यूपी में 182 डॉक्टरों की बर्खास्तगी का मामला : इस कारण हुई थी कार्रवाई, चौदह साल बाद SC ने दिया मुआवजे का आदेश

UPT | सुप्रीम कोर्ट

Dec 15, 2024 15:09

उत्तर प्रदेश के चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण महानिदेशालय ने सभी डॉक्टरों से उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट मांगी थी। उस समय ऑनलाइन व्यवस्था नहीं होने के कारण यह रिपोर्ट हाथ से लिखकर भेजी जाती थी...

New Delhi News : साल 2010 में उत्तर प्रदेश के चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण महानिदेशालय ने सभी डॉक्टरों से उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट मांगी थी। उस समय ऑनलाइन व्यवस्था नहीं होने के कारण यह रिपोर्ट हाथ से लिखकर भेजी जाती थी। इस प्रक्रिया में लगभग 182 डॉक्टरों की रिपोर्ट विभिन्न जिलों से प्राप्त नहीं हो सकी। इस आधार पर इन डॉक्टरों को चार से पांच साल तक अनुपस्थित माना गया।

डॉक्टरों ने उपस्थित रहने के दिए सबूत
रिपोर्ट के अभाव में इन डॉक्टरों को बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया गया, जिससे विभाग में हड़कंप मच गया। इस सूची में कई डॉक्टर ऐसे थे जो महानिदेशालय में काम कर रहे थे और कुछ डॉक्टरों ने विभिन्न शाखाओं में जिम्मेदारी भी निभाई थी। जब यह सूची जारी हुई, तो इन डॉक्टरों ने अपनी उपस्थिति का प्रमाण प्रस्तुत किया और यह साबित किया कि वे अपने संबंधित स्थानों पर काम कर रहे थे।



कोर्ट ने दिया मुआवजे का आदेश
महानिदेशालय ने बताया कि वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट का रखरखाव और उसे तैयार करना विभाग की जिम्मेदारी है। जिन डॉक्टरों ने अपने कार्यस्थल पर होने का प्रमाण प्रस्तुत किया, उन्हें बहाल कर लिया गया। इस बीच डॉ. सुदर्शन कुमार सहित लगभग 15 डॉक्टरों ने अदालत का रुख किया और उच्च न्यायालय के बाद वे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे। कोर्ट ने इन डॉक्टरों को ढाई-ढाई लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया, लेकिन इसका बर्खास्त डॉक्टरों पर कोई असर नहीं पड़ा।

इस पोर्टल पर उपलब्ध होती है डॉक्टरों की रिपोर्ट
आजकल प्रदेश में सभी डॉक्टरों की रिपोर्ट मानव संपदा पोर्टल पर उपलब्ध रहती है। जब डॉक्टर का स्थानांतरण नहीं होता है या वे अपने स्थान से गायब रहते हैं, तो उनके वेतन का भुगतान रुक जाता है, जिससे उनकी अनुपस्थिति की जानकारी मिल जाती है। इसके अलावा, पोर्टल के माध्यम से और सभी सीएमओ और अधीक्षकों से रिपोर्ट ली जाती है, जिससे गायब डॉक्टरों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।

लंबे समय तक अनुपस्थित रहने पर होती है कार्रवाई
वहीं जो डॉक्टर लंबे समय तक गायब रहते हैं, उन्हें तीन नोटिस भेजी जाती हैं। अगर वे इन नोटिसों का जवाब नहीं देते, तो उन्हें बर्खास्त कर दिया जाता है। पिछले दो वर्षों में 100 से अधिक डॉक्टरों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई है। इसके बाद संबंधित पद को रिक्त घोषित कर दिया जाता है और उस पद के लिए नई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाती है।

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