16 साल पहले ट्रिपल मर्डर से दहला था मेरठ : आईपीएस आलोक सिंह ने दिलाया न्याय, 10 लोग दोषी करार

UPT | आईपीएस आलोक सिंह ट्रिपल मर्डर में दिलाया न्याय

Aug 06, 2024 16:33

16 साल पुराने गुदड़ी बाजार ट्रिपल मर्डर केस में न्यायालय ने कल सोमवार को अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने इस ट्रिपल मर्डर मामले में 10 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई...

Meerut News : 16 साल पुराने गुदड़ी बाजार ट्रिपल मर्डर केस में न्यायालय ने कल सोमवार को अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने इस ट्रिपल मर्डर मामले में 10 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह हत्याकांड 16 साल पहले एक लव अफेयर के चलते हुआ था। जिसमें सुनील ढाका, पुनीत गिरि और सुधीर उज्जवल की निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस मर्डर केस में आईपीएस अलोक सिंह की अहम भूमिका रही है। जिनकी कोशिश से आरोपियों को सजा मिली है और पीड़ित को न्याय मिल सका।

16 साल पहले ट्रिपल मर्डर मामले में मिली सजा
23 मई 2008 को बागपत जिले के बैलानी क्षेत्र की एक नदी के किनारे तीन युवकों के शव मिलने से सामने आया था। मृतकों की पहचान सुनील ढाका (27) निवासी जागृति विहार, मेरठ पुनीत गिरि (22) निवासी परीक्षितगढ़ रोड, मेरठ और सुधीर उज्जवल (23) निवासी गांव सिरसली, बागपत के रूप में हुई थी। जांच में पता चला कि 22 मई 2008 की रात को गुदड़ी बाजार में इन युवकों की हत्या की गई थी। हत्या का मास्टरमाइंड हाजी इजलाल कुरैशी था। जिसकी गर्लफ्रेंड शीबा सिरोही भी इसमे साजिश की थी। हाजी इजलाल ने अपने भाइयों और दोस्तों के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था। इस मामले में अन्य आरोपी देवेंद्र आहूजा उर्फ मन्नु, अफजाल, वसीम, रिजवान, बदरुद्दीन, महराज, इजहार और अब्दुल रहमान उर्फ कलुवा भी शामिल थे। 31 जुलाई 2024 को अदालत ने सभी 10 आरोपियों को दोषी करार दिया था और सोमवार को सजा का ऐलान किया गया।

हत्यारों ने कैसे दिया घटना को अंजाम
22 मई 2008 को मेरठ के इजलाल ने अपने घर पर सुनील ढाका, पुनीत गिरि और सुधीर उज्जवल को बुलाया। शुरू में सभी ने एक साथ शराब पार्टी की। लेकिन इसके बाद इजलाल ने अपने भाईयों और दोस्तों के साथ मिलकर एक भयानक हत्या की योजना बनाई। पहले तीनों को गोली मारी फिर तलवार से काटा और अंत में उनकी आंखें फोड़कर नृशंस तरीके से उनकी हत्या की। हत्यारे युवकों ने रात भर टॉर्चर किया और सुबह तक उनकी हत्या कर दी। शवों को अपने घर के पास फेंक दिया। मोहल्ले में शोर मचने पर हत्यारे शवों को कार में भरकर भागे। जब गाड़ी का तेल खत्म हो गया तो शवों को नहर किनारे छोड़कर भाग गए। इस घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया। घटना के बाद मेरठ और बागपत पुलिस को तुरंत अलर्ट किया गया। एक आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी हुई और इजलाल से पूछताछ शुरू की गई। इस पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए। 

प्रेम संबंधों के चलते किया हत्या
हत्या की जड़ में प्रेम संबंधों का विवाद था। हाजी इजलाल कुरैशी मेरठ कॉलेज की छात्रा शीबा सिरोही के साथ दोस्ती कर चुका था और उसे शीबा से एकतरफा प्यार हो गया था। इसी बीच सुनील ढाका भी शीबा को पसंद करने लगा था और अपने दोस्तों पुनीत और सुधीर के साथ शीबा से मिलने-जुलने लगा। इजलाल को यह पसंद नहीं आया कि शीबा का सुनील से संपर्क हो। शीबा ने ही इजलाल को तीनों के खिलाफ उकसाया था। जिसके चलते इजलाल ने अपने भाईयों और दोस्तों के साथ मिलकर इन तीनों की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी।

आईपीएस आलोक सिंह के प्रयासों ने मिला न्याय
गुदड़ी बाजार मर्डर केस में आईपीएस अधिकारी अलोक सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस मामले में उनके प्रयासों ने आरोपियों को न्याय दिलाने और पीड़ित परिवार को राहत प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गुदड़ी बाजार क्षेत्र में एक हत्या की घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया था। इस हत्या ने ना सिर्फ स्थानीय समुदाय को बल्कि कानून व्यवस्था को भी चुनौती दी। मामला पूरी तरह से उलझा हुआ था और अपराधियों की पहचान और उनकी गिरफ्तारी में काफी समय लग रहा था। आईपीएस अलोक सिंह ने इस केस को अपने विशेष ध्यान में लिया। उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की। उनकी टीम ने गहन छानबीन की, साक्ष्यों को इकट्ठा किया और संदिग्धों की जांच की। उनके कुशल नेतृत्व में पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ ठोस सबूत जुटाए और केस को अदालत में मजबूती से पेश किया।

जानिए कौन है आईपीएस आलोक सिंह 
वर्ष 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी आलोक सिंह को नोएडा का पहला पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया है। आलोक सिंह की छवि एक तेज-तर्रार और सक्षम अधिकारी के रूप में रही है। जिन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है और अपनी सेवाओं के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं। आलोक सिंह मूल रूप से अलीगढ़ के निवासी हैं। वर्तमान में वह कानपुर में एडीजी के पद पर तैनात हैं। इससे पहले उन्होंने कानपुर में आईजी के पद पर भी कार्य किया है। आलोक सिंह को डीजीपी के सिल्वर और गोल्ड डिस्क से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने इटली और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पुलिस ट्रेनिंग प्राप्त की है। इसके अलावा सोनभद्र जिले में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए उन्हें राष्ट्रपति का वीरता पदक भी प्राप्त हुआ था। आलोक सिंह का अनुभव विभिन्न जिलों में काम करने का है। उन्होंने कौशाम्बी, बागपत, बस्ती, सोनभद्र, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव, बिजनौर, कानपुर और मेरठ में पुलिस कप्तान के रूप में अपनी सेवाएँ दी हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने लखनऊ में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में काम किया और सीओ अलीगंज के पद पर भी तैनात रहे। 32 वीं बटालियन पीएसी में सेनानायक के रूप में उनकी सेवा ने उनकी नेतृत्व क्षमता और रणनीतिक दृष्टिकोण को प्रमाणित किया है।

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