इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के DGP को दिया आदेश : 'दहेज हत्या मामलों की हर एंगल से हो जांच'

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Jun 29, 2024 14:29

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अगर किसी विवाहित महिला की मृत्यु, उसके विवाह के सात वर्षों के भीतर होती है, तो जांच हर एंगल से की जानी चाहिए।

Prayagraj News : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दहेज हत्या मामलों की जांच प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया है कि वे अपने जांच अधिकारियों को दहेज हत्या से जुड़े मामलों में व्यापक और गहन जांच करने का आदेश दें। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अगर किसी विवाहित महिला की मृत्यु, उसके विवाह के सात वर्षों के भीतर होती है, तो जांच हर एंगल से की जानी चाहिए। यह निर्देश दहेज हत्या के मामलों में न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

ये भी पढ़ें : राजा भैया की पत्नी ने गृहमंत्री से लगाई न्याय की गुहार : भानवी सिंह ने MLC अक्षय प्रताप सिंह को बचाए जाने के लगाए गंभीर आरोप

दहेज हत्या मामलों की हर एंगल से हो जांच के आदेश
अदालत ने जोर देकर कहा कि जांच अधिकारियों को केवल प्राथमिकी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्हें मामले के हर पहलू की गहराई से छानबीन करनी चाहिए। इसमें यह पता लगाना शामिल है कि क्या महिला की मृत्यु एक सामान्य हत्या थी (under Section 302 of the Indian Penal Code), या यह विशेष रूप से दहेज हत्या का मामला था (under Section 304B), या फिर यह आत्महत्या का मामला था जिसमें पति या ससुराल वालों ने महिला को आत्महत्या के लिए उकसाया (under Section 306)।



सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का दिया हवाला
न्यायालय ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि जांच अधिकारियों को अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से उल्लेख करना चाहिए कि उनके द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्य किस धारा के तहत अपराध को साबित करते हैं। यह निर्देश दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173(2) के अनुरूप है, जो जांच पूरी होने के बाद पुलिस द्वारा न्यायालय को दी जाने वाली रिपोर्ट से संबंधित है। इस संदर्भ में, हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का भी उल्लेख किया। 2013 में जसविंदर सैनी बनाम दिल्ली राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जांच एजेंसियों को महिला की मृत्यु के मामले में हर संभव कोण से जांच करनी चाहिए। इस संबंध में, न्यायालय ने जसविंदर सैनी बनाम राज्य (दिल्ली सरकार) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के 2013 के फैसले का भी हवाला दिया

ये भी पढ़ें : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी : पति पत्नी की चरित्रहीनता साबित करने के लिए बच्चों का नहीं करा सकता डीएनए टेस्ट

जांच एजेंसियों को दिए ये निर्देश
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि हत्या का आरोप लगाया जाता है, तो यह मुख्य आरोप होना चाहिए, न कि वैकल्पिक आरोप। यदि मुकदमे के दौरान हत्या का आरोप साबित नहीं होता, तभी अदालत को यह विचार करना चाहिए कि क्या धारा 304बी के तहत दहेज हत्या का वैकल्पिक आरोप साबित होता है। यह निर्णय दहेज हत्या के मामलों में न्याय प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह जांच एजेंसियों और न्यायालयों को इन संवेदनशील मामलों में अधिक सावधानी अपनाने का निर्देश देता है। इससे न केवल पीड़ित परिवारों को न्याय मिलने की संभावना बढ़ेगी, बल्कि निर्दोष लोगों को अनावश्यक उत्पीड़न से भी बचाया जा सकेगा।

Also Read