कांग्रेस ने जिला अध्यक्ष को पद से हटाया : फूलपुर उपचुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन से बगावत कर निर्दलीय नामांकन दाखिल किया

UPT | सुरेश यादव

Oct 26, 2024 16:10

सपा-कांग्रेस गठबंधन से बगावत करने वाले कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सुरेश यादव को उनके पद से हटा दिया गया है। सुरेश यादव ने इंडिया गठबंधन के खिलाफ जाकर फूलपुर उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया था।

Prayagraj News: सपा-कांग्रेस गठबंधन से बगावत करने वाले कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सुरेश यादव को उनके पद से हटा दिया गया है। सुरेश यादव ने इंडिया गठबंधन के खिलाफ जाकर फूलपुर उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया था। उनके इस कदम के बाद प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने एक पत्र जारी करके उन्हें जिला अध्यक्ष पद से मुक्त कर दिया। अब कांग्रेस पार्टी की ओर से सुरेश यादव से स्पष्टीकरण मांगा गया है और पार्टी से निलंबित करने पर विचार किया जा रहा है।

सपा उम्मीदवार के खिलाफ सुरेश यादव की बगावत
सुरेश यादव, जो कांग्रेस गंगापार के जिला अध्यक्ष थे, ने सपा के उम्मीदवार और पार्टी के फैसलों के खिलाफ जाकर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। शुक्रवार को उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दोबारा नामांकन किया। इस दौरान उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने पार्टी की मूल विचारधारा से समझौता किया है और पार्टी को गिरवी रख दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे एक सच्चे कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में कभी चुप नहीं बैठ सकते, और अगर उन्हें बागी भी कहा जाए, तो वे इस बात को स्वीकार करते हैं।

कांग्रेस नेतृत्व से सिंबल की मांग
सुरेश यादव ने अपने बगावती तेवर दिखाते हुए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से अपील की कि उन्हें पार्टी का चुनाव चिह्न देकर फूलपुर उपचुनाव लड़ने का मौका दिया जाए। उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि वे एक किसान के बेटे हैं, और उनका लक्ष्य विधानसभा में पहुंचकर अपने क्षेत्र के किसानों और जनता के हितों के लिए काम करना है। उन्होंने भरोसा जताया कि यदि उन्हें मौका मिला, तो वे एक किसान का बेटा होने के नाते विधानसभा में जनता की आवाज बनकर उभरेंगे।

नामांकन के दौरान समर्थकों का साथ
बृहस्पतिवार को सुरेश यादव ने अपना पहला नामांकन दाखिल किया था। इसके बाद शुक्रवार को वह दो अन्य सेट में नामांकन करने के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचे। इस बार उनके साथ बड़ी संख्या में समर्थक भी मौजूद थे, जो जुलूस की शक्ल में कलेक्ट्रेट पहुंचे। नामांकन के दौरान सुरेश यादव ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने स्वयं प्रेसवार्ता में फूलपुर सीट कांग्रेस को देने की बात कही थी। इसके बावजूद, कुछ लोग नहीं चाहते कि एक किसान का बेटा आगे बढ़े और जनता की आवाज बने। सुरेश ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की प्रतिष्ठा और सिद्धांतों से समझौता कर लिया है, जिससे एक किसान के बेटे को आगे बढ़ने से रोका जा रहा है।

आगे की रणनीति और सुरेश यादव की स्थिति
कांग्रेस की ओर से सुरेश यादव के इस कदम को गंभीरता से लिया गया है, और पार्टी से उनके निलंबन पर विचार किया जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि सुरेश यादव के इस कृत्य से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है, और उन्हें इसका जवाब देना होगा। वहीं, सुरेश यादव ने यह साफ कर दिया है कि वे किसी भी कार्रवाई के लिए तैयार हैं और वे अपने फैसले पर अडिग हैं। उनके इस बगावती रुख से कांग्रेस के भीतर खींचतान और बढ़ सकती है, वहीं फूलपुर उपचुनाव में यह घटनाक्रम राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।

फूलपुर उपचुनाव के नतीजों पर पड़ेगा असर
सुरेश यादव की बगावत ने कांग्रेस और सपा के गठबंधन में हलचल मचा दी है। उनके निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के फैसले ने पार्टी के भीतर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि कांग्रेस इस स्थिति से कैसे निपटती है और क्या सुरेश यादव के इस कदम का असर फूलपुर उपचुनाव के नतीजों पर पड़ेगा। चुनावी माहौल के बीच यह घटनाक्रम निश्चित रूप से राजनीतिक पटल पर चर्चा का विषय बना हुआ है। 

Also Read