Prayagraj News : पूर्व चीफ ने नए आपराधिक कानूनों पर उठाए सवाल, योगी सरकार के बुलडोजर एक्शन और एनकाउंटर पर की आलोचना

UPT | संगोष्ठी में बोलते हुए पूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर

Sep 08, 2024 13:12

आपराधिक कानूनों पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलने के लिए आए पूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने तीनों नए कानूनों को लेजिस्लेटिव फ्रॉड बताया।इसके साथ ही पूर्व चीफ जस्टिस के मुताबिक देश के गृहमंत्री खुद को कानून से भी ऊपर मानते हैं।

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस गोविंद माथुर एक बार फिर चर्चा में हैं, इस बार तीन नए आपराधिक कानूनों पर अपनी बेबाक राय रखने और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के बुलडोजर और एनकाउंटर नीति की कड़ी आलोचना के कारण। हाल ही में प्रयागराज में नागरिक समाज, अधिवक्ता मंच और पीयूसीएल द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में जस्टिस माथुर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए आपराधिक कानूनों पर खुलकर अपनी असहमति जताई और कहा कि इन कानूनों से आम नागरिकों, वकीलों और न्यायाधीशों को सिर्फ परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

राहुल गांधी की सज़ा पर भी उठाए सवाल
पूर्व चीफ जस्टिस ने इस मंच से विपक्षी नेता राहुल गांधी को दो साल की सजा मिलने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने सिर्फ एक उदाहरण प्रस्तुत किया था, और मोदी का नाम लेने की वजह से उन्हें दो साल की सजा मिली, ताकि उनकी संसद सदस्यता खत्म हो सके। माथुर ने इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बताया और कहा कि यह एक गंभीर न्यायिक चूक है।

योगी सरकार की एनकाउंटर और बुलडोजर नीति पर आलोचना
जस्टिस माथुर ने उत्तर प्रदेश में चल रहे एनकाउंटर और बुलडोजर एक्शन पर भी कड़ा विरोध जताया। उन्होंने कहा कि एनकाउंटर किन परिस्थितियों में हो रहे हैं, यह सभी को पता है और कुछ भी छिपा हुआ नहीं है। योगी आदित्यनाथ के महिला सुरक्षा को लेकर दिए गए बयान, जिसमें उन्होंने अपराधियों के हाथ-पैर काटने की बात कही थी, पर भी जस्टिस माथुर ने ऐतराज जताया। उनका कहना था कि कानून किसी को इस तरह की बयानबाजी की अनुमति नहीं देता।



ममता बनर्जी के अपराजिता कानून पर उठाए सवाल
कोलकाता में एक महिला डॉक्टर की रेप के बाद हत्या की घटना के बाद ममता बनर्जी सरकार द्वारा बनाए गए "अपराजिता" कानून पर भी जस्टिस गोविंद माथुर ने सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि यह घटना बेहद निंदनीय है, लेकिन फांसी की सजा के अलावा अन्य विकल्प भी होने चाहिए। 

आपराधिक मानहानि के कानून पर असहमति
जस्टिस माथुर ने आपराधिक मानहानि के कानून की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सिविल मानहानि के अलावा आपराधिक मानहानि का कोई औचित्य नहीं है, और यह केवल लोगों को डराने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। उनका मानना है कि तीनों नए आपराधिक कानून संसदीय लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक हैं।

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