NHAI ने 109 करोड़ खर्च कर बनाया वन-वे बाईपास : तेंदुए की मौत ने उठाए सवाल, जानवरों के लिए बना खतरा

UPT | NHAI ने 109 करोड़ खर्च कर बनाया वन-वे बाईपास

Dec 15, 2024 14:17

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में स्थित गणेश घाट पर राष्ट्रीय उच्चमार्ग 52 पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने लगभग 109 करोड़ रुपये की लागत से 9 किलोमीटर लंबा वन-वे बाईपास बनाया था।

New Delhi : मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में स्थित गणेश घाट पर राष्ट्रीय उच्चमार्ग 52 पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने लगभग 109 करोड़ रुपये की लागत से 9 किलोमीटर लंबा वन-वे बाईपास बनाया था। यह बाईपास सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से तैयार किया गया था, लेकिन इसके बनने के कुछ ही दिनों बाद, बाईपास ने जंगली जानवरों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। सड़क शुरू होने के तीसरे ही दिन मादा तेंदुए की सड़क हादसे में मौत हो गई, जो इस क्षेत्र में वन्य जीवों के लिए एक नई समस्या बन चुकी है।

क्यों बनी यह रोड जंगली जानवरों के लिए खतरा?
गणेश घाट क्षेत्र, जो इंदौर रोड से करीब 90 किलोमीटर दूर स्थित है, पहले सड़क हादसों का गढ़ था, जहां कई लोगों की जान जा चुकी थी। हादसों की बढ़ती संख्या को देखते हुए NHAI ने इस इलाके में बाईपास बनाने का निर्णय लिया। हालांकि, बाईपास बनाने से इंसानों के लिए हादसों में कमी आई, लेकिन यह वन्य जीवों के लिए एक नई मुसीबत बन गई है। सड़क पर प्रति मिनट 15-16 वाहन गुजर रहे हैं, जिनकी रफ्तार 80 किमी प्रति घंटे से अधिक है। ऐसे में जंगली जानवरों के लिए सड़क पार करना बेहद मुश्किल हो गया है।

वन्य जीवों के प्राकृतिक रास्ते पर आ रहा अड़चन
यह क्षेत्र बड़वाह वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है और यहां तेंदुए सहित कई वन्य प्राणी निवास करते हैं। सड़क के निर्माण के दौरान पहाड़ियों को काटा गया और खाइयों को भरा गया, जिससे इन जंगली जानवरों का प्राकृतिक मार्ग बाधित हो गया। इस क्षेत्र में अंडरपास या अन्य संरचनाओं का निर्माण नहीं किया गया, जिससे वन्य जीवों को सड़क पार करने में दिक्कत हो रही है। तेंदुए जैसे शर्मीले जानवर आमतौर पर सड़क क्रॉस नहीं करते और वाहनों के आते ही छिप जाते हैं, लेकिन तेज गति से दौड़ते वाहनों के बीच वे सड़क पार करने में नाकाम रहते हैं।

रोड पर मिली तेंदुए के पगमार्ग
वन्य प्राणी संरक्षणकर्ता नवीन कुमार के अनुसार, तेंदुए जैसे जानवर अपने प्राकृतिक पगमार्गों पर ही चलते हैं। सड़क बनने के बाद इस मादा तेंदुए का मार्ग बाधित हो गया, जिसके चलते वह इस नई सड़क पर आई थी और दुर्घटना का शिकार हो गई। नवीन ने बताया कि कुछ स्थानों पर अंडरपास तो बनाए गए हैं, लेकिन वे बारिश के पानी के लिए हैं, जो वन्य जीवों के लिए उपयोगी नहीं हैं।



रोड में मौजूद खामियां
एक्सपर्ट के मुताबिक, इस रोड पर वाहनों की संख्या और गति दोनों ही बहुत अधिक हैं, जो तेंदुए के लिए जोखिमपूर्ण है। तेंदुए जैसे जानवर आमतौर पर सड़क पार नहीं करते, और जब वे सड़क पार करने का प्रयास करते हैं, तो अचानक आने वाले वाहनों से दुर्घटना हो जाती है। महादेव ने यह भी बताया कि इस सड़क पर कहीं भी वन क्षेत्र से गुजरने का संकेतक बोर्ड नहीं है, और न ही रोड क्रॉसिंग के लिए अंडरपास या अन्य सुविधाएं बनाई गई हैं।

हादसे के कारण
यहां रोड की एक साइड समतल है जबकि दूसरी साइड खाई है, और दूसरी ओर बैरिकेड लगे हुए है। इस कारण तेंदुआ समतल क्षेत्र से रोड पार करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन दूसरी साइड बैरिकेडिंग के कारण वह सड़क पार नहीं कर सका और हादसे का शिकार हो गया।

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