मोहिंदर सिंह की मुश्किलें बढ़ीं : ईडी ने नोएडा स्मारक घोटाले पर यूपी विजिलेंस से मांगी रिपोर्ट

UPT | मोहिंदर सिंह

Dec 30, 2024 01:40

स्मारक घोटाले में रिटायर्ड आईएएस मोहिंदर सिंह पर शिकंजा कसेगा। ईडी स्मारक घोटाले में नए सिरे से मोहिंदर व सहयोगियों की भूमिका को खंगालेगी। नोएडा के लोटस-300 सोसाइटी सेक्टर-107 में फंड डायवर्जन...

Noida News : स्मारक घोटाले में रिटायर्ड आईएएस मोहिंदर सिंह पर शिकंजा कसेगा। ईडी स्मारक घोटाले में नए सिरे से मोहिंदर व सहयोगियों की भूमिका को खंगालेगी। नोएडा के लोटस-300 सोसाइटी सेक्टर-107 में फंड डायवर्जन पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की बिल्डर कंपनी हैसिंडा प्रोजेक्ट्स पर चल रही जांच अब स्मारक घोटाले तक पहुंच गई है। ईडी ने स्मारक घोटाले की जांच कर रहे यूपी विजिलेंस को पत्र लिखकर जानकारी मांगी है।

स्मारक घोटाले से जुड़े कई बिंदु सामने आई
हैसिंडा प्रोजेक्ट्स और स्मारक घोटाले का सीधा कोई जुड़ाव नहीं है, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विजिलेंस को बताया कि हैसिंडा प्रोजेक्ट्स की जांच में स्मारक घोटाले से जुड़े कई महत्वपूर्ण बिंदु सामने आए हैं, जिन्हें जांचना जरूरी है। इस प्रकार, एक सोसाइटी से शुरू हुई ईडी की जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है। ईडी ने इस जांच के लिए गठित एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम) की रिपोर्ट भी मांगी है।

ईडी मोहिंदर सिंह की भूमिका की जांच करेगी
ईडी स्मारक घोटाले में मोहिंदर सिंह और उनके सहयोगियों की भूमिका की जांच पड़ताल करेगा। रिटायर्ड आईएएस मोहिंदर सिंह की भूमिका जांच में अहम कड़ी है। लोटस-300 सोसाइटी में फंड डायवर्जन के मामले में उनके ठिकानों पर ईडी पहले ही छापे मार चुकी है और कई बार उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया भी जा चुका है। बसपा सरकार के दौरान लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर में स्मारक निर्माण के समय मोहिंदर सिंह प्रमुख सचिव आवास और शहरी नियोजन थे। स्मारक घोटाले की जांच वर्तमान में यूपी विजिलेंस द्वारा की जा रही है।

ईडी ने बढ़ाया जांच का दायरा
मोहिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित ठिकानों पर कीमती हीरे और जेवरात बरामद हुए थे। ईडी ने अपने जांच के दायरे को पूरी तरह से तथ्यों के आधार पर मोहिंदर सिंह के खिलाफ बिछाया है। विजिलेंस भी स्मारक घोटाले की जांच में तेजी से काम कर रही है। 22 अक्टूबर को नोएडा में विजिलेंस ने निर्माण निगम के अपर परियोजना प्रबंधक राजवीर सिंह के ठिकानों पर छापे मारे थे और यह जांच कई दिनों तक जारी रही थी। ईडी ने इन सभी आरोपितों और उनके बीच संभावित मिलीभगत की जांच को नए सिरे से शुरू कर दिया है।



करोड़ रुपये के फंड को डायवर्ट
ईडी जिस मामले में जांच कर रहा है, उसमें बिल्डर कंपनी और उसके निदेशकों ने आपराधिक साजिश रचते हुए निवेशकों से प्राप्त 190 करोड़ रुपये के फंड को डायवर्ट कर दिया था। इसके बाद, फ्लैट खरीदारों की शिकायतों पर और अदालत के आदेश पर, ईडी ने लोटस-300 सोसाइटी परियोजना में फंड डायवर्जन की जांच मई 2024 में शुरू की थी। जांच में यह पता चला कि हैसिंडा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर 69,942 वर्ग मीटर जमीन नोएडा अथॉरिटी से आवंटित की गई थी। इसमें से 27,942 वर्ग मीटर जमीन हैसिंडा प्रोजेक्ट्स ने अपनी सहयोगी कंपनी श्रीसी रियल्टर्स को 2 फरवरी 2012 को बेच दी थी। उस समय बेची गई जमीन की कीमत करीब 236 करोड़ रुपये थी। बावजूद इसके, नोएडा प्राधिकरण को इस बिक्री का बकाया नहीं दिया गया। प्राधिकरण के अधिकारियों ने इस बिक्री को मंजूरी दी और जमीन पर बकाया मिलने के बिना ही संशोधित लेआउट भी पास कर दिया। इस मूक सहमति का फायदा उठाकर बिल्डर ने फंड डायवर्जन करने में सफलता प्राप्त की।

डायवर्ट के कारण फंसी परियोजना
लोटस-300 परियोजना में फ्लैट खरीदारों और जमीन बेचने से प्राप्त पैसों का डायवर्ट होने के कारण परियोजना फंस गई और फ्लैट खरीदारों को भटकना पड़ा। इसके चलते ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट को अधूरा छोड़ दिया गया। इस परियोजना के दौरान नोएडा प्राधिकरण के सीईओ मोहिंदर सिंह थे, जिनकी भूमिका अब जांच के दायरे में है।

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