UPPCL : निजीकरण पर सरकार बना रही दबाव, 1 दिसंबर से विभाग बचाओ-आरक्षण बचाओ अभियान, सियासी दलों से मांगा जाएगा समर्थन

UPT | यूपी पावर ऑफिसर एसोसिएशन के पदाधिकारी बैठक के दौरान

Nov 27, 2024 20:27

पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने इस बात पर चिंता जताई कि यूपीपीसीएल प्रबंधन सबसे पहले ऊर्जा निगमों में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाकर और सभी कंपनियों के प्रबंध निदेशक की मौजूदगी में उनसे सरकार के निर्णय राय मांगता है। पदाधिकारियों ने कहा कि यह उसी तरीके की बात है कि सही राय दो तो करवाई और चुप रहो तो ठीक।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल में देने के निर्णय के खिलाफ ऊर्जा संगठन आर-पार की लड़ाई को लेकर तैयारी में जुट गए हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन की प्रांतीय कार्य समिति ने बुधवार को बैठक आयोजित की, जिसमें बिजली कंपनियों के निजीकरण के निर्णय का सख्त विरोध करने का ऐलान किया गया। बैठक में सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से तय किया कि निजीकरण के जरिए आरक्षण प्रणाली पर हमला और पिछड़े व दलित वर्ग के अधिकारों का हनन किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं होगा।

निजीकरण के विरोध में आरक्षण बचाओ अभियान
पावर ऑफिसर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा​ कि दक्षिणांचल वितरण निगम (DVVNL) और पूर्वांचल वितरण निगम (PuVVNL) स्थापित कंपनी हैं। इनमें निजीकरण करके आरक्षण को समाप्त किए जाने की साजिश प्रदेश के दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे। एसोसिएशन ने घोषणा की है कि वे पूरे प्रदेश में 'आरक्षण सहित विभाग बचाओ अभियान' चलाएंगे। यह अभियान 1 दिसंबर से शुरू होगा। अभियान के पहले चरण में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात कर समर्थन मांगा जाएगा। इसमें भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर उनसे सहयोग मांगा जाएगा।  



आरक्षण पर खतरा : अब आर-पार की लड़ाई का समय
एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण के जरिए नौकरियों में आरक्षण समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। पहले से ही पदोन्नति में आरक्षण को खत्म कर दिया गया था और अब निजीकरण की आड़ में आरक्षण व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त करने की साजिश रची जा रही है। इसके खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।

बिजली अभियंताओं को विश्वास में लिए बिना किए जा रहे फैसले
एसोसिएशन के अध्यक्ष के बीराम कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, महासचिवअनिल कुमार, सचिव  आरपी केन, संगठन सचिव बिंदा प्रसाद, सुशील कुमार वर्मा, अजय कुमार और विनय कुमार ने मंगलवार को यूपीपीसीएल प्रबंधन के साथ दो पक्षीय वार्ता की। इस दौरान यूपीपीसीएल के घाटे के कारणों को विस्तार से बताया गया। पदाधिकारियों ने प्रबंधन से स्पष्ट तौर पर कहा कि यदि वह चाहता है तो बिजली निगम को सुधारने की दिशा में वह हर प्रयास करने के लिए तैयार हैं। पदाधिकारियों ने कहा​ कि लेकिन, दुर्भाग्य की बात यह है की बिजली अभियंताओं को बिना विश्वास में लिए सभी निर्णय किए जा रहे हैं।

प्रबंधन के साथ बातचीत : असहमति और तानाशाही का आरोप
पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने इस बात पर चिंता जताई कि यूपीपीसीएल प्रबंधन सबसे पहले ऊर्जा निगमों में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाकर और सभी कंपनियों के प्रबंध निदेशक की मौजूदगी में उनसे सरकार के निर्णय राय मांगता है। पदाधिकारियों ने कहा कि यह उसी तरीके की बात है कि सही राय दो तो करवाई और चुप रहो तो ठीक। उन्होंने कहा कि इसके बाद बयान जारी करके कहा जाता है कि बिजली कंपनियों के सभी अधिकारी पावर कारपोरेशन की सुधारवादी एक तरफा निर्णय के पक्ष में हैं और उससे सहमत हैं, जो पूरी तरह तानाशाही को दर्शाता है।

बैठक में मौजूद प्रमुख अधिकारी
बैठक में प्रमुख सदस्यों में वेद प्रकाश, भजनलाल, नरेंद्र कुमार, अरुण कुमार भारती, अक्षय कुमार, विवेक प्रकाश, रमन बसु, नीरज, राधेश्याम, रमेश कुमार, सुशील कुमार, गजेंद्र सिंह, सुशील कुमार, नीरज वर्मा, एसके विमल, अशोक प्रभाकर और डीसी जयंत सहित अन्य अभियंता शामिल रहे।

निजीकरण और आरक्षण से जुड़े प्रमुख सवाल
  • बिजली कंपनियों में निजीकरण के बाद आरक्षित कार्मिकों का क्या होगा।
  • निजी कंपनियां आरक्षण के नियमों का किस तरह पालन करेंगी।
  • सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी को लेकर आगे क्या निर्णय होगा।
  • निजी कपंनियां महंगी दर पर बिजली मुहैया कराती हैं, ऐसे में उपभोक्ता हित के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।

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