UPPCL Privatisation : विरोध को दरकिनार कर टेंडर जारी, उपभोक्ता परिषद बोला- लीगल वैधता नहीं, बच्चों का खेल बंद करे प्रबंधन

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Jan 13, 2025 18:59

उपभोक्ता परिषद ने कहा कि सभी मामलों पर विद्युत नियामक आयोग में अलग-अलग याचिकाएं उपभोक्ता परिषद की तरफ से दाखिल हैं। पावर कारपोरेशन जिस नियम विरुद्ध तरीके से प्रदेश के 42 जनपदों को निजी क्षेत्र में देना चाहता है, वह कभी सफल होने वाला नहीं है।

Lucknow News : उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने कर्मचारी और अभियंता संगठनों की परवाह नहीं करते हुए दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) के निजीकरण की राह में एक कदम और बढ़ा लिया है। प्रदेश के 42 जनपदों से संबंधित पीपीपी मॉडल को लेकर सोमवार को कारपोरेशन की रेगुलेटरी अफेयर्स यूनिट ने ट्रांजैक्शन एडवाइजर (कंसल्टेंट) का टेंडर जारी कर दिया है। ये कदम तब उठाया गया, जब सोमवार को कर्मचारी और ​अभियंता संगठनों ने निजीकरण के खिलाफ हाथों में काली पट्टी बांधकर अपना विरोध दर्ज कराया। एक तरफ ऊर्जा संगठनों ने करो या मरो की तर्ज पर आंदोलन को आगे बढ़ाने की खुली चुनौती दी है, तो दूसरी ओर इससे बेपरवाह यूपीपीसीएल प्रबंधन आगे की कार्रवाई में जुटा है।

कानूनी तौर पर दोनों बिजली कंपनियों को 2026 तक कारोबार करना जरूरी
उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर इसे लेकर सवाल खड़ा किया है। संगठन ने कहा है कि पावर कारपोरेशन कोई कानूनी ज्ञान नहीं है, क्योंकि प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों की तरफ से पावर कॉरपोरेशन की रेगुलेटरी अफेयर्स यूनिट ने वर्ष 2025-26 के लिए विद्युत नियामक आयोग में वार्षिक राजस्व आवश्यकता और टैरिफ याचिका को दाखिल किया हुआ है। इसकी वजह से दोनों बिजली कंपनियों को अप्रैल 2026 तक अपना बिजली का व्यवसाय करना जरूरी है। इसके विपरीत अब इसी रेगुलेटरी अफेयर्स यूनिट ने दोनों बिजली कंपनियों को निजी क्षेत्र में दिए जाने का कंसल्टेंट चयन के लिए टेंडर जारी कर दिया है।



ट्रांजैक्शन एडवाइजर का टेंडर जारी करना कानून के खिलाफ
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि यह प्रक्रिया पूरी तरह आसंवैधानिक है। रेगुलेटरी अफेयर्स यूनिट को पता है कि प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों का वार्षिक राज्य आवश्यकता 2025-26 के लिए विद्युत नियामक आयोग में शपथ पत्र के आधार पर दाखिल किया जा चुका है। अब वह कैसे दो बिजली कंपनियों को निजी क्षेत्र में बेचने के लिए ट्रांजैक्शन एडवाइजर का टेंडर जारी कर सकती है ? संगठन ने कहा कि यह बहुत बड़ा गोलमाल है, जिसमें सरकार की छवि आगे धूमिल होना तय है। उपभोक्ता परिषद ने चेतावनी दी कि पावर कारपोरेशन यह बच्चों जैसा खेल खेलना बंद करे। पहले अधिकारी कानून की किताब पढ़ें। इस बार फिर उपभोक्ता परिषद उसे पटकनी देगा और बता देगा कि लीगल फ्रेमवर्क में कानून कैसे चलता है।

पहले भी बैकफुट में आ चुका है यूपीपीसीएल मैनेजमेंट
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सभी मामलों पर विद्युत नियामक आयोग में अलग-अलग याचिकाएं उपभोक्ता परिषद की तरफ से दाखिल हैं। पावर कारपोरेशन जिस नियम विरुद्ध तरीके से प्रदेश के 42 जनपदों को निजी क्षेत्र में देना चाहता है, वह कभी सफल होने वाला नहीं है। पहले भी ट्रांजैक्शन एडवाइजर नियुक्त करके 5 दिसंबर को एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में प्रस्ताव पास कराया और जब उपभोक्ता परिषद ने उसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय गलतियां पकड़ी, तो प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। अब नए सिरे से प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है। यह प्रक्रिया शुरू होते ही विवादों में आ गई है। रेगुलेटरी अफेयर्स यूनिट की ओर से जारी किया गया विज्ञापन पूरी तरह गुमराह करने वाला है और उसकी कोई भी लीगल वैधता नहीं है। जब भी कभी कानूनी तौर पर इसकी स्क्रूटनी की जाएगी, तो यह स्वत: खारिज हो जाएगा।

उपभोक्ता परिषद ने किया जीत का दावा, महज घोषणा बाकी
उपभोक्ता परिषद ने कहा कि हकीकत ये है कि यूपीपीसीएल प्रबंधन के खिलाफ इस बार की भी लड़ाई उपभोक्ता परिषद ने जीत ली है। सिर्फ इसकी घोषणा करना बाकी है। इसलिए पावर कारपोरेशन यह भूल जाए कि वह दोनों बिजली कंपनियों को निजी क्षेत्र में देने में सफल होगा।

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