किसानों के मुद्दे पर उपराष्ट्रपति ने उठाए सवाल : केंद्रीय कृषि मंत्री को निशाने पर लिया, सत्यपाल मलिक ने की सराहना

UPT | उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

Dec 04, 2024 15:52

किसानों के प्रदर्शन के बीच भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किसानों के संघर्ष को लेकर अहम बयान दिया, जो कृषि सुधारों और उनकी मांगों को लेकर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध को और उभारता है...

New Delhi News : किसानों के प्रदर्शन के बीच भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किसानों के संघर्ष को लेकर अहम बयान दिया है। उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सवाल पूछा, "कृषि मंत्री जी, क्या किसान से किया गया वादा पूरा किया गया था ? यदि नहीं, तो क्यों ? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या कदम उठाए जा रहे हैं वादों को पूरा करने के लिए ? उपराष्ट्रपति के इस बयान को लेकर पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने उनकी सराहना की है।

किसान की पीड़ा और असहाय स्थिति पर सवाल
उपराष्ट्रपति ने कृषि मंत्री से पूछा कि क्या किसानों से कोई वादा किया गया था ? उन्होंने यह भी तर्क रखा कि यह सवाल सिर्फ नीति के बारे में नहीं है, बल्कि किसानों की वास्तविक पीड़ा और असहाय स्थिति के बारे में भी है। किसान अकेला है जो असहाय महसूस कर रहा है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सरकार ने किसानों के लिए किए गए वादों को क्यों नहीं निभाया।

किसान पुत्र ही किसानों की पीड़ा समझ सकते हैं
सत्यपाल मलिक ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ का आभार व्यक्त किया। मलिक ने लिखा, "किसान की आवाज़ को बुलंद करने के लिए बहुत धन्यवाद माननीय जगदीप धनखड़। किसान पुत्र ही किसान की पीड़ा को समझ सकते हैं। आप इस स्थिति में हैं कि प्रधानमंत्री से भी बात कर सकते हैं और किसानों की समस्याओं का समाधान करवा सकते हैं।
 
कृषि मंत्री से वादा निभाने की अपील
उपराष्ट्रपति ने यह स्पष्ट किया कि पिछले साल किसान आंदोलन हुआ था और इस साल भी वही स्थिति बनी हुई है। उपराष्ट्रपति ने अपनी चिंता जताते हुए कहा "कालचक्र घूम रहा है, लेकिन हम कुछ नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कृषि मंत्री से यह भी पूछा कि वादा निभाने के लिए सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए हैं और क्यों इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।



क्यों परेशान है किसान
इस बयान में उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत का चेहरा पहले कभी इतना बदलता हुआ नहीं दिखा। उपराष्ट्रपति ने गर्व से कहा कि "विकसित भारत" अब सिर्फ सपना नहीं, बल्कि एक वास्तविक लक्ष्य बन चुका है। "दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। हालांकि, उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाया कि जब देश का इतना विकास हो रहा है, तो किसान क्यों परेशान और पीड़ित हैं।

उपराष्ट्रपति का बयान एक अहम मोड़ पर
किसानों के प्रदर्शन के बीच उपराष्ट्रपति का यह बयान एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है, जो किसान आंदोलनों के लिए एक और नया दृष्टिकोण पेश करता है। उपराष्ट्रपति ने सरकार और किसानों के बीच संवाद को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि इस मुद्दे का समाधान निकल सके और किसानों की समस्याओं का सही तरीके से निवारण किया जा सके। किसानों के लगातार संघर्ष और उनके आंदोलन के बीच, उपराष्ट्रपति का यह बयान राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, और यह सरकार से जवाबदेही की मांग को उजागर करता है।

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