यूपी पुलिस सभी 75 जिलों में मोबाइल फोरेंसिक वैन से होगी लैस : घटनास्थल पर ही हो सकेगी जांच, लखनऊ में एफएसएल को 30 करोड़ मंजूर

UPT | Mobile Forensic Van

Nov 12, 2024 15:30

मोबाइल फोरेंसिक वैन में वैज्ञानिक साक्ष्यों को सुरक्षित रूप से पैक करने में विवेचक की मदद के लिए विशेष टीम होगी। इसके साथ ही वैन में स्थिर और वीडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा होगी, जिससे घटनास्थल के सटीक विवरण को रिकॉर्ड किया जा सकेगा। स्केच बनाने के लिए भी उपकरण और आवश्यक रसायन उपलब्ध रहेंगे, जिनसे बाल, फाइबर, कारतूस और खून के निशान की पहचान हो सकेगी।

Lucknow News : प्रदेश सरकार ने सभी 75 जनपदों में घटनास्थल से वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने के लिए मोबाइल फोरेंसिक वैन (एमएफवी) की सुविधा प्रदान करने का निर्णय किया है। इस उद्देश्य से गृह विभाग ने 18.75 करोड़ रुपये की राशि को मंजूरी दी है। प्रत्येक वैन की कीमत लगभग 25 लाख रुपये होगी और इनकी खरीदारी 31 मार्च, 2025 से पहले पूरी कर ली जाएगी।

आधुनिक तकनीक से लैस होंगी वैन
इन मोबाइल वैनों में घटनास्थल से नमूने उठाने के लिए अत्याधुनिक उपकरण और सुविधाएं होंगी। अभी तक बड़ी घटनाओं में फोरेंसिक विशेषज्ञों को अन्य जिलों से बुलाना पड़ता था, जिससे समय की बर्बादी होती थी। अब इन वैनों की मदद से घटनास्थल पर ही त्वरित और प्रभावी जांच संभव हो सकेगी।



विवेचना में मिलेगी विशेष सहायता
इन वैनों में वैज्ञानिक साक्ष्यों को सुरक्षित रूप से पैक करने में विवेचक की मदद के लिए विशेष टीम होगी। इसके साथ ही वैन में स्थिर और वीडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा होगी, जिससे घटनास्थल के सटीक विवरण को रिकॉर्ड किया जा सकेगा। स्केच बनाने के लिए भी उपकरण और आवश्यक रसायन उपलब्ध रहेंगे, जिनसे बाल, फाइबर, कारतूस और खून के निशान की पहचान हो सकेगी।

छोटे साक्ष्यों की जांच में होगा सुधार
तीन से सात साल की सजा वाले अपराधों की जांच में छोटे साक्ष्यों की अहमियत होती है। इन मोबाइल वैनों के जरिए ऐसे साक्ष्यों को सहेजने और उनका विश्लेषण करने में पुलिस को विशेष सहायता मिलेगी। इसके परिणामस्वरूप विवेचना में तेजी आएगी और कोर्ट में प्रभावी पैरवी के लिए सशक्त साक्ष्य उपलब्ध होंगे।

नई विधि विज्ञान प्रयोगशाला से बढ़ेगी क्षमता
लखनऊ में एक नई अत्याधुनिक विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) भी बनाई जाएगी। इस परियोजना के लिए सरकार ने 30 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। नई एफएसएल से अन्य प्रयोगशालाओं पर दबाव कम होगा और रक्त नमूनों सहित अन्य जांचों को तेज गति से पूरा किया जा सकेगा। इससे अपराधियों के खिलाफ सशक्त और समय पर अदालती कार्यवाही संभव होगी।

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