Supreme Court News : सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, कहा-उत्तर प्रदेश का गुंडा एक्ट बहुत सख्त है

UPT | सुप्रीम कोर्ट

Dec 04, 2024 17:53

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के गुंडा और गैर सामाजिक गतिविधि रोकथाम कानून (गुंडा एक्ट) को लेकर सख्त टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने बुधवार को इस कानून की सख्ती पर नाराजगी जताई।

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के गुंडा और गैर सामाजिक गतिविधि रोकथाम कानून (गुंडा एक्ट) को लेकर सख्त टिप्पणी की है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने बुधवार को इस कानून की सख्ती पर नाराजगी जताई। यह टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने मई 2023 में इस कानून के तहत लंबित कार्यवाही रोकने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी।

पुलिस और न्यायिक तंत्र के दुरुपयोग का आरोप
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया कि यूपी गैंगस्टर्स एक्ट के तहत उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निराधार है और यह कानून पुलिस और न्यायिक मशीनरी के दुरुपयोग का एक उदाहरण है। वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल और अधिवक्ता तन्वी दुबे ने याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया कि यह प्राथमिकी पहले से दर्ज मामले पर आधारित है और किसी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले ही नवंबर 2023 में यूपी सरकार से जवाब मांगा था और याचिकाकर्ता के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।



संवैधानिकता पर भी होगी सुनवाई
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुंडा एक्ट के कुछ प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली एक अन्य याचिका पर भी सुनवाई की जाएगी। पीठ ने कहा कि इस कानून की कठोरता पर पुनर्विचार किया जाना जरूरी है। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में यह भी बताया कि उनके खिलाफ पहले 1986 के एक्ट के तहत अवैध खनन का मामला दर्ज किया गया था। उसी आरोप को आधार बनाकर गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया, जो कानूनी रूप से गलत है।

हाई कोर्ट में भी हुई थी सुनवाई
हाई कोर्ट के समक्ष भी याचिकाकर्ता ने यह दावा किया था कि उन्हें झूठा फंसाया गया है। वकील ने दलील दी थी कि गैंगस्टर अधिनियम का इस्तेमाल केवल एक अन्य मामले को आधार बनाकर किया गया है, जिसमें याचिकाकर्ता का नाम तक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अब याचिका पर विस्तृत सुनवाई करने का निर्णय लिया है और इस कानून की कठोरता व संवैधानिकता पर विचार करेगा।

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