Meerut Lok Sabha Election : मेरठ के समाजवादियों का लखनऊ में डेरा, सोशल मीडिया पर बाहरी प्रत्याशी के खिलाफ नाराजगी

UPT | मेरठ-हापुड लोकसभा सीट पर सपा प्रत्याशी।

Mar 16, 2024 10:07

उन्होंने कहा कि सभी लोग मिलकर चुनाव लड़ाएंगे। टिकट की दावेदारी तो सभी करते हैं। लेकिन मिलता किसी एक को है। ऐसे में बाहरी प्रत्याशी...

Short Highlights
  • कार्यकर्ताओं ने कही इस्तीफा देने की बात
  • स्थानीय नेताओं को टिकट नहीं देने से रोष
  • बाहरी व्यक्ति को चुनाव नहीं लड़ाने की कही बात
Meerut Lok Sabha Election 2024 : मेरठ-हापुड लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने बुलंदशहर निवासी भानु प्रताप सिंह को 2024 लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी बनाया है। इससे स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं में रोष है। समाजवादी पार्टी से टिकट की दावेदारी कर रहे सपा के दिग्गज नेता अभी भी लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं।

स्थानीय नेता को टिकट देने की बात
मेरठ-हापुड लोकसभा सीट से टिकट की प्रबल दावेदारी कर रहे पूर्व विधायक ने बताया कि आज फिर सभी लोग एकजुट होकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलेंगे और स्थानीय नेता को टिकट देने की बात रखेंगे। उन्होंने कहा कि मेरठ से किसी भी स्थानीय नेता को प्रत्याशी बना दिया जाए कोई परेशानी नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी लोग मिलकर चुनाव लड़ाएंगे। टिकट की दावेदारी तो सभी करते हैं। लेकिन मिलता किसी एक को है। ऐसे में बाहरी प्रत्याशी को टिकट देकर मेरठ के सपाइयों का अपमान किया गया है। 

समाजवादी पार्टी के सोशल मीडिया ग्रुपों पर कार्यकर्ता खुलकर लिख रहे
इसी के साथ सपा का टिकट भानु प्रताप सिंह को दिए जाने के बाद से सोशल मीडिया पर भी सपा कार्यकर्ता नाराजगी जाता रहे हैं। सपाइयों का कहना है कि मेरठ से ही किसी नेता को प्रत्याशी बनाया जाना था। मेरठ के बजाय किसी बाहर के व्यक्ति को प्रत्याशी नहीं बनाना था। स्थानीय किसी नेता को ही टिकट देना चाहिए था। इसको लेकर समाजवादी पार्टी के सोशल मीडिया ग्रुपों पर कार्यकर्ता खुलकर लिख रहे हैं। सपा के पुराने सक्रिय कार्यकर्ता शैंकी वर्मा ने लिखा है कि अगर कोई बाहरी व्यक्ति ही समाजवादी पार्टी से मेरठ हापुड़-लोकसभा प्रत्याशी रहा तो वो मेरठ के समाजवादी नेताओं का अपमान मानते हुए पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे। 

कार्यकर्ताओं में और अधिक असंतोष व्याप्त
वहीं अन्य सपाइयों ने भी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मेरठ में टिकट के जितने भी दावेदार थे। सभी पार्टी के वितरण पैमाने पर फिट बैठ रहे थे। किसी भी एक नाम की घोषणा हो जाती तो उसको ही जीतवाने के लिए सभी कार्यकर्ता जी जान से जुट जाते। टिकट की घोषणा के बाद सभी गुटबाजी खत्म हो जाती। लेकिन अब कार्यकर्ताओं में और अधिक असंतोष व्याप्त हो गया है। 

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