कल खत्म हो रहा है CJI चंद्रचूड़ का कार्यकाल : मां रेडियो में करती थीं काम, पिता थे चीफ जस्टिस... यूपी से है ये खास कनेक्शन

UPT | कल खत्म हो रहा है CJI चंद्रचूड़ का कार्यकाल

Nov 09, 2024 15:01

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ कल यानी 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस संजीव खन्ना लेंगे। इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का अंतिम कार्य दिवस था

Short Highlights
  • CJI चंद्रचूड़ का कार्यकाल हो रहा खत्म
  • मां और पिता की सीख रखी याद
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट में रहे हैं चीफ जस्टिस
New Delhi : भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ कल यानी 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस संजीव खन्ना लेंगे। इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का अंतिम कार्य दिवस था। अपनी फेयरवेल स्पीड में जस्टिस चंद्रचूड़ भावुक भी हो गए। सीजेआई चंद्रचूड़ का उत्तर प्रदेश से भी खास कनेक्शन है। वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे हैं। आज हम आपको CJI डीवाई चंद्रचूड़ के बारे में बताने जा रहे हैं।

पिता के नाम दर्ज है रिकॉर्ड
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था। उनका पूरा नाम धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ है। उनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ देश के 16वें मुख्य न्यायाधीश थे। उनके नाम देश के सबसे लंबे समय तक चीफ जस्टिस बने रहने का रिकॉर्ड है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की मां का नाम प्रभा चंद्रचूड़ है। वह ऑल इंडिया रेडियो में क्लासिकल सिंगर थीं। जस्टिस चंद्रचूड़ की शुरुआती पढ़ाई मुंबई में हुई। इसके बाद उन्होंने 1979 में दिल्ली के प्रसिद्ध सेंट स्टीफन कॉलेज से इकॉनमिक्स और मैथमेटिक्स की डिग्री हासिल की।



हार्वर्ड से भी की पढ़ाई
जस्टिस चंद्रचूड़ की दिलचस्पी कानून में थी, इसलिए उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए हार्वर्ड चले गए। यहां उन्होंने 1983 में एलएलएम पूरा किया और फिर 1986 में यहीं से लॉ में डॉक्टरेट की उपाधि ली। पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने महाराष्ट्र के बार काउंसिल में बतौर अधिवक्ता रजिस्ट्रेशन कराया। जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस दौरान मुंबई यूनिवर्सिटी में बतौर विजिटिंग प्रोफेसर भी काम किया।

38 में बन गए सीनियर एडवोकेट
अपनी मेहनत के दम पर डीवाई चंद्रचूड़ को 1998 में सीनियर एडवोकेट बना दिया गया। तब वह महज 38 साल के थे। ये पद 40 से कम उम्र के लोगों को शायद ही कभी मिला हो। इसके बाद उन्हें देश का एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाया गया। वह साल 2000 तक इस पद पर रहे। इसके बाद उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट में जज बना दिया गया। यही से बतौर जज डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल शुरू हुआ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में पदोन्नति
जस्टिस चंद्रचूड़ ने अगले 13 साल तक बॉम्बे हाईकोर्ट में बतौर जज अपना कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद उन्हें पदोन्नत कर इलाहाबाद हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया। जस्टिस चंद्रचूड़ ने 2013 से 2016 तक तीन साल इलाहाबाद हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस अपनी सेवा दी। इसके बाद कॉलेजियम की सिफारिश पर उनका नाम सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शामिल किया गया और वह 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज बन गए। 9 नवंबर 2022 को उन्होंने देश के 50वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली।

मां और पिता की सीख रखी याद
जस्टिस चंद्रचूड़ की विदाई के लिए शुक्रवार को सेरेमोनियल बेंच बैठी। इस दौरान उन्होंने अपनी मां और पिता से जुड़े किस्से सुनाए। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि 'मेरी मां ने मुझे बचपन में कहा था कि तुम्हारा नाम धनंजय रखा है। लेकिन इस धनंजय का 'धन' भौतिक संपत्ति नहीं है। मैं चाहती हूं कि तुम ज्ञान अर्जित करो।' अपने पिता को याद करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि 'मेरे पिता ने पुणे में एक छोटा सा फ्लैट खरीदा था। जब मैंने उनसे पूछा कि आप फ्लैट पुणे में क्यों खरीद रहे हैं? आखिर हम वहां कब रहने जाएंगे? इस पर मेरे पिता ने कहा कि ये फ्लैट मैं इसलिए खरीद रहा हूं कि जब भी तुम्हें लगे कि तुम्हारी नैतिकता या बौद्धिक ईमानदारी से समझौता हो रहा है, तो मैं चाहता हूं कि तुम्हें यह पता हो कि तुम्हारे सिर पर छत है। मेरे पिता ने कहा था कि वकील या जज रहते हुए कभी भी ये सोचकर अपने उसूलों से समझौता मत करना कि तुम्हारे पास अपना घर नहीं है।'

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