सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला : आधार कार्ड उम्र निर्धारण के लिए वैध नहीं, स्कूल प्रमाणपत्र को माना सही आधार

UPT | सुप्रीम कोर्ट

Oct 25, 2024 11:36

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि आधार कार्ड किसी व्यक्ति की उम्र निर्धारित करने के लिए वैध दस्तावेज नहीं है।

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि आधार कार्ड किसी व्यक्ति की उम्र निर्धारित करने के लिए वैध दस्तावेज नहीं है। अदालत ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें एक सड़क दुर्घटना मामले में मृतक की उम्र निर्धारित करने के लिए आधार कार्ड को आधार बनाया गया था। न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति की उम्र का निर्धारण किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 94 के तहत किया जाना चाहिए। इसके तहत विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र में दी गई जन्मतिथि को मान्यता दी जानी चाहिए।

यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला : पत्रकार को जातिगत भेदभाव के आरोपों पर दर्ज FIR में दी अंतरिम सुरक्षा, यूपी सरकार से मांगा जवाब

आधार कार्ड उम्र निर्धारण के लिए वैध नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के परिपत्र संख्या 8/2023 का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि आधार कार्ड पहचान स्थापित करने के लिए तो वैध दस्तावेज है, लेकिन इसे जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती। UIDAI ने इस परिपत्र को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के 20 दिसंबर 2018 के एक कार्यालय ज्ञापन के संदर्भ में जारी किया था। न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि आधार कार्ड को केवल पहचान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन जन्मतिथि या उम्र के प्रमाण के लिए इसे मान्य नहीं माना जाएगा।

मुआवजे की राशि में परिवर्तन
यह मामला 2015 में हुई एक सड़क दुर्घटना से जुड़ा है जिसमें मृतक के परिवार ने मुआवजे के लिए अपील की थी। मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी), रोहतक ने दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के परिवार को 19.35 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था। हालांकि, बाद में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने आधार कार्ड के आधार पर मृतक की उम्र को 47 वर्ष मानते हुए मुआवजे की राशि को घटाकर 9.22 लाख रुपये कर दिया। हाई कोर्ट के अनुसार, एमएसीटी द्वारा मुआवजे की गणना करते समय आयु गुणक को सही तरीके से नहीं लगाया गया था। 



परिवार की दलील और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
मृतक के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी कि हाई कोर्ट ने मृतक की उम्र का निर्धारण करते समय गलती की है क्योंकि आधार कार्ड का उपयोग उम्र निर्धारण के लिए नहीं किया जाना चाहिए था। परिवार के अनुसार, मृतक का विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र उसके उम्र के सटीक निर्धारण के लिए उपयुक्त है, जिसके अनुसार उसकी मृत्यु के समय उम्र 45 वर्ष थी, न कि 47 वर्ष। सुप्रीम कोर्ट ने परिवार की इस दलील को मानते हुए हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया और एमएसीटी के आदेश को बरकरार रखा।

Also Read