बांके बिहारी मंदिर का लिया जायजा : संभल में जिला जज के साथ जिलाधिकारी और एसपी भी रहे, जानिए क्या है पूरा मामला

UPT | संभल जिले के चंदौसी में मंदिर का निरीक्षण करते जिला जज व अन्य।

Jan 05, 2025 13:56

संभल के चंदौसी में 152 साल पुराने बांके बिहारी मंदिर का जीर्णोद्धार शुरू होने जा रहा है। जिला जज, डीएम और एसपी ने निरीक्षण कर पुनरुद्धार की योजना बनाई। खंडहर बने इस मंदिर को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संरक्षित किया जाएगा।

Sambhal News : संभल जिले के चंदौसी में स्थित 152 साल पुराने बांके बिहारी मंदिर की दुर्दशा अब खत्म होने की ओर है। जिला जज ने डीएम और एसपी के साथ मंदिर का निरीक्षण किया और इसके जीर्णोद्धार के लिए आवश्यक कदम उठाने पर चर्चा की। मंदिर, जो कभी क्षेत्र का सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र था, देखभाल के अभाव में खंडहर में बदल चुका है। प्रशासन ने इसे पुनर्जीवित करने और इसके ऐतिहासिक महत्व को संरक्षित करने की दिशा में पहल शुरू कर दी है। 



152 साल पुराने मंदिर का इतिहास 
चंदौसी के लक्ष्मणगंज इलाके में स्थित यह मंदिर 152 साल पुराना है। एक समय यह क्षेत्र हिंदू संस्कृति और धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था, लेकिन पिछले 25 वर्षों में यहां हिंदुओं का पलायन बढ़ने से यह क्षेत्र मुस्लिम बहुल बन गया। मंदिर की उपेक्षा के कारण इसकी स्थिति लगातार खराब होती गई। मंदिर का संरक्षक रहे कृष्ण कुमार के अनुसार, 2010 तक यहां नियमित पूजा-अर्चना होती थी। यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था का केंद्र था। लेकिन समय के साथ, उपेक्षा और बदलते सामाजिक परिवेश के चलते मंदिर खंडहर में तब्दील हो गया।

2010 में मूर्तियों को पहुंचाई गई क्षति
वर्ष 2010 में, मंदिर में एक बड़ी घटना हुई जब शरारती तत्वों ने भगवान बांके बिहारी, शिवलिंग और अन्य देवताओं की मूर्तियों को खंडित कर दिया। इस घटना ने स्थानीय लोगों को झकझोर दिया, और पुलिस कार्रवाई भी हुई। लेकिन मंदिर की स्थिति सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। इस घटना के बाद, मंदिर के गेट, शिखर और अन्य संरचनाओं को भी नुकसान पहुंचाया गया। धीरे-धीरे मंदिर की भव्यता समाप्त हो गई और यह एक खंडहर में बदल गया।

वर्तमान स्थिति: खंडहर में तब्दील हुआ मंदिर
आज मंदिर की स्थिति बेहद दयनीय है। जहां पहले भगवान की मूर्तियां स्थापित थीं, अब वहां केवल उनके निशान बचे हैं। क्षेत्र में बढ़ती मुस्लिम आबादी और प्रशासन की अनदेखी ने मंदिर को इस हालत में पहुंचा दिया है। स्थानीय लोगों के लिए यह एक सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के पतन का उदाहरण बन चुका है।

प्रशासन की पहल : जीर्णोद्धार की दिशा में पहला कदम
संभल प्रशासन ने अब इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने और इसके पुनरुद्धार के लिए कदम उठाए हैं। जिला जज, डीएम, और एसपी ने मिलकर मंदिर का निरीक्षण किया और इसे पुनर्जीवित करने के लिए आवश्यक कार्यों पर चर्चा की। डीएम ने कहा कि मंदिर के संरक्षण और जीर्णोद्धार के लिए एक ठोस योजना तैयार की जाएगी। इसमें मंदिर के पुनर्निर्माण के साथ-साथ पूजा-अर्चना को फिर से शुरू करने की व्यवस्था भी शामिल होगी। प्रशासन इसे सांस्कृतिक धरोहर के रूप में संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

स्थानीय लोगों की उम्मीदें और प्रतिक्रिया
लक्ष्मणगंज स्थित यह मंदिर केवल धार्मिक महत्व का नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। स्थानीय लोगों ने मंदिर के पुनरुद्धार की पहल का स्वागत किया है। उनका मानना है कि प्रशासन के प्रयास से मंदिर को उसकी खोई हुई पहचान वापस मिलेगी। ग्रामीणों ने उम्मीद जताई कि यह मंदिर न केवल धार्मिक गतिविधियों के लिए फिर से खुल सकेगा, बल्कि सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बनकर क्षेत्र को गौरवान्वित करेगा।

मंदिर का पुनरुद्धार: सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम
बांके बिहारी मंदिर का पुनरुद्धार केवल एक धार्मिक स्थल को पुनर्जीवित करने का प्रयास नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने का भी बड़ा कदम है। जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों के संयुक्त प्रयास से इस मंदिर को फिर से उसकी भव्यता और महत्व वापस मिल सकता है। डीएम ने कहा कि प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि मंदिर का पुनर्निर्माण गुणवत्तापूर्ण हो और इसे भविष्य के लिए संरक्षित किया जा सके। यह पहल क्षेत्र में सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को सशक्त करने में मदद करेगी।

मंदिर के पुनरुद्धार से लौटेगी इसकी भव्यता
152 साल पुराने बांके बिहारी मंदिर का जीर्णोद्धार न केवल धार्मिक आस्था को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि यह समाज में एकता और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का संदेश भी देगा। प्रशासन के इस प्रयास से यह मंदिर फिर से क्षेत्र का गौरव बन सकेगा।  

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