UP News : शहरी निकायों में संविदा कर्मियों के स्थायीकरण का रास्ता साफ, इन्हें उठाना होगा खर्च

UPT | स्थानीय निकाय निदेशालय. उत्तर प्रदेश

Oct 27, 2024 10:11

विनियमित होने वाले कर्मचारियों के वेतन और अन्य खर्च का भार राज्य सरकार के बजट पर न पड़े, इसलिए यह तय किया गया है कि इन कर्मचारियों के खर्च का वहन संबंधित शहरी निकाय ही करेंगे। इससे सरकार पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा और वित्त विभाग की मुख्य आपत्ति भी समाप्त हो जाएगी।

Lucknow News : प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2001 के पहले से संविदा या डेलीवेज के रूप में काम कर रहे शहरी निकायों के कर्मचारियों को स्थायी रोजगार देने का प्रस्ताव तैयार किया है। स्थानीय निकाय निदेशालय ने प्रदेश के सभी शहरी निकायों से इस संबंध में प्रस्ताव मांगा है, ताकि सरकार कर्मचारियों के स्थायीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सके। सहमति मिलने पर, वित्त और कार्मिक विभाग की स्वीकृति के बाद स्थायीकरण का आदेश जारी किया जाएगा।

कर्मचारियों की वर्षों से लंबित मांग
प्रदेश के कर्मचारी और शिक्षक संगठन लंबे समय से संविदा या डेलीवेज पर काम कर रहे कर्मचारियों के स्थायीकरण की मांग कर रहे थे। कार्मिक विभाग ने वर्ष 2016 में इस विषय पर नीति तैयार की थी, जिसमें दिसंबर 2001 या उससे पहले से काम कर रहे संविदा कर्मचारियों को स्थायी पदों पर विनियमित करने का प्रस्ताव शामिल था। लेकिन, वित्त विभाग की कुछ आपत्तियों के कारण यह प्रस्ताव रुका हुआ था।



शहरी निकाय करेंगे वेतन का खर्च वहन
विनियमित होने वाले कर्मचारियों के वेतन और अन्य खर्च का भार राज्य सरकार के बजट पर न पड़े, इसलिए यह तय किया गया है कि इन कर्मचारियों के खर्च का वहन संबंधित शहरी निकाय ही करेंगे। इससे सरकार पर वित्तीय भार नहीं पड़ेगा और वित्त विभाग की मुख्य आपत्ति भी समाप्त हो जाएगी। इससे कर्मचारियों के स्थायीकरण का रास्ता साफ हो गया है।

कर्मचारी संगठनों के दबाव का असर
शहरी निकायों के संविदा कर्मचारी लगातार अपनी विनियमितीकरण की मांग को लेकर दबाव बना रहे हैं। बीते दिनों कर्मचारियों ने अपनी मांगों के समर्थन में शासन को नोटिस जारी किया था, जिसमें आंदोलन की चेतावनी भी दी गई थी। जानकारी के मुताबिक इस दबाव के चलते रुकी हुई प्रक्रिया को फिर से सक्रिय किया गया है और कर्मचारियों की स्थायीकरण की मांग को स्वीकार करने की दिशा में कदम बढ़ाया गया है।

वित्त विभाग की आपत्ति पर नया समाधान
वित्त विभाग ने पहले यह आपत्ति उठाई थी कि संविदा कर्मचारियों के स्थायीकरण से सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। लेकिन, अब यह प्रस्ताव सामने आया है कि इन कर्मचारियों के खर्च का वहन शहरी निकाय खुद करेंगे। इससे सरकार के वित्तीय बोझ की समस्या का समाधान हो जाएगा और संविदा कर्मचारियों का स्थायीकरण हो सकेगा।
 

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