ग्राम पंचायत से लेकर राष्ट्रपति तक का लड़ा चुनाव : वह व्यक्ति जिसे सरकार भी देती थी सुरक्षा... जानिए कौन हैं गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड धारी काका जोगिंदर सिंह

UPT | Kaka Joginder Singh

Mar 16, 2024 15:15

काका ने अपने जीवन में नगर निगम में मेयर पद के अलावा लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सांसद और विधायक पदों के लिए कुल मिलाकर 300  बार नामांकन भरा है। इतना ही नहीं ये जनाब राष्ट्रपति चुनाव में भी अपना नामांकन दाखिल कर चुके हैं।

Short Highlights
  • ग्राम पंचायत से लेकर राष्ट्रपति तक का लड़ा चुनाव
  • काका को प्रशासन देता था सुरक्षा
  • काका ने अस्वीकार किया था नेहरू का प्रस्ताव
Kaka Joginder Singh : देश में लोकसभा चुनाव को लेकर गर्मा-गरम का माहौल बना हुआ है, सभी पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुटी हैं और अब बस चुनाव की तारिख का इंतजार है। इन चुनाव में हजारों की संख्या में प्रत्याशी हैं, जो अपनी किस्मत आजमाएंगे। इस मौके पर हम आपको एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताएंगे, जिसने देश में सबसे ज्यादा बार चुनाव लड़े हैं और एक भी बार उसकी जीत नहीं हुई। ये कोई और नहीं बल्कि देश की राजनीति में धरतीपकड़ के नाम से फेमस काका जोगिंदर सिंह है। इन्होंने अपने जीवन में नगर निगम में मेयर पद के अलावा लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सांसद और विधायक पदों के लिए कुल मिलाकर 300 बार नामांकन भरा है। इतना ही नहीं ये जनाब राष्ट्रपति चुनाव में भी अपना नामांकन दाखिल कर चुके हैं। 

काका को प्रशासन देता था सुरक्षा
देश की राजनीति में ऐसे भी चुनाव हुए हैं, जिसमें प्रशासन किसी प्रत्याशी को सुरक्षा प्रदान करता था। वह प्रत्याशी कोई और नहीं, बल्कि काका जोगिंदर  सिंह ही हैं। धरती पकड़ वी.पी.सिंह और राजीव गांधी जैसे बड़े-बड़े नेताओं के ख़िलाफ़ भी उम्मीदवार रहे हैं, जिनके लिए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए जाते थे ताकि कहीं उनकी मौत की वजह से चुनाव रद्द न कर दिया जाए।

कितनी बार लड़ चुके हैं चुनाव?
कोई भी आम आदमी कितनी बार चुनाव लड़ सकता है? एक वक्त ऐसा आता है जब व्यक्ति अपनी हार से परेशान होकर चुनाव लड़ना बंद कर देता है। लेकिन ये जनाब अलग हैं, इन्होंने देश के तमाम राज्यों में होने वाले चुनावों में हिस्सा लिया और 17 बार हार का सामना करने के बाद भी चुनाव लड़ना बंद नहीं किया। धरतीपकड़ ने पंचायत चुनाव से लेकर राष्ट्रपति चुनाव तक में कुल मिलाकर 300  बार नामांकन भरा है। इसी लिए उन्हें धरतीपकड़ के नाम से जाना जाता था। 

क्या थी उनकी सोच
देश की राजनीति में धरतीपकड़ के नाम से फेमस काका जोगिंद्र सिंह का मानना था कि बार-बार चुनाव लड़ने से जितनी बार हारेंगे, उतनी बार उनकी जमानत राशि जब्त होगी और राष्ट्रीय कोष में जाएगी। जिससे वह राशि लोगों के काम आएगी। इतना ही नहीं हारने के बाद वे खुशी में मिठाई भी बांटते थे। उनका देहांत हो चुका है, अब वह इस दुनिया में नहीं है। 

कहां से मिली चुनाव लड़ने की प्रेरणा
काका जोगिंद्र को चुनाव लड़ने की प्रेरणा अपने पिता मणिराम तोलानी से मिली थी। उनके पिता निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 1968 से लगातार 30 साल चुनाव लड़ते रहे। हालांकि वे भी कभी नहीं जीत पाए, 1988 में उनके पिता का निधन हो गया।  इसके बावजूद वे चुनावी मैदान में उतरते रहे। 

'मैं चुनाव में खड़ा हो गया हूँ मुझे वोट ना देकर हरा देना'
काका जोगिंदर चुनावी प्रचार करने लिए अपनी साइकिल का इस्तेमाल किया करते थे। वे अन्य राजनेताओं के उनके चुनाव भी अन्य राजनेताओं से अलग थे। उनके चुनावी वादों में सभी विदेशी ऋण चुकाना, स्कूलों में अधिक चरित्र निर्माण, और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए रामबाण के रूप में वस्तु विनिमय प्रणाली को वापस लाना शामिल थे। वे जनता से एक ही अपील किया करते थे, 'मैं चुनाव में खड़ा हो गया हूँ मुझे वोट ना देकर हरा देना'।

धरतीपकड़ का राजनीतिक करियर
काका ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1962 में की थी। जिसके बाद 1998 में उनके मरते दम तक 300 से अधिक चुनाव लड़े । हालांकि हमेशा ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा। लेकिन,हमेशा ही चुनावों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हुए उन्होंने एक नया रिकॉर्ड कायम किया। जिससे उनका नाम सबसे ज्यादा बार चुनाव में नामांकन दाखिल करने वाले के रूप में सीधा गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। 

काका ने अस्वीकार किया था नेहरू का प्रस्ताव
काका ने हमेशा निर्दलीय चुनाव लड़ा है। एक बार तो देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी काका को उत्तरप्रदेश के विधानसभा चुनाव में बतौर सिख चेहरा मैदान में उतरने को कहा था। लेकिन काका ने मना कर दिया। और किसी राजनीतिक पार्टी के बिना हमेशा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा।

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