मनीष सिसोदिया को मिली जमानत : जेल से 17 महीनों बाद आएंगे बाहर, इन शर्तों पर मिली बेल

UPT | मनीष सिसोदिया

Aug 09, 2024 11:36

दिल्ली आबकारी नीति और धन शोधन से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ...

New Delhi News : दिल्ली आबकारी नीति और धन शोधन से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने आज शुक्रवार को उनकी जमानत याचिका पर फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देते हुए कुछ शर्तें भी लागू की हैं। अदालत ने आदेश दिया है कि सिसोदिया अपने पासपोर्ट को जमा कर दें और हर सोमवार को थाने में हाजिरी दें। इसके अलावा उन्हें गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश से भी परहेज करने के लिए कहा गया है।

जानिए क्या था मामला
दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 में कथित घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा मामला इन दिनों काफी चर्चा में है। इस विवाद में दिल्ली सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को मुख्य आरोपियों में गिना जा रहा है। सिसोदिया के खिलाफ विशेष रूप से धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) और अन्य वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं। दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को लेकर आरोप है कि इसमें भ्रष्टाचार और अनियमितताएं की गईं। सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने इस नीति को बनाने और उसके कार्यान्वयन में अवैध लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अनियमितताएं कीं। इन आरोपों के चलते सिसोदिया को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी सिसोदिया के खिलाफ कई मामलों में कार्रवाई शुरू की और उन पर शिकंजा कसा।

SC ने ASG के अनुरोध को नहीं माना
सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू के अनुरोध को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मनीष सिसोदिया को दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रवेश करने से रोकने की अपील की थी। अदालत ने इस अनुरोध को मानने से इंकार करते हुए कहा कि स्वतंत्रता का मुद्दा हर दिन महत्वपूर्ण होता है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

फैसले से पहले कार्रवाई के बारे में बताया
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय से पहले की गई कार्यवाही के बारे में अदालत ने बताया कि सिसोदिया को पहले निचली अदालत और फिर उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा गया था। इसके पश्चात मनीष सिसोदिया ने इन दोनों अदालतों में याचिकाएं दायर की थीं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में "ट्रिपल टेस्ट" लागू नहीं होगा, क्योंकि मामला ट्रायल शुरू होने में देरी से संबंधित है। निचली अदालत ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर मेरिट के आधार पर विचार नहीं किया और राइट टू स्पीडी ट्रायल को नजरअंदाज किया। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बताया कि इस मामले में अलग-अलग आरोपियों द्वारा कई याचिकाएं दायर की गई हैं। विशेष रूप से, सिसोदिया ने अपनी पत्नी से मिलने और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए याचिकाएं दायर की थीं। सीबीआई मामले में 13 और ED मामले में 14 याचिकाएं दायर की गई थीं।

ट्रायल में देरी क्यों 
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि ट्रायल में देरी का कारण क्या था। अदालत ने निचली अदालत के इस तर्क को खारिज किया कि सिसोदिया की याचिकाओं के कारण ट्रायल में देरी हुई। कोर्ट ने कहा कि जब जुलाई में जांच पूरी हो चुकी थी और 8 आरोपपत्र दाखिल हो चुके थे, तो फिर ट्रायल शुरू करने में देरी क्यों हुई? हाई कोर्ट और निचली अदालत ने इस तथ्य को नजरअंदाज किया, जो कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार सही नहीं था।

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