रसाद के सपा सांसद बनने के कारण उनके इस्तीफे से ये सीट रिक्त हुई है। अभी तक की चर्चा में उनके बेटे अजीत प्रसाद को उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया जा सकता है। इस सीट पर सपा ने अवधेश प्रसाद को ही जिम्मेदारी सौंपी है। ऐसे में पार्टी कोई चौंकाने वाला फैसला भी ले सकती है। वहीं भाजपा की ओर से अभी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है।

पहले उम्मीदवार घोषित करने से जनता के बीच स्थिति होगी स्पष्ट
इस बीच बसपा को लगता है कि पहले से उम्मीदवार घोषित करने से मतदाताओं के बीच उसकी तस्वीर स्पष्ट होगी। साथ ही संगठन को पहले से पूरी ताकत से चुनाव प्रचार करने का मौका मिलेगा। आचार संहिता लागू होने के बाद खुलकर प्रचार नहीं किया जा सकेगा। इसलिए मायावती ने पहले ही प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी है। अयोध्या सीट को लेकर पहले से ही सियासत काफी तेज रही है। लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा की हार को सपा अभी तक मुद्दा बनाती आई है। ऐसे में बसपा ने सबसे पहले उम्मीदवार घोषित कर उसके पक्ष में माहौल बनाने की रणनीति के तहत काम किया है।

दो अन्य उम्मीदवारों के नाम पर मायावती पहले दे चुकी हैं सहमति
बसपा सुप्रीमो इससे पहले प्रयागराज की फूलपुर विधानसभा सीट से शिव बरन पासी और मीरजापुर की मझवां सीट से दीपू तिवारी की उम्मीदवारी पर सहमति दे चुकी हैं। मायावती ने उपचुनाव में सभी 10 सीटों पर मजबूती से अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। आमतौर पर बसपा उपचुनाव से दूर रहती है। लेकिन, इस बार मिशन 2027 की तैयारी को लेकर बसपा अपने प्रत्याशी उतारकर जनता का मन देखना चाहती है। पार्टी ने अकेले उपचुनाव लड़ने का फैसला किया है। इसे लेकर मायावती प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों और नेताओं के साथ बैठक कर चुकी हैं।

इन सीटों पर होंगे उपचुनाव
प्रदेश में विधानसभा की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें अलीगढ़ जिले की खैर, अयोध्या की मिल्कीपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, कानपुर नगर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, गाजियाबाद की गाजियाबाद, मीरजापुर की मझवां, मुरादाबाद की कुंदरकी और मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट शामिल है। इनमें से पांच सीटें करहल, सीसामऊ, मिल्कीपुर, कटेहरी और कुंदरकी सपा के पास थीं। जबकि, खैर, गाजियाबाद व फूलपुर भाजपा के पास, मझवा सीट निषाद पार्टी और मीरापुर से राष्ट्रीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी।
 

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