सुप्रीम कोर्ट से मायावती को मिली राहत : 15 साल पुरानी याचिका पर सुनवाई बंद, करोड़ों रुपये खर्च कर मूर्तियां लगवाने का मामला

UPT | सुप्रीम कोर्ट से मायावती को मिली राहत

Jan 15, 2025 21:46

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को उनके जन्मदिन के मौके पर सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उनकी और उनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियां सरकारी खर्चे पर लगवाने के मामले में उनके खिलाफ लंबित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद कर दी है...

New Delhi : उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को उनके जन्मदिन के मौके पर सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उनकी और उनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियां सरकारी खर्चे पर लगवाने के मामले में उनके खिलाफ लंबित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद कर दी है। अदालत ने कहा कि यह मामला अब पुराना हो चुका है और मूर्तियां हटाने के आदेश देने से सरकार का अतिरिक्त खर्च ही बढ़ेगा, इसलिए मामले को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।

2009 में एक वकील ने की थी याचिका दर्ज
यह याचिका 2009 में सामाजिक कार्यकर्ता और वकील रविकांत ने उस समय दाखिल की थी जब मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं। याचिका में लखनऊ, नोएडा समेत राज्य के कई जिलों में बन रहे स्मारकों पर सवाल उठाया गया था। आरोप था कि इन स्मारकों में बहुजन आंदोलन से जुड़े महापुरुषों के साथ-साथ मायावती की भी मूर्तियां लगवाई जा रही थीं। इसके अलावा, बीएसपी के चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियां भी बड़े पैमाने पर सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित की जा रही थीं।



याचिकाकर्ता ने ये लगाए थे आरोप
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि इन स्मारकों के निर्माण में सरकारी खजाने से करीब 2600 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। उन्होंने मांग की थी कि यह राशि तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती और बहुजन समाज पार्टी से वसूली जाए। इस पर यूपी सरकार ने अदालत में पक्ष रखते हुए कहा था कि इन स्मारकों के निर्माण को राज्य कैबिनेट से मंजूरी मिली थी। सरकार ने यह भी तर्क दिया था कि हाथी की मूर्तियां बीएसपी के चुनाव चिन्ह जैसी नहीं हैं, बल्कि सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में लगाई गई हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने मायावती सरकार को लगाई थी फटकार
शुरुआती सुनवाइयों में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी धन से मुख्यमंत्री की मूर्तियां लगवाने पर यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। अदालत ने सवाल उठाया था कि सार्वजनिक पैसे का इस तरह निजी प्रचार के लिए इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है। 2019 में भी तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि प्राथमिक दृष्टि में ऐसा लगता है कि मायावती को इन मूर्तियों पर हुए सरकारी खर्च की भरपाई करनी चाहिए। अदालत ने इसे जनता के पैसों का दुरुपयोग माना था।

कोर्ट ने कहा- मामला खींचने के बजाय निपटारा किया जाए
बुधवार, 15 जनवरी को यह मामला सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी. वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच के समक्ष आया। सुनवाई के दौरान बेंच ने इसे काफी पुराना मामला बताते हुए इसे खत्म करने की मंशा जताई। याचिकाकर्ता रविकांत की ओर से पेश वकील अशोक कुमार सिंह ने दलील दी कि सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है। इस पर बेंच ने कहा कि अगर अब मूर्तियों को हटाने का आदेश दिया जाता है, तो उससे भी सरकार का खर्च बढ़ेगा। बेंच ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग पहले ही निर्देश जारी कर चुका है कि सरकारी धन से किसी भी राजनीतिक दल का महिमामंडन नहीं किया जा सकता। ऐसे में भविष्य में इस तरह के दुरुपयोग की संभावना नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले को अब और लंबा खींचने के बजाय इसका निपटारा कर दिया जाए।

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